बॉलीवुड की सदाबहार ब्यूटी रेखा का हमेशा से एक सपना था कि वो किसी की पत्नी बनें और कोई ताउम्र उन्हें बेपनाह प्यार करता रहे. लेकिन उनका ये छोटा सा ख्वाब पूरा तो हुआ लेकिन अपने अंजाम तक न पहुंच सका. रेखा की शादियां तो कई हुईं लेकिन उनकी शादी किसी न किसी कारण से बहुत लंबे समय तक चल नहीं सकी.
रेखा ने एक बार सिमी गरेवाल के शो पर कहा था, ''मैं प्यार में डूबे रहना चाहती हूं, जैसे मेरी मां मेरे पिता के प्यार के नशे में गुम थीं.'' लेकिन अपनी मां की तरह ही रेखा को भी प्यार में मंजिल न मिल सकी. रेखा ने एक बार कहा था कि 'मैं जिससे प्यार करती हूं उससे कोसों मील दूर भागती हूं या दुनिया मुझे भगा देती है'. रेखा का ये बयान उनकी जिंदगी में मोहब्बत के उतार चढ़ावों को बेहद सादगी से बयां करता दिखता है.
10 अक्टूबर 1954 को चेन्नई में जन्मीं भानुरेखा एक बिन ब्याही लड़की की संतान थी. रेखा बताती हैं कि वो हमेशा अपने पिता के साथ के लिए तरसती रहीं.
अमिताभ से पहले विनोद मेहरा पर जान छिड़कती थीं रेखा
शुरुआत की कुछ फिल्मों में रेखा के हीरो जीतेन्द्र थे. फिल्म एक बेचारा की शूटिंग के समय दोनों के अफेयर की खबरें आने लगीं.रेखा के मुताबिक उन्हें जीतेन्द्र से प्यार हो गया था. लेकिन कहते हैं कि जीतेन्द्र अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़ने को तैयार नहीं थे. इसी बात को लेकर उनके और रेखा के बीच झगड़े होने लगे और फिर 1973 की फिल्म अनोखी अदा की शूटिंग के दौरान दोनों का ब्रेकअप हो गया.इसके बाद रेखा की ज़िंदगी में हुई अभिनेता विनोद मेहरा की एंट्री. दोनों में प्यार हो गया. रेखा विनोद मेहरा के साथ नज़र आतीं. वहीं विनोद की मम्मी कमला मेहरा विनोद के साथ उनके रिश्ते के खिलाफ थीं. 1973 के अंत में कई फिल्म मैगज़ीन्स में खबर छपी कि विनोद मेहरा और रेखा ने कलकत्ता के पार्क सर्कस इलाके के एक मंदिर में शादी कर ली है.
शादी के बाद जैसे ही दोनों मुंबई में विनोद के घर पहुंचे हंगामा खड़ा हो गया. खबरें छपीं कि विनोद की मम्मी ने रेखा घर में घुसाने तक से इंकार कर दिया.खबरों के मुताबिक गुस्से में उन्होंने अपने पैर से चप्पल तक निकाल ली थी. रेखा सन्न थीं. विनोद उन्हें उनके घर तक छोड़ आए और कहा कि जब उनकी मम्मी का गुस्सा शांत हो जाएगा तब उन्हें ले आएंगे.
रिश्ते पर ऐसे दबाव के चलते विनोद और रेखा के रिश्ते में दरार आ गयी. आखिरकार दोनों अलग हो गए. हालांकि सालों बाद सिमी ग्रेवाल के टीवी शो में रेखआ ने विनोद के साथ शादी की बात से ही इंकार कर दिया और कहा कि वो बस उनके करीबी दोस्त थे.
रेखा और अमिताभ का प्यार है अमर
साल 1976 में फिल्म 'दो अंजाने' के साथ रेखा की ज़िंदगी में आए अमिताभ बच्चन. रेखा के मुताबिक अमिताभ से मिलने के बाद उनकी कायापलट हो गई. रेखा ने बताया कि उनसे मिलने से पहले वो कभी भी अपने काम को लेकर सीरियस नहीं थी, लेकिन बिग बी से मिलने के बाद उन्हें इसकी अहमियत समझ आई. इतना ही नहीं रेखा अपने लुक्स और स्टाइल के साथ साथ काम को लेकर भी गंभीर हो गई. बॉलीवुड की टॉप अभिनेत्रियों में उनका नाम शुमार होने लगा. फिल्म घर और खूबसूरत में उनके अभिनय की बेहद तारीफ की गई.
अमिताभ बच्चन ने भले ही रेखा से कभी अपने प्यार का इजहार न किया हो लेकिन उनके प्यार में पागल रेखा ने कभी इस छिपाने की कोशिश नहीं की. 22 जनवरी 1980 मौका था अभिनेता ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी का. इस शादी में रेखा मांग में सिंदूर भरकर पहुंचीं. लेकिन ये सिंदूर किसके नाम का था इन सवालों के जवाब में रेखा ने खुलकर कभी कुछ नहीं कहा. ये पहला मौका था जब रेखा अपनी मांग में सिंदूर लगाकर लोगों के सामने आईं थी. हालांकि इसके पीछे का रहस्य आज भी रहस्य ही है कि आखिर वो सिंदूर किसके नाम का था?
बताया जाता है कि रेखा ने ये सब अपने प्यार का इजहार करने के लिए किया था. इसी साल फिल्म मैगज़ीन स्टारडस्ट में छपे एक लेख के मुताबिक रेखा लोगों को अमिताभ के साथ अपने रिश्ते के बारे में इशारा देने के लिए अजीब अजीब सी हरकतें करती थीं.
रेखा की दीवानगी का आलम ये था कि जब फिल्म कुली के सेट पर अमिताभ बच्चन बुरी तरह घायल हो गए थे तो रेखा उनसे मिलने अस्पताल पहुंची. उस दौरान एक मैगज़ीन को दिए बयान में उन्होंने कहा था, ''सोचिए मैं उस शख्स को ये नहीं बता पाई कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं. मैं ये महसूस नहीं कर पाई कि उस शख्स पर क्या बीत रही है. मुझे मौत मंजूर थी पर बेबसी का ये एहसास नहीं, मौत भी इतनी बुरी नहीं होती होगी.''
रेखा की चुन्नी से पति ने लगा ली थी फांसी
1990 में रेखा की ज़िंदगी में आए दिल्ली के युवा बिज़नेसमैन मुकेश अग्रवाल. दोनों में मुलाकातें हुईं और प्यार हो गया. मुलाकात के एक महीने बाद ही 4 मार्च 1990, मुकेश ने रेखा को प्रपोज़ कर दिया और फिर उसी रात 37 साल के मुकेश और 36 साल की रेखा ने जूहू के मुक्तेश्वर देवालय मंदिर में शादी कर ली. रेखा गणेशन अब रेखा अग्रवाल बन गयीं.
शादी के कुछ दिन बाद ही रेखा को पता चला कि मुकेश डिप्रेशन के मरीज़ थे. इस शादी से रेखा और मुकेश की उम्मीदें भी अलग-अलग थीं. रेखा ने धीरे-धीरे मुकेश से दूरी बढ़ानी शुरू की तो मुकेश ने रेखा को फिल्में छोड़ने के लिए कहा. शादी के कुछ महीनों में ही रिश्तें में दरार पड़ने लगी. लंबी बहसबाज़ी और झगड़ों के चलते, शादी के करीब 6 महीने बाद ही, सितंबर 1990 में, दोनों ने आपसी सहमति तलाक का फैसला कर लिया. इसके कुछ दिन बाद, 26 सितंबर को रेखा एक स्टेज शो में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका चली गईं. लेकिन जो रास्ता मुकेश अग्रवाल ने चुना वो सबके दिलों में कभी ना भरने वाला एक गहरा ज़ख़्म छोड़ गया.
2 अक्टूबर 1990 को मुकेश ने अपने फार्महाउस में रेखा का दुपट्टे से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. हालांकि अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा था कि उनकी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है. लेकिन हर जगह मुकेश की मौत का ज़िम्मेदार रेखा को ठहराया गया. उन दिनों रिलीज़ रेखा की फिल्म 'शेषनाग' के पोस्टरों पर कालिख लगा दी गयी थी. उन्हें पति की हत्यारिन पुकारा जाने लगा. रेखा मुकेश के अंतिम संस्कार में भी नहीं पहुंची.