मुम्बई : भारतीय परिधान पहनकर तरह-तरह के जटिल रहस्यों को झुलझाने में व्यस्त डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी की छवि लोग आज भी नहीं भूले होंगे. 1993 में दूरदर्शन पर पहली बार प्रसारित हुए शो ब्योमकेश बख्शी में टाइटल भूमिका निभानेवाले रजित कपूर ने शो के निर्देशक बासु चटर्जी को याद करते हुए एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की और बासु दा की शख्सियत से जुड़ी खासियतों के बारे में बताया.


रजित कपूर ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "मैं बासु चटर्जी को उनके सेंस ऑफ ह्यूमर, उनकी साधारणता और जिंदगी की समझ के लिए हमेशा याद करूंगा. वे जमीन से जुड़े इंसान थे, स्वभाव से बेहद हंसमुख थे और हंसते-हंसते काम निकलवा लेते थे.


रजित कपूर ने ब्योमकेश बख्शी में काम करने के अपने अनुभवों के बारे में बात करते हुए कहा, "बासु दा वक्त के बड़े ही पाबंद हुआ करते थे. शूटिंग के पहले वो हर चीज को बड़े ही महीन तरीके से प्लान कर लेते थे. उनके मन में किसी तरह का कोई कंफ्यूज़न नहीं हुआ करता था. वो हर चीज में परफेक्ट थे. मैंने उनसे टाइम मैनेजमेंट और बजट मैनेजमेंट सीखा."


ब्योमकेश बख्शी से साधारण से दिखने वाले किरदार द्वारा जासूसी के बेहद जटिल मामलों को सुलझाने की काबिलियत दिखाने वाले इस शो को लेकर रजित कपूर का मानना है कि यह शो अपने समय से काफी आगे था. वे कहते हैं, "ब्योमकेश बख्शी जैसा शो दोबारा नहीं बन सकता है, ठीक उसी तरह जैसे शोले और अमर अकबर (एंथनी) जैसी फिल्मों को दोबारा नहीं बनाया जा सकता है."


ब्योमकेश बख्शी का किरदार आखिरकार आपको‌ कैसे मिला? इस सवालों पर रजित कपूर कहते हैं, "मैं दूरदर्शन के‌ लिए एक सीरियल में काम किया था, जिसका नाम था युगांतर. इस सीरियल को बासु दा ने देखा हुआ था. युगांतर के निर्देशक और लेखक के कहने पर बासु दा ने मुझे शो में लिया था. बासु दा ने एक से ही मुलाकात में मुझे ब्योमकेश बख्शी के लिए सेलेक्ट कर लिया गया था."


बासु दा द्वारा बनाई गई फिल्मों में से अपनी सबसे पंसदीदा फिल्मों के बारे में पूछे जाने पर रजित कपूर ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "बासु दा की रजनीगंधा, छोटी-सी बात, चितचोर या फिर किसी अन्य फिल्म को क्यों न ले लें, उनकी फिल्मों की सरलता और साधारणता ही उन सभी फिल्मों की खासियत हुआ करती थीं और यही वजह है कि आम आदमी खुद को उनकी फिल्मों से जुड़ा हुआ पाता था. उनकी फिल्मों के गानों को लोग आज भी याद करते और गुनगुनाते हैं."


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