मुम्बई : तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजी जा चुकीं दिवंगत कोरियोग्राफर सरोज खान "जैसा न कोई था और ही कोई होगा." सरोज खान के निधन के बाद जाने-माने कोरियोग्राफर और फिल्म निर्देशक रेमो डिसूजा ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कुछ इन शब्दों के साथ अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की.


स्वतंत्र तौर पर 45 सालों से एक से बढ़कर एक और हिट गानों को कोरियोग्राफ कर बॉलीवुड में अपना एक अलग मकाम बनानेवाली सरोज खान का आज रात 1.52 मिनट में मुम्बई के बांद्रा स्थित गुरुनानक अस्पताल में हार्ट अटैक से निधन हो गया.


उल्लेखनीय है कि रेमो डिसूजा ने एक बैकग्राउंड डांसर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. ऐसे में 1997 में रिलीज हुई रानी मुखर्जी की पहली फिल्म 'राजा की आएगी बारात' को रेमो डिसूजा को एक बैकग्राउंड डांसर के तौर सरोज खान ने‌ निर्देशित किया था. बाद में रेमो जब 'एबीसीडी' के जरिए फिल्म निर्देशक बने तो उन्होंने सरोज खान को इसी फिल्म के एक गाने में कोरियोग्राफ और डायरेक्ट किया था. इस गाने में सरोज खान के अलावा प्रभु देवा, गणेश आचार्या और खुद रेमो डिसूजा भी नजर आये थे. रेमो बाताते हैं, "बाद में मेरे घर में गुई एक पार्टी में भी मैं सरोज जी के साथ जमकर डांस किया था. उनसे मेरा अलग किस्म का रिश्ता था."





उल्लेखनीय है कि सरोज खान का आखिरी कोरियोग्राफ किया गाना था पिछले साल रिलीज हुई फिल्म 'कलंक' का 'तबाह हो गये हम'. यह गाना माधुरी दीक्षित पर फिल्माया गया था, जिनके करियर के कई सुपगहिट गानों को कोरियोग्राफ करने का श्रेय सरोज खान को जाता है. रेमो बताते हैं, "ऐसा शायद ही कभी हुआ हो कि सरोज खान ने किसी और के साथ मिलकर किसी गाने को कोरियोग्राफ किया हो,‌ लेकिन मुझे उनके साथ इस गाने को कोरियोग्राफ करने का मौका मिला. उस वक्त जैसे मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. अपने करियर में मिले इस बेहतरीन मौके के लिए मैं खुद को बेहद खुशकिस्मत समझता हूं. मैं हमेशा सरोज जी का शुक्रगुजार रहूंगा."


'कलंक' के इस गाने से जुड़ी यादों के बारे में रेमो डिसूजा कहते हैं, "इस गाने को हमने 5 दिन तक शूट किया था. उस वक्त भी उनकी तबीयत थोड़ी खराब रहा करती थी. मगर जब वो सेट पर आती थीं और म्यूजिक ऑन होता था तो सरोज जी में एक अजीब किस्म का जोश आ जाता था. वो हमेशा खुद को व्यस्त रखने में यकीन रखती थीं."


इस सवाल पर कि उन्होंने सरोज खान से क्या कुछ सीखा, रेमो कहते हैं, "कोरियोग्राफी क्या होती है, इसमें कितना जुनून और कितनी कड़ी मेहनत होती है, ये सब मैंने उन्हीं से सीखा था."


रेमो आगे कहते हैं, "मैंने उनसे सीखा कि किस तरह से गाने के भावों को समझते हुए कोरियोग्राफी करनी चाहिए. इस मामले में सरोज खान जैसा कोई नहीं था. क्लासिकल डांस की उनकी समझ भी अद्भुत थी. मैं हमेशा उनका मुरीद रहूंगा."