Renuka Shahane On Me Too: भारत में MeToo आंदोलन 2018 में अभिनेता तनुश्री दत्ता द्वारा शुरू किया गया था, जिसके बाद बहुत सारी महिलाओं ने वर्क प्लेस पर हुए शोषण के बारे में खुल कर बात की. अब एक्ट्रेस रेणुका शहाणे ने आंदोलन के पक्ष में बात की और उन्होंने हाल ही में साझा किया कि कितने लोगों ने उन्हें चुप रहने के लिए कहा. 


बोलने कहां देते हैं महिलाओं को


MeToo आंदोलन के दौरान जब उन्हें "कई लोगों" द्वारा चुप रहने के लिए कहा गया था, उस समय को दर्शाते हुए, शहाणे ने कहा कि बचपन से ही महिलाओं को इसी तरह से संस्कारित किया जाता है. पिंकविला के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा, "वास्तव में, 'मत बोलो' एक ऐसी चीज है जो महिलाओं को बचपन से अक्सर बताई जाती है. मीटू बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि अगर कुछ और नहीं, तो उस सामूहिक भावना से बहुत सारी महिलाएं गुज़रीं, जो शायद 10 साल, 25 साल पहले हुई थीं. लोग कहते हैं '25 साल बाद क्यों?' अरे आप बोलने कब देते हो?”


बचपन से देते हैं गलत सीख


उन्होंने कहा, “अधिकतम दुर्व्यवहार परिवारों के भीतर होता है और अगर कोई बच्चा-चाहे लड़का हो या लड़की-माता-पिता को बताता है, तो कितने माता-पिता बच्चे की कही गई बातों के आधार पर अपने बड़ों या पारिवारिक रिश्तों को छोड़ने को तैयार हैं? इसलिए मुझे लगता है कि यह वहीं से शुरू होता है.''


रेणुकाने कहा, “अगर कोई महिला बुद्धिमान है या सवाल पूछती है तो लोग असहज हो जाते हैं. माना जाता है कि लैंगिक समानता के सेट पर भी, कभी-कभी एक महिला अभिनेता चरित्र के बारे में सवाल पूछती है, उसे इस तरह से देखा जाता है, 'बहुत सवाल पूछती है'. लेकिन अगर पुरुष सवाल पूछ रहा है, तो वह प्रेरित है और प्रतिबद्ध है. लोग महिलाओं को नकारात्मक रोशनी में ज्यादा आंकते हैं.''


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