बिहार DGP के VRS पर रिया चक्रवर्ती के वकील ने उठाए सवाल, बोले- सुशांत को नहीं, गुप्तेश्वर पांडे को मिला न्याय
बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस से लिया है. इस पर रिया चक्रवर्ती का केस लड़ रहे सतीश मानशिंदे ने एक बयान जारी किया है और इस पर सवाल उठाए हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह सुशांत के लिए न्याय नहीं हुआ, बल्कि गुप्तेश्वर पांडे के लिए न्याय हुआ.
सुशांत सिंह राजपूत केस में अहम भूमिका निभाने वाले बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने स्वेच्छा से पद त्याग कर दिया है. यानि उन्होंने वीआरएस लिया है. उनके वीआरएस को बिहार और केंद्र सरकार ने स्वीकार भी कर लिया है. इस पर रिया चक्रवर्ती के वकील सतीश मानशिंदे ने बयान जारी किया और वीआरएस लेने पर सवाल उठाए. जिस पर गुप्तेश्वर पांडे ने रिएक्शन दिया है. उन्होंने कहा कि उनके वीआरएस से सुशांत सिंह राजपूत केस का कोई लेना-देना नहीं है.
रिया के वकील सतीश मानशिंदे ने बयान जारी कर कहा था,"बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे की वीआरएस रिक्वेस्ट को बिहार सरकार और केंद्र सरकार ने 24 घंटे के अंदर स्वीकारोक्ति दे दिया, जिस तरह बिहार सरकार ने रिया के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को सीबीआई को ट्रांसफर किया था और केंद्र ने इसे स्वीकार कर लिया था. यह सुशांत के साथ न्याय नहीं बल्कि गुप्तेश्वर पांडे के लिए न्याय हुआ है."
वीआरएस से सुशांत सिंह राजपूत केस का लेना-देना नहीं
इसके बाद गुप्तेश्वर पांडे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि किसी भी नेता ने उनकी निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठाया है. जबतक रहा हर जाति, धर्म और समाज के लिए निष्पक्षता से काम किया. उन्होंने कहा,"सुशांत सिंह राजपूत केस से मेरे वीआरएस से कोई लेना-देना नहीं है. सुशांत के साथ जो भी मुंबई में हुआ. उनका बूढ़ा-बीमार-लाचार पिता यहां बिहार में रहते हैं. वह मुंबई पुलिस की जांच-पड़ताल से हताश और निराश थे. तब वो हमारे पास आए.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस को सही बताया
गुप्तेश्वर पांडे ने आगे कहा,"बिहार पुलिस ने जब एफआईआर दर्ज किया तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुहर लगा दी थी कि ये काम संवैधानिक और कानूनी था. इसमें बिहार पुलिस ने कोई गलत काम नहीं किया. इसलिए इस पर कोई सवाल नहीं उठ सकता है. बिहार पुलिस जांच करने के लिए मुंबई गई सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी गैरकानूनी नहीं बताया. मेरी कहने पर बिहार सरकार ने सीबीआई की सिफारिश की. सुप्रीम कोर्ट उसे भी मान्यता दी. इसमें कुछ भी गैर कानूनी नहीं है."