बॉलीवुड की मशहूर कोरियाग्राफर सरोज खान का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. उन्होंने दो हजार से ज्यादा गानों की कोरियाग्राफी की थी. लेकिन क्या आप जानते हैं फिल्मों में आने से पहले वह बैकग्राउंड डांसर थीं. उन्होंने 1950 के दशक के मशहूर कोरियाग्राफर बी. सोहनलाल के साथ ट्रेनिंग ली थी और बाद में इन्हीं के साथ शादी कर ली. बी. सोहन लाल से सरोज से 30 साल बड़े थे. शादी के दौरान सरोज खान 13 साल की थी. इतना ही नहीं, शादी से पहले सरोज ने इस्लाम धर्म भी कबूल किया. उनका असली नाम निर्मला नागपाल था.


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सरोज खान ने अपनी शादी को लेकर कहा था कि शादी के दौरान वह स्कूल में पढ़ती थी और सोहनलाल उनके डांस मास्टर थे. उन्होंने उनके गले में काला धागा बांध दिया, जिसे शादी मान लिया गया. सोहनलाल पहले से ही शादीशुदा थे और सरोज उनकी दूसरी पत्नी थी, लेकिन सरोज को ये बात बच्चे पैदा होने के बाद पता चली. सोहनलाल ने इन बच्चों को अपना नाम देने से इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों अलग हो गए.


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साल 1963 में सरोज खान ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम राजू खान रखा गया. इसके दो साल बाद यानी 1965 में उन्होंने दूसरे बच्चे को जन्म दिया लेकिन आठ महीने बाद ही मौत हो गई.


अलग होने के बाद सरोज खान ने मजबूती के साथ कई तरह की कठिनाइयों का सामना किया. सरोज खान ने पहली बार साल 1974 में रिलीज हुई फिल्म 'गीता मेरा नाम' के गानों को कोरियाोग्राफ किया. इसके बाद उन्होंने कई मुकाम हासिल किए. उन्हें भारत में मदर्स ऑफ डांस/कोरियाग्राफी की मां कहा जाने लगा. उन्होंने साल 1986 में आई फिल्म 'नगीना', 1987 में आई 'मि. इंडिया', साल 1988 में आई 'तेजाब', साल 1989 में आई 'चांदनी' सहित कई बेहतरीन फिल्मों के सॉन्ग की कोरियोग्राफी के लिए अवार्ड और सम्मान मिला.


इन फिल्मों के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड


साल 2003 में रिलीज हुई फिल्म 'देवदास' के सॉन्ग डोला रे डोल के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला. इसके अलावा साल 2006 में आई फिल्म 'श्रीनगरम' के सभी गानों और साल 2008 में आई 'जब वी मेट' के लिए यह इश्क हाए के लिए भी नेशनल अवार्ड मिला.