आंखों में सुरमा और पर्दे पर दहशत: 'रऊफ लाला' तुम बहुत याद आओगे
ऋषि कपूर का अचानक यूं चला जाना निश्चित तौर पर एक बड़ी क्षति है. बाल कलाकार के तौर पर अपना फिल्मी करियर शुरू करने वाले कपूर खानदान के रोशन चिराग ऋषि कपूर ने 100 से भी अधिक फिल्मों में अभिनय किया था. साल 2012 में आई फिल्म अग्निपथ में उनके रऊफ लाला के किरदार ने लोगों को चौंका दिया था. यहां से उनकी अदाकारी की नई झलक दिखाई देती है.
ऋषि कपूर ने वर्ष 2000 तक महज 92 ही फिल्में की थी. उन्होनें अपने फिल्मी सफर का आगाज 1973 से फिल्म बॉबी से किया था. देखा जाए तो उनके इस 27 साल के फिल्मी सफर में ऋषि कपूर की छवि एक रोमांटिक हीरो के तौर पर पर्दे पर दर्शकों को नजर आई. साल 2012 ऋषि कपूर अपने फिल्मी सफर के दूसरे चरण में प्रवेश कर रहे थे. वो भी एक निगेटिव किरदार के साथ. जो अभी तक कपूर खानदान में किसी ने नहीं किया था वो काम ऋषि कपूर करने जा रहे थे. यह फिल्म थी अग्निपथ. जो अमिताभ बच्चन की फिल्म का रीमेक थी.
इस फिल्म में रऊफ लाला का निभाया किरदार उनके फिल्मी करियर के आखिरी आठ सालों में पर्दे पर निभाए गए किरदारों में सबसे प्रभावशाली और असरदार मालूम पड़ता है. इस फिल्म में उनके साथ एक्टर ऋतिक रोशन और संजय दत्त भी थे. लेकिन ढ़लती उम्र के पड़ाव से गुजरने के बाद भी ऋषि कपूर इन दोनों ही मझे हुए कलाकारों पर भारी पड़ जाते हैं.
फिल्म के उस सीने को याद करें जब रऊफ लाला और कांचा चीना का किरदार निभा रहे संजय दत्त आमने सामने होते हैं. इस सीन में ऋषि कपूर संजय दत्त पर हावी हो जाते हैं. तीन मिनट के इस सीन को ऋषि कपूर जिस अंदाज में नजर आते हैं वह उन्हें एक बेहतरीन एक्टर बनाने के लिए काफी है.
फिल्म के अंत में ऋषि कपूर आंखों में सुरमा लगाकर जब सीढ़ियों पर अपने डायलॉग बोल रहे होते हैं तो वे एक संपूर्ण कलाकार के तौर पर्दे पर नजर आते हैं. यही उनकी खूबी थी. इस फिल्म में उनके अभिनय को खूब चर्चा हुई. इसके बाद उन्होंने कई एक्सपेरिमेंट किए. जो नई पीढ़ी के दर्शकों ने भी खूब किए.
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