बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर को लगता है कि सरकार कलाकारों को वैसा उचित सम्मान नहीं देती, जिसके वे हकदार होते हैं. अभिनेता इस बात से खफा है कि जैसा सम्मान विदेशों में कलाकारों को मिलता है, वह भारत में नहीं दिया जाता.


बॉलीवुड में पांच दशकों का अनुभव रखने वाले अभिनेता ने आईएएनएस से कहा, "हमारी सरकार कलाकारों को कैसे रखती है, जब मैं इस बारे में सोचता हूं तो बेहद दुखी हो जाता हूं. हम वह देश हैं, जो दुनियाभर में सिनेमा, संगीत और संस्कृति की वजह से जाने जाते हैं, लेकिन देखें कि हमारे आइकन्स के साथ कैसा व्यवहार होता है. जैसा दूसरे देश करते हैं, क्या हमारे देश में वैसा ही उचित सम्मान इन कलाकारों को मिलता है?"


उन्होंने कहा, "सभी नई सड़कें, फ्लाईओवर, हवाईअड्डों के नाम अभी तक नेताओं के नाम पर हैं. इन कलाकारों के नाम पर ऐसा क्यों नहीं किया जाता?"  अभिनेता ने कहा, "हमारे पास पंडित रविशंकर, उस्ताद अल्लाह रक्खा, लता मंगेशकर जी जैसे दिग्गज हैं. मैं आप से यह इसलिए नहीं कह रहा हूं कि यह मेरे परिवार से हैं, लेकिन क्या आप सिनेमा बिजनेस से राजकपूर और पृथ्वीराज कपूर जी के योगदान को नजरअंदाज कर सकते हैं? वह दुनियाभर में पहचाने जाते हैं, लेकिन मेरे देश में नहीं. ऐसा क्यों?"


अमेरिका से कर्करोग का इलाज कराकर लौटे ऋषि कपूर ने यह देखा कि कैसे विदेशों में कलाकारों को उचित सम्मान दिया जाता है और युवा पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति के बारे में अच्छी समझ होती है. ऋषि ने कहा, "अमेरिका में, एल्विस प्रेस्ली, माइकल जैक्सन और कई अन्य कलाकारों के नाम पर जगह है, और युवा पीढ़ी उनके योगदान से अच्छी तरह से वाकिफ है. यहां, सब कुछ नेताओं के नाम पर है."





अभिनेता ने कहा, "हमारे पास अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला जैसी उपलब्धि हैं. वह कई युवाओं के लिए प्रेरणा हैं. उनके बारे में हमारे बच्चे कितना अच्छे से जानते हैं? नेता केवल एक एजेंडे के तहत नाम बदल रहे हैं, जबकि कलाकारों को उनके जीवनकाल में पर्याप्त सम्मान नहीं दिया जाता."


ऋषि को सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं. सन् 1970 में आई तीन घंटों की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' के छोटा राजू के लिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ बाल अभिनेता श्रेणी का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था.