Rohitash Gaud Birthday: कभी डॉक्टर ने दे दी थी मुंबई छोड़ने की सलाह, फिर 'चांद' से चमकाई अपनी किस्मत
Rohitash Gaud: 24 मार्च 1966 के दिन पंजाब के छोटे से गांव में जन्मे रोहिताश ने कामयाबी का सफर बड़ी मुश्किलों और संघर्षों के साथ पूरा किया.
Rohitash Gaud Unknown Facts: 'नहीं ठहरतीं मुश्किलें जिंदगी भर जिंदगी में... हर मुश्किल का एक सुनहरा अंत होता है, क्या हुआ जो खुशियों का पतझड़ है आज.. पतझड़ के मौसम के बाद ही बसंत होता है.' क्या हुआ अगर यह शायरी है तो, लेकिन किसी न किसी की जिंदगी पर सटीक जरूर बैठती है. इसी शायरी से मिलती-जुलती कहानी है आज अपना जन्मदिन मना रहे रोहिताश गौड़ उर्फ मनमोहन तिवारी की. आज के समय में 'भाबी जी घर पर हैं' में कच्छा बनियान बेचकर लोगों का मनोरंजन करने वाली तिवारी जी को एक समय डॉक्टर ने माया नगरी छोड़ने की सलाह दी थी. लेकिन कहते हैं न मन में जज्बा हो तो क्या नहीं किया जा सकता...डॉक्टर की सलाह के बाद भी रोहिताश अड़े रहे और 'चांद' बन सिनेमा के पर्दे पर छा गए.
जब मुंबई पहुंची रोहिताश की गाड़ी
24 मार्च 1966 के दिन पंजाब के छोटे से गांव में जन्मे रोहिताश की कॉमिक टाइमिंग का दीवाना आज हर कोई है, लेकिन अभिनेता ने यहां तक का सफर बड़ी मुश्किलों और संघर्षों के साथ पूरा किया. शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के साथ ही रोहिताश को पता था कि उन्हें अपना करियर सिनेमा की दुनिया में बनाना है. ऐसे में अभिनेता ने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया और अभिनय की पढ़ाई-लिखाई पूरी करके मुंबई पहुंच गए, जहां उनका मकसद अपने सपनों की गाड़ी को मायानगरी की तेज भागती सड़कों पर दौड़ाना था.
पैसे बचाने के लिए किया यह काम
'शोला है या है बिजुरिया दिल की बजरिया बम्बई नगरिया....' बप्पी दा का यह गाना रोहिताश को मुंबई पहुंचते ही याद जरूर आया होगा. मुंबई में रहने और खाने का गुजारा करना, वह भी तब, जब आपकी जेब में फूटी कौड़ी न हो, यह अभिनेता से अच्छा कोई नहीं बता सकता. रोहिताश जब मुंबई आए थे तो उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे. ऐसे में अभिनेता ने सिर पर छत ढूंढी तो वह ऐसी, जिसमें एक कमरे में छह लोग रहते थे. बस यहीं से उनके जीवन का वह किस्सा जुड़ा है, जिसने एक बार को उनके अभिनेता बनने के सपने को चकनाचूर कर दिया था.
डॉक्टर की सलाह सुन चौंक गए थे रोहिताश
रोहिताश ने पैसे बचाने के लिए सिर पर छत तो ढूंढ ली थी, लेकिन वह यहां खुश नहीं थे. एक दिन मकान मालकिन ने अपने बेटे का जन्मदिन मनाने के लिए सबको कमरा खाली कर छत पर सोने के लिए कहा. इस बात से सबका मुंह बन गया और बनता भी क्यों न एक तो रात..ऊपर से खुला आसमान रोहिताश की तो नींद ही रफूचक्कर हो गई. पूरी रात हवाई जहाज की आवाजों के कारण रोहिताश सो नहीं पाए और सुबह उठने की कोशिश कि तो उठ नहीं पाए. जब दोस्त रोहिताश को डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे तो वह चौंक गए. डॉक्टर ने उनकी बॉडी में मल्टीपल डिस्क के जुड़े होने की समस्या बताई और उन्हें तुरंत मुंबई छोड़ने की सलाह भी दी.
दूसरी विजिट में रोहिताश ने कहा 'मुझे चांद चाहिए'
ऐसे में खराब मौसम के कारण और डॉक्टर की सलाह मानते हुए हमारे प्यारे 'मनमोहन तिवारी' जी ने मायूसी के साथ मुंबई को अलविदा कह दिया और दिल्ली वापस आ गए. लेकिन अभिनय का कीड़ा नहीं छोड़ पाए और कुछ समय बाद फिर एक बार ले पहुंचे अपने सपनों की गाड़ी मुंबई. इस बार जब रोहिताश गौड़ मुंबई पहुंचे तो उन्हें अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरी की बहन तेजस्वी कोल्हापुरी के कहने पर सतीश कौशिक ने 'मुझे चांद चाहिए' फिल्म में पहला ब्रेक दिया. बस फिर क्या था रोहिताश ने अपने अभिनय का ऐसा जौहर दिखाया कि उनकी गाड़ी मुंबई में दौड़ने लगी. बॉलीवुड फिल्मों में काम करने के साथ-साथ रोहिताश ने टीवी की दुनिया में 'लापतागंज' और 'भाबीजी घर पर हैं' जैसे कॉमेडी सीरियल्स में अपनी छाप छोड़ी. आज वह एंड टीवी के शो 'भाबीजी घर पर हैं' के किरदार मनमोहन तिवारी के रूप में पहचाने जाते हैं.
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