S. P. Balasubrahmanyam Unknown Facts: उनकी आवाज में वह जादू था, जो हर किसी को अपनी तरफ खींच लेता था. बात हो रही है 16 भाषाओं में 40 हजार से ज्यादा गाने गाकर हर किसी को अपना मुरीद बनाने वाले एसपी बालासुब्रमण्यम की, जो 25 सितंबर 2020 के दिन इस दुनिया को अलविदा कह गए थे. आइए आपको उनकी जिंदगी के ऐसे किस्सों से रूबरू कराते हैं, जो आपने शायद कभी नहीं सुने होंगे.


मोहम्मद रफी के फैन थे एसपी बालू


4 जून 1946 के दिन आंध्र प्रदेश के नेल्लौर में जन्मे एसपी बालासुब्रमण्यम को श्रीपति पंडितरधयुला बालासुब्रमण्यम, एसपीबी या सिर्फ बालू के नाम से भी जाना जाता था. उन्होंने हिंदुस्तानी संगीत को बहुत कुछ दिया. अपने करियर में उन्होंने 6 नेशनल अवॉर्ड और 25 प्रतिष्ठित नंदी अवॉर्ड जीते. हालांकि, वह खुद मोहम्मद रफी के फैन थे. मोहम्मद रफी के लिए उनकी दीवानगी इस हद तक थी कि अपने कई इंटरव्यू में उन्होंने इसका जिक्र किया. 


यह गाना सुनकर रोने लगते थे बालासुब्रमण्यम


मोहम्मद रफी को लेकर एसपी बालू के मन में इस कदर दीवानगी थी कि मोहम्मद रफी का एक गाना सुनकर उनके आंसू बहने लगते थे. एक रियलिटी शो में उन्होंने बताया था कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान जब वह सुबह 7:30 बजे साइकिल से कॉलेज जाते थे तो मोहम्मद रफी का गाना 'दीवाना हुआ बादल' सुनते थे. जब उस गाने की लाइन 'ये देख के दिल झूमाSSS...' आती तो एसपी बालू की आंखों से आंसू बहने लगते. वह कहते थे कि मोहम्मद रफी की आवाज में ईश्वरीय शक्ति थी, जिसकी वह से मैं अपने आंसू नहीं रोक पाता था. उन्हें ताउम्र इस बात का मलाल रहा कि वह मोहम्मद रफी के साथ एक भी गाना नहीं गा सके.


कम उम्र में ही संगीत के प्रति बढ़ी थी रुचि


बता दें कि एसपी बालू बेहद कम उम्र में ही संगीत की साधना करने लगे थे. उनके पिता एस. पी. सांबामूर्ति कलाकार थे, जिन्होंने कई नाटकों में अभिनय किया. वहीं, एसपी बालू ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान संगीत की भी तालीम ली. उन्होंने एक म्यूजिक ग्रुप बनाया, जिसमें उनके साथ अनिरुत्त, इलैयाराजा, भास्कर और गंगई अमरन आदि लोग थे. एसपी बालू का पहला ऑडिशन 'निलवे एननिदम नेरुंगाधे' गीत के लिए हुआ. 15 दिसंबर 1966 के दिन उन्होंने तेलुगु फिल्म श्री श्री मर्यादा रमन्ना से बतौर सिंगर अपने करियर की शुरुआत की.


एसपी बालू के नाम यह रिकॉर्ड


एसपी बालासुब्रमण्यम के नाम एक ही दिन में सबसे ज्यादा गानों को गाने रिकॉर्ड भ्ज्ञी है. 8 फरवरी 1981 को उन्होंने सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक बैंगलोर में संगीतकार उपेंद्र कुमार के लिए कन्नड़ में 21 गाने रिकॉर्ड किए. इसके अलावा एक दिन में तमिल में 19 गाने और हिंदी में बैक टू बैक 16 गाने रिकॉर्ड किए. उनकी जिंदगी में ऐसा भी दौर रहा, जब वह एक दिन में सिर्फ आनंद-मिलिंद के लिए 15-20 गाने रिकॉर्ड करते थे और शाम को चेन्नई के लिए आखिरी फ्लाइट लेकर लौट आते थे. 5 अगस्त 2020 को उनके कोरोना संक्रमित होने का पता चला. करीब डेढ़ महीने वह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझते रहे और 25 सितंबर 2020 को इस दुनिया को अलविदा कह गए.


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