पूर्व क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी और शर्मिला टैगोर के बेटे और बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान ने कहा कि पिता के गुजर जाने के बाद पटौदी में अपने पैतृक महल को वापस पाने के लिए उन्हें होटल चेन को किराए पर देना पड़ा था. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में सैफ ने उन मान्यताओं के बारे में बात की, जो उन्हें अपने पिता से पटौदी पैलेस में मिली थीं.


सैफ ने इंटरव्यू में कहा, "जब मेरे पिता (मंसूर अली खान पटौदी) की मृत्यु हो गई, तो इस महल को नीमराणा होटल्स को किराए पर दिया गया. इससे पहले अमन (नाथ) और फ्रांसिस (वाक्झिरग) इसे चलाते थे. फ्रांसिस के निधन के बाद उन्होंने कहा कि मैं यदि महल वापस लेना चाहता हूं तो ले सकता हूं. मैंने कहा, हां, मैं लेना चाहता हूं, तब उन्होंने कहा कि ठीक है, तब आपको इसके लिए हमें बहुत सारे पैसे देने होंगे."



'जवानी जानेमन' स्टार ने बताया कि किस तरह उन्होंने फिल्मों से पैसा कमाकर वह महल वापस लिया, उन्हें वह विरासत में मिला था.


सैफ अली खान ने कहा, "मुझे लगता है कि जो घर मुझे विरासत में मिलना चाहिए था उसे मुझे फिल्मों से कमाए पैसे के माध्यम से वापस मिला. आप अतीत से दूर नहीं रह सकते. कम से कम हम अपने परिवार में नहीं रह सकते, क्योंकि बिना इसके कुछ भी नहीं है. इतिहास, संस्कृति, तस्वीरें बहुत सुंदर है."



पटौदी पैलेस की खासियत के बारे में बताते हुए सैफ ने इंडिया टुडे से कहा कि इस महल का निर्माण 81 साल पहले हुआ था. यह 1935 में आठवें नवाब और पूर्व क्रिकेट दिग्गज इफ्तिखार अली खान पटौदी अली हुसैन सिद्दीकी द्वारा बनाया गया था. कहा जाता है कि इस महल की कीमत 800 करोड़ रुपये है. इसमें 150 से अधिक कमरे हैं और 100 से अधिक लोग यहां काम करते हैं. इफ्तिखार के बेटे और सैफ के पिता मंसूर अली खान पटौदी को एक अंतरराष्ट्रीय वास्तुकार द्वारा पुनर्निर्मित महल मिला था.


महल में कई बड़े मैदान, अस्तबल और गैरेज हैं. नवीनीकरण के बाद, सैफ ने महल की एक तस्वीर साझा की थी. एक बड़े ड्राइंग रूम के अलावा, महल में सात बेडरूम, ड्रेसिंग और बिलियर्ड रूम हैं.


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