Dilip Kumar Death: दर्द बे-रहम है, जल्लाद है, दर्द कुछ कहता नहीं, सुनता भी नहीं, दर्द बस होता है और जब ये दर्द अपनी पूरी कायनात के उजड़ जाने का हो तो दुनिया का कोई मरहम काम नहीं आता. ऐसा ही दर्द मिला है आज सायरा बानो को जिनसे उनकी कायनात यानी दिलीप कुमार हमेशा के लिए जुदा हो गए. दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार का आज सुबह मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. उनके निधन ने उनकी पत्नी और एक्ट्रेस सायरा बानो बुरी तरह से टूट गई हैं. वह दिलीप कुमार से बेहद प्यार करती थीं. दोनों ने साल 1966 में शादी थी और बीते 55 सालों से दोनों साथ में थे, लेकिन दिलीप कुमार की मौत ने दोनों को अलग कर दिया.



अब मोहब्बत की मिसाल कही जाने वाली जोड़ी के लिए ख़्वाहिश-ए-वस्ल और हसरत-ए-दीदार मुमकिन नहीं. अब तो बस उस शख्स की याद ही है, वो सभी यादें जो 55 साल से सायरा समेट रही थीं. 


कभी बोलना वो ख़फ़ा ख़फ़ा कभी बैठना वो जुदा जुदा 
वो ज़माना नाज़ ओ नियाज़ का तुम्हें याद हो कि न याद हो  


वैसे तो मोहब्बत बहुत से लोग करते हैं लेकिन इस शिद्दत से मोहब्बत निभाने का ज़ज्बा शायद किसी सायरा बानो में ही हो सकता है. यह बात इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि दिलीप साहब के लिए मधुबाला उनकी पहली मोहब्बत थीं लेकिन सायरा के लिए दिलीप साहब ही पहली और आखिरी मोहब्बत थे.




फिल्म इंडस्ट्री में आमतौर पर देखा जाता है कि रिश्तों को टूटने में ज़रा भी वक्त नहीं लगता और शोहरत की बुलंदी हासिल कर के भी इंसान अपने अंतिम वक्त में बेहद तन्हां ही रह जाता है. हालांकि दिलीप कुमार के साथ ऐसा नहीं हुआ. सायरा बानों ताउम्र उनकी परछाई की तरह उनके साथ रहीं. दोनों का साथ 55 सालों का रहा. इन 55 सालों में शायद ही 55 सेकेंड का भी वक्त हो जब सायरा बानो ने दिलीप कुमार का साथ छोड़ा हो. 


मोहब्बत उम्र की मोहताज़ नहीं होती यह भी दिलीप कुमार और सायरा बानों की लव स्टोरी से साफ पता चलता है. उम्र में दोनों के बीच 22 साल का अंतर रहा लेकिन मोहब्बत पहले दिन से आखरी दिन तक दोनों के बीच जवां रही.


इश्क़ करना आसान होता है लेकिन उस इश्क़ को पाना उतना आसान नहीं होता. हालांकि मोहब्बत में शिद्दत हो तो क्या नहीं हो सकता है. उस वक्त सायरा बानों फिल्मों में नाम कमा चुकी थीं. उनका नाम कई अभिनेताओं के साथ जोड़ा जाने लगा था लेकिन वो बहुत पहले ही मन से दिलीप साहब को अपना मान चुकी थीं. इधर दिलीप साहब थे जो सायरा के साथ कई फिल्मों को ठुकरा चुके थे. उनका मानना था कि वो बहुत यंग हैं. हालांकि सायरा की खूबसूरती और मोहब्बत में दिलीप साहब को एक दिन गिरफ्तार होना ही पड़ा. साल 1966 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए और हमेशा-हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो गए.


दोनों की शादी तो हो गई लेकिन कई लोग दोनों के उम्र के अंतर के कारण अलग होने की अटकलें लगाने लगे. हालांकि दोनों ने सबको गलत साबित किया और सायरा हर जगह, हर पल दिलीप कुमार के साए की तरह उनके साथ नज़र आईं. 




सायरा ने शादी करने के बाद भी कई बड़ी फिल्मों में काम किया. वो स्टारडम के मुकाम पर थीं लेकिन उन्होंने दिलीप साहब के लिए अपना करियर छोड़ सिर्फ उनके देखभाल में लग गईं. साल 1976 में अपनी मोहब्बत के लिए सायरा बानो ने पूरी तरह से एक गृहिणी बनने का फैसला किया. दिलीप ने उनके फैसले का समर्थन किया.


एक बार को लगा सब ठीक है लेकिन अचानक एक ऐसा मोड़ दोनों की जिंदगी में आया कि एक बार फिर सबको लगने लगा कि अब दोनों के रिश्ते में जरूर कोई दिक्कत आ सकती है. दरअसल 1972 में आठवें महीने में सायरा बानो का गर्भपात हो गया. डॉक्टर बच्चे को नहीं बचा सके और उसके बाद सायरा बानो दोबारा गर्भधारण नहीं कर सकीं. 


मोहब्बत को अभी और इम्तिहान से गुजरना था. जब खबर आई कि सायरा बानों मां नहीं बन सकती हैं तो दिलीप साहब का नाम कई अन्य अभिनेत्रियों के साथ जोड़ा जाने लगा. शादी के कई साल बाद दिलीप साहब ने एक ऐसा कदम उठाया, जिससे सायरा बानो का दिल टूट गया था. दरअसल, दिलीप कुमार सायरा बानो को अपनी जान से भी ज्यादा चाहते थे, लेकिन खबरों के मुताबिक उन्होंने गुपचुप तरीके से असमा रहमान से शादी कर ली थी. हालांकि यह शादी भी टूट गई और दिलीप साहब एक बार फिर वापस सायरा बानो के पास आ गए.


सायरा ने दिलीप साहब की दूसरी शादी को लेकर एक इंटरव्यू में कहा था,' मेरे लिए वो हमेशा दिलीप साहब थे, कोई और नहीं. मैं उस समय से उनकी प्रशंसक थी जब से मैंने उन्हें पहली बार देखा था. किशोरावस्था में ही मैं उनकी पत्नी बनना चाहती थी. मैं बहुत हठी हूं और एक बार जब मैंने अपना मन बना लिया, तो मुझे कोई रोक नहीं सकता था. मुझे पता था कि कई खूबसूरत महिलाएं उनसे शादी करना चाहती हैं, लेकिन उन्होंने मुझे चुना. यह मेरा सपना सच होना था.''




सायरा बानो आखिरी सांस तक दिलीप कुमार के साथ थीं. पिछले कुछ महीनों से अभिनेता की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी. उन्हें नियमित रूप से अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ा. सायरा बानो ने उनका साथ नहीं छोड़ा. उन्हें कई बार अस्पताल में दिलीप साहब के साथ देखा गया. वह अपने प्यार को बचाने के लिए अंतिम समय तक यह सुनिश्चित करती रहीं कि दिलीप कुमार को सर्वोत्तम चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाए.


सायरा बानो ने सिर्फ दिलीप कुमार से मोहब्बत किया नहीं बल्कि निभाया भी. एक पत्नी का धर्म, एक प्रेमिका का धर्म, हर कसौटी पर वो खरी उतरीं. आज दिलीप कुमार के दुनिया से रुख्सत हो जाने से सायरा बानो की जिंदगी थम सी गई है.


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