Bollywood: पूरी लाइब्रेरी की किताबें पढ़ने के बाद सलीम खान ने फिल्म लिखने के लिए उठाई थी कलम
वो उस वक्त माहिम के गेस्ट हाउस में 55 रुपये रोज बेड का किराया देकर रहते थे. इस दौरान सलीम ने चंद महीनों में ओल्ड लाइब्रेरी की पूरी किताबें पढ़कर खत्म कर दीं. एक सुबह वह दोबारा वहां पहुंचे तो गार्ड ने उन्हें हाथ के इशारे से समझा दिया कि लाइब्रेरी में उनके पढ़ने के लिए कोई नई किताब नहीं बची है.
Bollywood: छह पीढ़ी पहले अफगानिस्तान से पढ़ाई के लिए हिन्दुस्तान आए सलीम खान के पुरखों को अंदाजा भी नहीं होगा कि महज इक इत्तेफाक के चलते मुंबई जा रहे बेटे की किस्मत बड़े भाई के तानों से खुल जाएगी. दरअसल जब सलीम खान मुंबई जा रहे थेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे तो उनके भाई ने कहा था कि चंद महीने में सलीम थककर इंदौर लौट आएगा या हर हफ्ते पत्र भेजकर पैसे मांगता रहेगा.
मगर सलीम खान तो कुछ और सोचकर मुंबई गए थे. पहले क्रिकेटर, फिर पायलट और अंत में हीरो बनने की चाहत लिए मायानगरी आए सलीम ने सात साल में 25 फिल्में की. हालांकि इसके बाद उन्हें लगने लगा था कि किरदारों को समझकर भी वह उन्हें उस तरीके से पर्दे पर नहीं उतार पा रहे, जिन्हें सिर्फ वह दूसरों को लिखकर, समझाकर आसानी से करवा पा रहे थे. यह वह वक्त था, जब उन्हें लगा कि अभिनय को अलविदा कहने का यही सही समय है.
वो उस वक्त माहिम के गेस्ट हाउस में 55 रुपये रोज बेड का किराया देकर रहते थे. इस दौरान सलीम ने चंद महीनों में ओल्ड लाइब्रेरी की पूरी किताबें पढ़कर खत्म कर दीं. एक सुबह वह दोबारा वहां पहुंचे तो गार्ड ने उन्हें हाथ के इशारे से समझा दिया कि लाइब्रेरी में उनके पढ़ने के लिए कोई नई किताब नहीं बची है. ऐसे में घर लौटे या काम खोजें कुछ समझ नहीं आ रहा था. रोज बेड का किराया चुकाने को 55 रुपये भी भारी पड़ रहे थे, लेकिन लौटने का इरादा जब-जब करते तो भाई का ताना याद आ जाता था. वे शब्द- 'सलीम थककर लौट आएगा या हर हफ्ते पत्र भेजकर पैसे मांगता रहेगा, उनके कदम हर बार रोक देते.
अब किताबों में झूलते क्रिएटिव दिमाग ने एकदम से उनकी थिकिंग चेज कर दी. जिन किताबों को सलीम खान महीनों तक पढ़ते आए थे, उन्हें ही नए सिरे से लिखने की ठान ली. शुरुआती समय में कुछ हिस्ट्री, मैथॉलॉजी की किताबों को अपने अंदाज में लिखा तो लगा कि क्यों न खुद ऐसे फिक्शन क्रिएट किए जाएं. ऐसे में सलीम को फिल्मकार अबरार अल्वी मिलें, जिन्होंने सलीम को 500 रुपये महीने पर राइटिंग असिस्टेंट के तौर पर रख लिया.
पहली फिल्म के मिले थे 750 रुपये
धीरे-धीरे काम बढ़ा तो जावेद अख्तर के साथ जोड़ी भी बनी. बतौर जोड़ी पहली फिल्म अंदाज के लिए उन्हें 750 रुपये मिले, यहां से शुरू हुई लेखन की कहानी उस दौर में भी पहुंची, जब फिल्म राइटर को एक फिल्म स्टार से अधिक फीस दी गई और यह फिल्म थी, दोस्ताना. इसमें पटकथा लेखक जोड़ी सलीम-जावेद ने लीड एक्टर अमिताभ से अधिक 12.5 लाख रुपये फीस ली थी.