(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
संजय लीला भंसाली ने 13 साल बाद छोड़ा अपना ड्रीम प्रोजेक्ट 'हीरा मंडी'? ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स से मिलाया हाथ
बॉलीवुड के दिग्गज फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 'हीरा मंडी' को फिल्म का रूप नहीं दे पाएंगे. उन्होंने ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स से हाथ मिला लिया है. और अब वह इस पीरियड ड्रामा को एक वेब फिल्म के तौर पर बनाएंगे. यह बड़े पर्दे पर रिलीज नहीं होगी?
संजय लीला भंसाली ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 'हीरा मंडी' को बनाने का फैसला 13 साल बाद छोड़ दिया है. कहा जा रहा है कि संजय लीला भंसाली ने नेटफ्लिक्स से हाथ मिला लिया है और अब इस पीरियड ड्रामा को वेब फिल्म के तौर पर बनाएंगे. हालांकि इसके बारे में को आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, साल 2021 की पहली तिमाही में 'हीरा मंडी' की शूटिंग शुरू होनी थी.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि 'हीरा मंडी' को बड़े पैमाने पर बनाया जाएगा और इसमें संजय लीला भंसाली के सभी एलिमेंट्स देखने को मिलेंगे. यहां तक कि यह भी कहा जा रहा है कि वह खुद इस फिल्म को डायरेक्ट नहीं करेंगे. फिल्म को कथित तौर पर विभु पुरी डायरेक्ट करेंगे. विभु पुरी ने 'हवाईजादा' को डायरेक्ट किया था. इसके साथ ही उन्होंने संजय लीला भंसाली की ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राय बच्चन स्टारर 'गुजारिश' की थी.
'हीरा मंडी' लाहौर के रेड लाइट एरिया की कहानी
इससे पहले माना जा रहा था कि आलिया भट्ट स्टारर 'गंगुबाई काठियाबाड़ी' और 'हीरा मंडी' एक ही प्रोजेक्ट है. हालांकि दोनों ही फिल्मों की कहानी प्रोस्टिट्यूट्शन हब में प्रोस्टिट्यूट की कहानी है, लेकिन दोनों की स्क्रिप्ट एक ही है. 'हीरा मंडी' की कहानी लाहौर शहर के एक रेड लाइट एरिया के कल्चर में महिलाओं की स्थिति पर आधारित है. यह यहां रहने वाली महिलाओं के जीवन और जिनके जीवन में सेक्स ही जॉब है, उस पर फोकस करती है.
अलग है गंगूबाई काठियाहड़ी की कहानी
जबकि 'गंगूबाई काठियाबाड़ी' कमाठीपुरा की मैडम की कहानी है. संजय लीला भंसाली की मच अवेटेड फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' का मोशन पोस्टर रिलीज हो चुका है. यह फिल्म एक रियल महिला अपराधी के जीवन पर आधारित है.मुंबई में कभी अपराध की दुनिया का एक जानामाना नाम था गंगूबाई काठियावाड़ी. महिला होने के बाद भी गंगूबाई के नाम की दहशत से अच्छे अपराधी कांपते थे. अपराध की दुनिया में जहां गंगूबाई के नाम का खौफ था वहीं गरीबों, मजबूर और शोषित महिलाओं और बच्चों के लिए वह किसी मसीहा से कम नहीं थी. गंगूबाई की इमेज किसी रॉबिनहुड से कम नहीं थी.
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