Satish Kaushik Birth Anniversary: दिल में बेइंतहा दर्द रखते थे हर किसी को हंसाने वाले सतीश कौशिक, किस्सा जान आंखों में आ जाएंगे आंसू
Satish Kaushik: फिल्मी पर्दे पर लोगों को ठहाके लगाकर हंसने के लिए मजबूर करने वाले सतीश कौशिक के जीवन के एक दर्द ने उन्हें वर्षों तन्हा रहने पर मजबूर कर दिया था.
Satish Kaushik Birth Anniversary: फिल्मी पर्दे पर कभी वह कैलेंडर बने....तो कभी पप्पू पेजर बन गुंडई दिखाई. कभी मुत्तुस्वामी...तो काशीराम और कभी मामा...किरदार अनेक थे, लेकिन निभाने वाले सिर्फ और सिर्फ एक वही थे. सभी किरदारों में अपनी कॉमिक टाइमिंग से करिश्मा कर दिखाने वाले यह अभिनेता स्क्रीन पर आते ही सभी के चेहरों पर मुस्कान ले आते थे. हालांकि, सबको हंसाने, गुदगुदाने वाले इस बेहतरीन कलाकार की जिंदगी में एक ऐसा दर्द था, जिसे सुनकर सबकी आंखों में आंसू आ जाते हैं. हम बात कर रहे हैं कुछ ही दिनों पहले दुनिया को अलविदा कहने वाले अभिनेता सतीश कौशिक की. आज सतीश कौशिक की बर्थ एनिवर्सरी पर हम आपको उनकी जिंदगी के इकलौते दर्द के बारे में बताने जा रहे हैं…
सबको हंसाने वाले के जीवन का दर्द
कुछ दिन पहले बुझे सिनेमा के इस दीपक के किरदारों की लौ आज भी इतनी बाकी है कि कोई भी उन्हें अपने दिल-ओ-दिमाग से निकाल पाने में असमर्थ है. 13 अप्रैल 1956 के दिन हरियाणा के महेंद्रगढ़ में जन्मे सतीश कौशिक का नाम इंडस्ट्री के शानदार अभिनेताओं और निर्देशकों में गिना जाता है. पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद सतीश ने थिएटर का हाथ थाम लिया था. थिएटर में धीरे-धीरे जादू चलाने के बाद सतीश कौशिक ने साल 1983 में 'मासूम' के जरिए कैमरे के पीछे बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर मासूमियत दिखाकर बॉलीवुड में कदम रखा. इसके बाद वह लगातार सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए और लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे.
जब टुकड़े-टुकड़े हुआ सतीश का दिल
अपने आइकॉनिक किरदारों से फिल्म देखने वालों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देने वाले सतीश कौशिक की जिंदगी में एक ऐसा हादसा हुआ था, जिसने उनके दिल के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. इस हादसे के बाद सतीश कौशिक की हंसी सिर्फ और सिर्फ पर्दे तक ही सीमित रह गई थी. असल जिंदगी में वह गुमसुम रहने लगे थे. दरअसल, सतीश कौशिक की जिंदगी का यह किस्सा उनके बेटे शानू से जुड़ा है. अब आपके दिमाग में सवाल आएगा कौन शानू? क्योंकि सतीश कौशिक की तो बेटी है, जिसका नाम वंशिका है. आपको बता दें कि अभिनेता का एक बेटा भी था, जिसका महज दो साल की उम्र में निधन हो गया था. बेटे का निधन ही सतीश के लिए गमों का वह सागर बन गया था, जिससे निकलना नामुमकिन सा था.
बेटी के आने से उल्टे पैर लौटा बेटे को खोने का दर्द
यह बात है 1990 की, जब सतीश कौशिक के दो साल के बेटे शानू का अचानक निधन हो गया था. बेटे के जाने के गम में सतीश ने अकेले रहना शुरू कर दिया. जिंदगी में आई इस तकलीफ से निकलने के लिए सतीश कौशिक ने कभी अपनेआप को कैद किया तो कभी काम में इतने व्यस्त हो गए कि सोचने का मौका ही न मिले. बेटे के जाने के बाद सतीश इतने तन्हा हो गए कि अभिनेता के लिए उनकी पत्नी भी मानो कहीं गायब ही हो गई थीं. हालांकि, करीब 16 साल बाद वह दिन आया, जब सतीश ने आगे बढ़ने का फैसला किया और साल 2012 में उनके घर सरोगेसी के माध्यम से बेटी वंशिका का जन्म हुआ. कमाल की बात यह है कि बेटी के जन्म की जानकारी देते वक्त भी सतीश कौशिक के अल्फाजों में बेटे शानू को खोने का दर्द साफ नजर आया था. अभिनेता ने कहा था, हमारी बेटी का जन्म एक बच्चे के लिए हमारे लंबे और दर्दनाक इंतजार का अंत है.
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