संसद में Satyajit Ray पर लगा था भारत की इमेज खराब करने का आरोप, फिर Indira Gandhi के कहने पर Nargis ने वापिस लिया था बयान
Satyajit Ray Birth Anniversary: सत्यजीत रे को उनकी फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पद्म श्री और भारत रत्न का सम्मान भी उन्हें प्राप्त है.
Satyajit Ray Birth Anniversary: सत्यजीत रे (Satyajit Ray) भारतीय सिनेमा के मशहूर निर्देशक थे, जिनकी फिल्मों के लोग आज भी दीवाने हैं. निर्देशक ने अपने जीवन में कुल 36 फिल्में बनाईं जिनमें से 32 को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. आज ही के दिन दिवंगत निर्देशक सत्यजीत रे का जन्म हुआ था और 23 अप्रैल 1992 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था. सत्यजीत रे के फिल्मों की इंदिरा गांधी भी बड़ी फैन हुआ करती थीं, वहीं नरगिस दत्त निर्देशक के फिल्मों की मुखालफत करती थीं.
इंदिरा गांधी को भी पसंद थीं सत्यजीत रे की फिल्में
सत्यजीत रे को उनकी फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पद्म श्री और भारत रत्न का सम्मान भी उन्हें प्राप्त है. लीक से हटकर फिल्में बनाना निर्देशक की पहचान थी. अपनी फिल्मों में रे ने आजादी के बाद के गरीब भारत की ऐसी तस्वीर दिखाई कि संसद तक में उनके खिलाफ बहस छिड़ गई थी. एक बार इंदिरा गांधी ने उनसे अपने पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू की डायक्योमेंट्री बनाने के लिए कहा था, जिस पर उन्होंने फौरन इंकार कर दिया. सत्यजीत रे ने इंकार करते हुआ कहा कि वो पॉलिटिकल फिल्में नहीं बनाते. इन सब के बावजूद इंदिरा गांधी निर्देशक की बड़ी प्रशंसक रहीं.
नरगिस दत्त ने निर्देशक की फिल्मों के खिलाफ उठाया था मुद्दा
जहां दुनियाभर में सत्यजीत रे की फिल्मों को पसंद किया जा रहा था, तो वहीं नरगिस दत्त एक ऐसी अदाकारा थीं जो निर्देशक की फिल्मों की जमकर आलोचना करती थीं. उनका कहना था कि सत्यजीत रे की फिल्में दुनियाभर में भारत की छवि को खराब कर रही हैं. एक्ट्रेस के साथ नरगिस राज्यसभा सांसद भी थीं. उन्होंने संसद में सत्यजीत रे की फिल्मों को लेकर मुद्दा उठाया था, जो इंदिरा गांधी को नागवार गुजरा था.
दरअसल इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) सत्यजीत रे की फिल्मों को काफी पसंद करती थीं. नरगिस ने जब निर्देशक की फिल्म को भारत की छवि खराब करने वाला बताया, तो इस पर इंदिरा गांधी ने उनसे अपनी बात को वापिस लेने के लिए कहा था. सत्यजीत रे की चर्चित फिल्मों की बात करें तो 'अपू ट्रायोलॉजी', 'महानगर', 'चारूलता', 'शतरंज के खिलाड़ी' और 'आगुंतक' रही हैं जिसने भारतीय फिल्मों का चेहरा बदल दिया.
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