Shah Rukh Khan Birthday: शाहरुख खान की सबसे आईकोनिक फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’... ये वही फिल्म है जिसमे शाहरुख खान (राज) और सिमरन (काजोल) की लव स्टोरी ने सभी के दिलों पर कब्जा कर लिया. राज बने शाहरुख अपनी प्रेमिका सिमरन के परिवार का दिल जीतने के लिए क्या क्या नहीं करते? वो सिमरन से शादी तो करना चाहते हैं, लेकिन उसके परिवार की रज़ामंदी से. लेकिन परिवार से रजामंदी पाने का रास्ता उनके लिए जरा भी आसान नहीं होता. क्या आपको मालूम है कि DDLJ के राज और सिमरन की तरह ही शाहरुख और गौरी की रियल लव स्टोरी में भी कई मुश्किलें आईं. परिवार की सख्ती, अलग अलग धर्म की उलझन और कई मुश्किलों के बाद भी, ये दिलवाला अपनी दुल्हनिया को ले ही गया.


वो साल था 1984...जब दिल्ली के पंचशील क्लब में चल रही एक पार्टी में 18 साल के शाहरुख की नज़र, 14 साल की गौरी पर पड़ी थी...शाहरुख उन्हें बस देखते ही रह गए. लेकिन उस रोज़, शर्मीले शाहरुख गौरी से बात तक करने की हिम्मत नहीं दिखा पाए. इसके बाद तो जिस पार्टी में भी गौरी के पहुंचने की उम्मीद होती, शाहरुख भी उस पार्टी में पहुंच जाते. और फिर 25 अक्टूबर 1984 को तीसरी मुलाकात में शाहरुख ने गौरी के घर का फोन नंबर हासिल कर ही लिया .



शाहरुख खान एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार से थे . जब शाहरुख 15 साल के थे, उनके पिता मीर ताज मौहम्मद की कैंसर से मौत हो गई थी . उनकी मां लतीफ फातिमा एक एक्सेक्यूटिव मजिस्ट्रेट थीं . पिता की मौत के बाद शाहरुख की मां उन्हे और उनकी बहन को लेकर दिल्ली के गौतम नगर के एक प्लैट में रहने लगी थीं.


वहीं गौरी एक अमीर पंजाबी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती थीं. वो रिटायर्ड आर्मी अफसर रमेश छिब्बा और सविता छिब्बा की बेटी थीं और पश्चिमी दिल्ली के पॉश इलाके पंचशील पार्क में एक joint family में रहती थीं. इस घर में गौरी के मामा तेजिंदर तिवारी और उनकी पत्नी समेत करीब 15 लोग एकसाथ रहते थे .


लेकिन जब प्यार हुआ तो ना धर्म का भेद नज़र आया, ना समाज की दीवारें... शाहरुख को गौरी पसंद आ गई थीं. उनसे फोन पर बात करने का तरीका भी शाहरुख ने निकाल लिया . वो अपनी किसी दोस्त से गौरी के घर फोन करवाते. गौरी के घर जो भी फोन उठाता, शाहरुख की दोस्त उसे अपना नाम शाहीन बताती. शाहीन कोडवर्ड था जिसे सुनकर गौरी समझ जाती कि फोन शाहरुख का है. गौरी के घर किसी को शक भी नहीं होता था . और फिर शाहरुख और गौरी देर तक बातें करते. गौरी और शाहरुख की मुलाकात पार्टियों में ही हो पाती थी जहां गौरी की सहेलियां भी उनके साथ होती थीं. धीरे धीरे ये दोनों long drives पर भी जाने लगे. इसी दौरान शाहरुख ने गौरी को ड्राइव करना भी सिखाया.


छुपछुपकर होती मुलाकातों के जरिए शाहरुख और गौरी का रिश्ता मज़बूत होता गया. मुश्ताक़ शेख़ द्वारा लिखित अपनी जीवनी Shahrukh Can में शाहरुख उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, ‘एक दिन मैंने गौरी को उसके घर छोड़ा. जब वो गाड़ी से उतर रही थी तो मैंने उससे कहा मैं तुमसे शादी करूंगा. इसके बाद बिना उसका जवाब सुने मैं अपनी गाड़ी लेकर वहां से चला आया.’



प्यार भरी बातों और मुलाकातों के बीच तकरीबन पांच साल बीत गए . इसी बीच शाहरुख को टीवी सीरियल दूसरा केवल और दिल दरिया में काम करने का मौका मिल गया था और वो शूटिंग में व्यस्त हो गए. वहीं गौरी दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रैजुएशन करने के बाद फैशन डिजाइनिंग का कोर्स ज्वाइन कर लिया था. लेकिन अब इस रिश्ते को लेकर गौरी परेशान रहने लगी थीं. सबसे बड़ा सवाल ये था कि उनका परिवार किस तरह उनके अलग धर्म के बॉयफ्रेंड को स्वीकार करेगा? यही नहीं वो शाहरुख के एक्टर बनने के फैसले के भी सख्त खिलाफ थीं.


इन्हीं उलझनों के चलते गौरी शाहरुख से कम मिलने लगीं लेकिन शाहरुख अब तक गौरी को लेकर बेहद पजेसिव हो चुके थे. एक मैगजीन में छपे अपने एक लेख में शाहरुख ने लिखा, ‘उस समय गौरी को लेकर मेरी दीवानगी बेहद बढ़ चुकी थी. अगर वो स्विमसूट पहनती या अपने बाल खुले रखती तो मैं उससे लड़ने लगता था. जब वो अपने बाल खोलती थी तो बेहद खूबसूरत लगती थी. मैं नहीं चाहता था कि दूसरे लड़के उसे देखें. मेरे अंदर असुरक्षा की भावना आ गई थी क्योंकि हम ज्यादा मिल नहीं पाते थे और अपने रिश्ते के बारे में ज्यादा बात भी नहीं कर पाते थे.’


लेखक मुश्ताक शेख की किताब शाहरुख can के मुताबिक उस दौर में शाहरुख गौरी से कहते थे, ‘मैं ये नहीं कहता कि मेरे साथ बैठो, बस दूसरों के साथ मत बैठो. तुम अगर मुझको ना चाहो तो कोई बात नहीं...तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी.’ शाहरुख अपनी फिल्म 'डर' में निभाए...क..क..क..किरन वाले किरदार की तरह ही रियल लाइफ में काफी पजेसिव व्बॉयफ्रेंड थे. लेकिन शाहरुख के ऐसे बर्ताव से धीरे धीरे गौरी को इस रिश्ते में बेहद घुटन होने लगी. उन्हें ये सवाल और ज्यादा परेशान करने लगा कि आखिर शाहरुख के साथ उनके रिश्ते का भविष्य क्या होगा?



इन्हीं उलझनों के बीच गौरी का उन्नीसवां जन्मदिन आ गया. जन्मदिन मनाने के लिए शाहरुख ने अपने कमरे को बहुत अच्छी तरह सजाया और गौरी के लिए कई तोहफे रखे. जब गौरी उनसे मिलने आईं तो शाहरुख का दीवानापन देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और फिर वो फूटफूटकर रोने लगीं. शाहरुख समझ नहीं पा रहे ते कि गौरी रो क्यों रही हैं. और फिर अगले ही दिन अचानक, शाहरुख को बताए बिना गौरी शहर से बाहर चली गईं.


कई दिन बीत गए...शाहरुख बेहद परेशान थे. एक दिन शाहरुख ने गौरी का पता जानने के लिए, लड़की की आवाज़ में उनके घर फोन किया तो गौरी के घरवालों ने बताया कि गौरी मुंबई में है लेकिन उनका पता उन्होंने फिर भी नहीं बताया.


शाहरुख को बेहद परेशान देखकर उनकी मां उनके पास आईं. उन्होंने शाहरुख को दस हजार रुपए दिए और कहा- फौरन मुंबई जाओ और जिस लड़की से प्यार करते हो उसे वापस लाओ. फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' का ये सीन भी शाहरुख की रियल लाइफ के सीन से काफी मिलता जुलता था. और फिर DDLJ के राज की तरह ही शाहरुख अपनी रियल लाइफ की सिमरन यानि गौरी को ढूंढने निकल पड़े.


अगले ही दिन अपने दोस्त बेनी के साथ शाहरुख मुंबई पहुंच गए. वो बस ये जानते थे कि गौरी को समंदर किनारे जाना बेहद पसंद है. लेकिन बिना किसी पते के इतने बड़े शहर में गौरी की तलाश आसान नहीं थी. गौरी का पता नहीं चल रहा था और शाहरुख के दोस्त उन्हे बार बार वापस दिल्ली लौटने को कह रहे थे. लेकिन शाहरुख नहीं माने. मुंबई में पहले दो दिन शाहरुख अपने एक दोस्त के फ्लैट में रहे लेकिन तीसरे दिन जब दोस्त के माता-पिता आ गए तो मुंबई में अपनी तीसरी रात इन्हे वीटी स्टेशन के पास एक बेंच पर गुजारनी पड़ी.


उस रात को याद करते हुए लेखक मुश्ताक शेख की किताब शाहरुख कैन में शाहरुख के दोस्त बेनी कहते हैं, 'सुबह जब हम उठे तो पास के ताज होटल में मरम्मत का काम चल रहा था. हम चुपके से होटल के बाथरूम में घुस गए और हमने वहीं नहा कर कपड़े बदले. इसके बाद हम मरीन ड्राइव गए और यहीं शाहरुख ने मेरे सामने कहा- एक दिन मैं इस शहर पर राज करूंगा.' फिल्म पत्रकार अनुपमा चोपड़ा द्वारा लिखित शाहरुख की जीवनी King of Bollywood में उस दिन को याद करते हुए बेनी कहते हैं, ‘मैं कसम खाकर कहता हूं शाहरुख ने ऐसा कहा था. मैंने उसकी बात सुनकर कहा था कि चुप हो जाओ, बकवास मत करो.’



गौरी की तलाश में कई दिन बीत गए. सड़को पर खाना खाया, बेंच पर सोए... लेकिन गौरी का कोई पता नहीं चला. फिर धीरे धीरे मां के दिए पैसे भी खत्म हो गए और शाहरुख को अपना कीमती कैमरा चार हजार रुपए में बेचना पड़ा. लेकिन गौरी से मिले बिना वो लौटने को बिलकुल तैयार नहीं थे.


गौरी को समुद्र बेहद पसंद था और शाहरुख उनकी तलाश अलग अलग ‘बीच’ पर कर रहे थे लेकिन जब गौरी कहीं नहीं मिलीं तो वो बेहद मायूस हुए. उत्तर मुंबई के गोराई बीच से लौटते हुए शाहरुख को अचानक एक प्राइवेट बीच नजर आया...अपने ऑटोरिक्शा ड्राइवर को शाहरुख ने उस बीच की तरफ चलने को कहा....और यहीं पर...आखिरकार शाहरुख को उनकी गौरी नजर आ ही गईं.... अपनी जीवनी शाहरुख कैन में शाहरुख उस पाल को याद करते हुए कहते हैं, ‘वो वहीं थी . एक टी-शर्ट पहने हुए...समंदर किनारे खड़ी हुई . वो मेरे पास आई , मुझे गले से लगा लिया और रोने लगी . उस पल मुझे अहसास हुआ कि मैं बेकार में ही उसपर जरूरत से ज्यादा हक जमाने लगा था. मुझे ये अहसास भी हो गया कि मुझसे ज्यादा प्यार गौरी से कोई नहीं कर सकता और इस बात ने मुझे बेहद आत्मविश्वास दिया.’


गौरी दिल्ली वापस तो आ गईं लेकिन वो अब भी इस रिश्ते के बारे में फैसला नहीं ले पा रही थीं. उन्होंने शाहरुख से कहा कि वो कुछ दिन तक उनसे नहीं मिलना चाहतीं. जिस गौरी के पीछे शाहरुख दीवाने हो गए थे, उनकी ये बात सुनकर शाहरुख का दिल टूट गया. इसके बाद शाहरुख अपने टीवी सीरियल और थिएटर के काम में डूब गए. उन्होंने गौरी को फोन करना भी बंद कर दिया.


तकरीबन चार महीने बाद शाहरुख को गौरी का खत मिला जिसमें गौरी ने लिखा था कि वो उन्हे बेहद मिस कर रही हैं. इसके बाद गौरी शाहरुख से मिलने आ पहुंची और बताया कि वो इस बीच शादी के लिए कई लड़को से मिली हैं लेकिन वो अब किसी से मिलना नहीं चाहतीं क्योंकि उन्हें सिर्फ और सिर्फ शाहरुख ही पसंद हैं. शाहरूख खान बताते हैं, ‘उसी पल हम दोनों ने दिल ही दिल में ये फैसला कर लिया कि हम एक-दूसरे से शादी जरूर करेंगे.’



अब तक टीवी सीरियल 'दिल दरिया', 'फौजी' और 'दूसरा केवल' के जरिए शाहरुख टेलीविजन में अपनी छाप छोड़ रहे थे. फौजी में शाहरुख का निभाया नौजवान फौजी का किरदार अभिमन्यु राय तो बेहद हिट हो गया था और दिल्ली की सड़को पर कई लोग अब शाहरुख को पहचानने भी लगे थे.


शाहरुख के कुछ फैन पंचशील पार्क के छिब्बा परिवार में भी थे. गौरी के पिता रमेश छिब्बा आर्मी के रिटायर्ड मेजर थे और फौजी में निभाया गया शाहरुख का किरदार उन्हे बेहद पसंद आया था. लेकिन वो ना तो अभिमन्यु का किरदार निभाने वाले इस लड़के का नाम जानते थे...और ना ही उन्हें ये खबर थी कि यही लड़का उनकी बेटी से शादी करना चाहता है. और फिर एक दिन...जब गौरी के पिता को पता चला कि गौरी शाहरुख नाम के लड़के के साथ पंचशील क्लब में है तो वो फौरन पंचशील क्लब की तरफ रवाना हो गए. लेकिन गौरी की बहन प्रियंका ने उसे सही वक्त पर इस बात की खबर दे दी और पिता के आने से पहले ही गौरी और शाहरुख वहां से खिसक लिए. एक दूसरे धर्म के लड़के के साथ गौरी के रिश्ते की खबर ने उनके माता-पिता को हिला कर रख दिया था.


इसके हंगामे के बाद कई दिन तक शाहरुख और गौरी एक दूसरे से नहीं मिले. इसी दौरान शाहरुख को अज़ीज मिर्ज़ा के टीवी सीरियल 'सर्कस' का ऑफर मिला जिसके लिए उन्हे मुंबई जाना था. शाहरुख फिल्मों में भी काम करना चाहते थे. और इसीलिए वो ये मौका गंवाना नहीं चाहते थे. मगर गौरी को जब ये बात पता चली तो वो बेहद नाराज़ हुईं. गौरी शाहरुख के एक्टिंग करियर के खिलाफ थीं और उनके रिश्ते में चल रही उलझनों को बीच, शाहरुख के मुंबई जाने के फैसले ने उन्हे हिला कर रख दिया.


शाहरुख टीवी सीरियल 'सर्कस' में काम करने के लिए मुंबई आ गए. वो हर रोज़ शिवाजी पार्क के एक पीसीओ से गौरी को फोन करते लेकिन गौरी उनके जाने से बेहद अकेली पड़ गई थीं. वो बार बार शाहरुख को वापस लौट आने को कहतीं. लेखक मुश्ताक शेख की किताब शाहरुख कैन में शाहरुख कहते हैं, ‘फोन पर हमारी बातें ज्यादातर लड़ाई पर खत्म होतीं क्योंकि गौरी को बिलकुल पसंद नहीं था कि मैं उससे दूर रहूं. वो कहती कि तुम मुझे छोड़ कर चले गए. मैं उससे कहता कि मैं क्या करूं? क्या मैं काम करना छोड़ दूं? वो पूछती थी कि तुम वहां क्या कर रहे हो? किस हीरोइन के साथ हो? वो फिल्म इंडस्ट्री के बारे में अलग अलग बातें सुनती थी और परेशान हो जाती थी. तब तक मैं फिल्म 'राजू' बन बया जेंटलमैंन साइन कर चुका था और पूरी टीम गौरी के बारे में जानती थी.’


शाहरुख बीच बीच में गौरी से मिलने दिल्ली भी आते रहे. शाहरुख पूरी तरह मुंबई शिफ्ट होने का फैसला भी नहीं ले पा रहे थे क्योंकि गौरी और उनकी मां दिल्ली में थीं. लेकिन 1991 की शुरुआत में अचानक शाहरुख की मां की तबीयत खराब हो गई. 15 अप्रैल 1991 को शाहरुख की मां लतीफ फातिमा नहीं रहीं. मां की मौत ने शाहरुख को तड़ कर रख दिया....घर का हर कोना उन्हे मां की याद दिलाता था और अपनी मां की मौत के 2 हफ्ते बाद ही उन्होंने फैसला कर लिया कि अब वो ये दिल्ली छोड़कर...मुंबई शिफ्ट हो जाएंगे.



गौरी और शाहरुख ने ये फैसला भी कर लिया कि अब गौरी के परिवार को सच बताना ही पड़ेगा और फिर...गौरी के परिवारवालों का दिल जीतने का मिशन शुरू हो गया. सबसे पहले शाहरुख गौरी के मामा-मामी तेजिंदर और नीरू से मिले और पहली मुलाकात में ही उन्हे इंप्रेस कर दिया. गौरी के मामा तेजिंदर ने शाहरुख से कहा कि कुछ दिन में उनके घर एक पार्टी है और वो चाहते हैं कि शाहरुख भी वहां आएं और गौरी के माता-पिता से मिलें. और फिर...गौरी के घर में हो रही उस पार्टी में शाहरुख पहुंच गए. वहां मौजूद कई मेहमान उन्हें टीवी सीरियल शाहरुख को सीरियल फौजी के अभिमन्यु के रूप में पहचान गए और उनसे बात करने लगे.


फिल्म पत्रकार अनुपमा चोपड़ा द्वारा लिखित शाहरुख की जीवनी King of Bollywood के मुताबिक गौरी के पिता रमेश छिब्बा भी उन्हे देख कर बेहद खुश हुए. शाहरुख के पास आकर वो प्यार से बोले, ‘तुम्हारा नाम क्या है?’ उनके सवाल का जवाब देते हुए शाहरुख बोले- 'सर, आपने मेरा सीरियल फौजी देखा होगा, उसमें मेरा नाम अभिमन्यु है’. रमेश, ‘सीरियल को भूल जाओ...तुम्हारा नाम क्या है.’


शाहरुख (घबराते हुए), ‘सर मेरा नाम शाहरुख खान है.’ ये सुनते ही रमेश छिब्बा समझ गए कि उनकी बेटी गौरी का वो करीबी दोस्त यही है. उन्होंने शाहरुख से कहा, ‘यहां कुछ इज्जतदार लोग आए हुए हैं और मैं उनके सामने कोई हंगामा खड़ा नहीं करना चाहता. बेहतर होगा अगर तुम फौरन यहां से चले जाओ.’


मौके की नज़ाकत समझते हुए शाहरुख वहां से चले गए . लेकिन जाने से पहले वो किचन में गए और गौरी की मां को स्वादिष्ट पकौड़े खिलाने के लिए धन्यवाद दिया. मां बड़ी इंप्रेस हुईं, उस समय तक उन्हें ये नहीं पता था कि फौजी सीरियल वाला ये लड़का वापस क्यों जा रहा है? लेकिन जब उन्हें पूरी बात पता चली तो वो रो पड़ीं और कहने लगीं कि गौरी की परवरिश में आखिर उनसे क्या गलती हो गई?


गौरी के परिवार में हंगामा मचा था. दोनों के रिश्ते में सबसे बड़ी परेशानी धर्म की ही थी कि शाहरुख एक मुस्लिम थे और गौरी एक हिंदू ब्राह्मण. गौरी के परिवार का ये भी कहना था कि एक एक्टर के साथ उनकी बेटी का क्या भविष्य होगा? वहीं गौरी का भाई विक्रांत ने शाहरुख को फोन करके धमकी दी कि वो गौरी से दूर रहे वर्ना अंजाम ठीक नहीं होगा.


अनुपमा चोपड़ा द्वारा लिखित शाहरुख की जीवनी King of Bollywood के मुताबिक उस समय में गौरी ने शाहरुख से कहा कि वो उनके मां-बाप से झूठ बोल दें कि उनके बैंक अकाउंट में 20 लाख रुपए हैं और वो गौरी से शादी करने के बाद उन्हे बेहद खुश रखेंगे. लेकिन शाहरुख ने साफ इंकार कर दिया. उनके अकाउंट में उस समय सिर्फ 28 हजार रुपए थे. जब गौरी के मामा तेजिंदर ने भी शाहरुख से झूठ बोलने को कहा तो शाहरुख ने उनसे कहा, ‘मैं गौरी के माता-पिता यकीन दिलाऊंगा कि मैं एक बेहद कामयाब फिल्म स्टार बनने वाला हूं. आप देखिए, अमिताभ बच्चन रिटायर हो गए हैं, दिलीप साब काफी बुजुर्ग हैं और इनके बाद मुझे सिर्फ एक ही आदमी नज़र आता है और वो है शाहरुख खान.’


तेजिंदर शाहरुख की बात सुनकर कुछ नहीं बोले. इसके बाद इसी टेंशन के बीच शाहरुख वापस मुंबई चले गए और अपनी फिल्म 'चमत्कार' की शूटिंग में व्यस्त हो गए. लेकिन गौरी की मां इस मुद्दे पर बेहद तनाव में थीं. इसी हालत में उन्होंने एक दिन नींद की कई गोलियां खा लीं. उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया और बड़ी मुश्किल से उनकी जान बच पाई.


गौरी की मां के इस कदम के बाद तो शाहरुख और गौरी कमजोर पड़ने के बजाय और मजबूत हो गए. उन्होंने फैसला कर लिया और कोर्ट मैरिज करने के लिए अर्जी दे दी. यानि अब तीस दिन के अंदर शाहरुख और गौरी कोर्ट में शादी करने वाले थे. लेकिन शाहरुख अब भी, किसी भी तरह इन 30 दिनों में गौरी के माता-पिता को शादी के लिए मनाना चाहते थे. शाहरुख ने गौरी के माता-पिता को फोन कर दिया और कहा कि उन्होंने और गौरी ने शादी कर ली है. गौरी के माता-पिता ये सुनकर सन्न रह गए. लेकिन बाद में शाहरुख ने उनके घर जाकर उन्हें समझाया कि उन्होंने शादी नहीं की है लेकिन जल्द ही कर लेंगे चाहे वो माने या ना माने.


गौरी के माता-पिता समझ चुके थे कि गौरी और शाहरुख अब किसी भी तरह उनकी बात नहीं मानेंगे इसलिए आखिरकार उन्होंने उनकी शादी के लिए हां कह ही दी. और फिर 25 अगस्त 1991 को शाहरुख और गौरी ने कोर्ट में शादी कर ली. शाहरुख और गौरी का निकाह भी हुआ जिसमें गौरी का नाम रखा गया आयशा.



इसके बाद 26 अक्टूबर 1991 को हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक दोनों की शादी हुई. शाहरुख के करीबी लोग और फिल्म इंडस्ट्री के उनके दोस्त राजीव मेहरा, अज़ीज़ मिर्जा और विवेक वासवानी उनकी बारात में शामिल हुए. शाहरुख उस वक्त अपनी फिल्म 'राजू बन गया जेंटलमैन' की शूटिंग कर रहे थे और उसी फिल्म का सूट पहनकर दूल्हा बने. अपनी बारात में शाहरुख एक हाथी पर चढ़कर आए और सबसे ज्यादा खुद ही नाचे.


जब बारात गौरी के घर पहुंची तो उनके पिता ने बैंड वालों से कह दिया कि वो शाहरुख की फिल्म 'दीवाना' और 'राजू बन गया जेंटलमैन' के गाने ही बजाएं. हिंदू रीति-रिवाजों से हुई इस शादी में शाहरुख का नाम भी बेहद फिल्मी रखा गया- ये नाम था जीतेन्द्र कुमार तुली. जीतेन्द्र इसलिए क्योंकि शाहरुख की दादी कहती थीं कि उनकी शक्ल अभिनेता जीतेन्द्र से मिलती है और तुली अभिनेता राजेन्द्र कुमार का सरनेम था.


शादी के अगले ही दिन शाहरुख और गौरी मुंबई रवाना हो गए क्योंकि शाहरुख को फिल्म 'दिल आशना है' की शूटिंग करनी थी. अगले पांच महीने तक दोनों निर्देशक अज़ीज मिर्जा के फ्लैट में रहे. गौरी मुंबई में नई थीं और शाहरुख फिल्म इंडस्ट्री में पैर नहीं जमा पाए थे. शुरुआत में दोनों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन शाहरुख गौरी के बार बार यही यकीन दिलाते कि अच्छे दिन बहुत जल्दी आएंगे.


25 जून, 1992 को शाहरुख की पहली फिल्म 'दीवाना' रिलीज़ हुई. दक्षिण दिल्ली में पूरा छिब्बा परिवार भी सपना थिएटर में अपने दामाद शाहरुख की पहली फिल्म देखने पहुंचा था लेकिन इंटरवल तक फिल्म में सिर्फ ऋषि कपूर और दिव्या भारती ही थे, शाहरुख की झलक तक नहीं दिखाई दी.


इंटरवल के फौरन बाद फिल्म में इस गाने के शाहरुख खान की एंट्री हुई. थिएटर में फिल्म देख रहे तेजिंदर ने देखा की तालियों और सीटियों की आवाज से थिएटर गूंज उठा. यही हाल मुंबई में भी था...निर्देशक राज कंवर ने देखा कि शाम के शो में हर कोई फिल्म के साइड हीरो शाहरुख की ही बात कर रहा है...उनके हर डायलॉग पर तालियां बज रही थीं.


फिल्म खत्म होते ही गौरी के मामा तेजिंदर ने दिल्ली से शाहरुख को फोन किया और भावुक होते हुए कहा...तुम एक सुपर स्टार हो.