नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में मेस चलाते थे Shah Rukh Khan के पिता, उनके बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप
Shah Rukh Khan On His Father: रोमांस का बादशाह भला शाहरुख खान के अलावा और कौन हो सकता है. शाहरुख खान बॉलीवुड के बादशाह ऐसे ही नहीं बन गए. आप भी जानिए कि आखिरकार कैसे मिला बॉलीवुड को उसका बादशाह.
Shah Rukh Khan On His Father: चाहे कोई हीरो हो या आम इंसान ज्यादातर फैमिली में बच्चों के आइडल उनके मां-बाप ही होते हैं. आमतौर पर जो लड़के होते हैं वह अपने पिता से ही प्रेरित होते हैं. ऐसे ही एक आज का सुपरस्टार है जो अपने पिता को अपना हीरो मानता है, उनको अपने पिता मीर ताज मोहम्मद खान की दी हुई सीख आज भी याद है. फिर चाहे वो पर्सनल लाइफ को लेकर हो या फिर प्रोफेशनल लाइफ को लेकर. मायापुरी मैगजीन में छपे एक लेख में शाहरुख से जुड़ी कई दिलचस्प बातों को बताया गया है.
पिता थे आर्दश - शाहरुख के पिता मीर ताज मोहम्मद खान एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने खान अब्दुल गफ्फर खान से प्रेरित खुदाई खिदमतगार आंदोलन में भाग लिया था. जिन्हें फ्रंटियर गांधी के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने आखिर में दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में मेस चलाने का निर्णय लिया. उनका लिया गया यह निर्णय उनके बेटे शाहरुख का भविष्य बना गया. इस ड्रामा स्कूल में वह अक्सर शाहरुख को अपने साथ ही ले जाया करते थे. यहां से ही शाहरुख ने सबसे पहली बार किसी अच्छे नाटक और अच्छे अभिनय के लिए सोचा.
सूरज का सातवां घोड़ा - जब शाहरुख ने ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ जैसा अद्भूत नाटक देखा. इस बीच वह राज बब्बर, सुरेखा सीकरी, अजीत वच्छानी, रोहिणी हट्टंगड़ी और अन्य जैसे महान अभिनेताओं से मिले, जिनसे शाहरुख को पता चला कि अभिनय क्या है और अभिनय को कैसे सीखा जा सकता है. उन्होंने मन ही मन में यह तय कर लिया था कि उन्हें अभिनय ही करना है, लेकिन अपने इस डिसिजन को बताने के लिए उनके अंदर हिम्मत नहीं थी. जब उनके पिता ने शाहरुख से खुद पूछा कि वह अपनी लाइफ में क्या करने चाहते हैं, तो उन्होंने कहा कि कुछ नहीं, जिसके बाद वह अपने पिता की शांत प्रतिक्रिया से दिए गए जवाब से सरप्राइज हो गए जब उन्होंने कहा कि ‘जो कुछ नहीं करते, वो कमाल करते हैं’. उनके पिता को मन ही मन ये बात यह विश्वास हो गया था कि वह अभिनेता बनना चाहते थे.
शाहरुख के गुरु
बैरी जॉन, सईद मिर्जा, अख्तर मिर्जा, कर्नल राज भारती और लेख टंडन जैसे गुरुओं ने शाहरुख की अभिनय सीखने में मदद की. इसके अलावा उन्होंने टीवी सीरियल में काम दिया. इसके बाद हेमा मालिनी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘दिल आशना है’ में शाहरुख खान को बतौर लीड हीरो के तौर पर बॉलीवुड में लॉन्च किया. माता-पिता की मृत्यु के बाद शाहरुख दिल्ली छोड़कर जेब में केवल 100 रुपए लिए और अपने दिल में कई सारे सपने लिए सपनो की मायानगरी मुंबई पहुंच गए.
बांद्रा का एक किस्सा
एक बार की बात है जब शाहरुख बांद्रा स्टेशन के पास एक लकी नाम के रेस्टोरेंट के बाहर खड़े थे और उन्होंने आसमान की तरफ देखकर जोर से चिल्लाया ‘मैं तुम्हें एक दिन जीत लूंगा’. वह दिन है और आज का दिन है शाहरुख खान ने लोगों के सामने ऐसी मिसाल कायम की है कि अब आज की जेनरेशन उन्हें अपना आइडल मानती है.
'कबड्डी' की वजह से Katrina Kaif को ऐड शूट से कर दिया गया था आउट, आज लाखों दिलों पर करती हैं राज