न्यायिक प्राधिकरण (एए) ने खान और एक कंपनी डेजा वू फॉर्म्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आदेश जारी करने के लिए आयकर विभाग को कड़ी फटकार लगाई. इस कंपनी में खान की पत्नी गौरी खान और उनके ससुराल पक्ष के लोग हिस्सेदार हैं.
प्राधिकरण ने कहा कि पिछले साल फरवरी में एक स्वतंत्र निकाय द्वारा कारोबार के संदर्भ में जो वाणिज्यिक लेनदेन किया गया उसे बेनामी लेनदेन के तौर पर नहीं देखा जा सकता क्योंकि इसके वित्त की व्यवस्था ऋण के माध्यम से की गई.
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प्राधिकरण के अध्यक्ष डी. सिंघई ओर सदस्य (विधि) तुषार वी. शाह की खंड पीठ ने कहा, ‘‘ हम इस निर्णय पर पहुंचे हैं कि तालुका अलीबाग के ठाल गांव की यह कृषि भूमि और उस पर बना ढांचा बेनामी संपत्ति नहीं है और जांच अधिकारी द्वारा इसकी कुर्की जायज नहीं है.’’
कर विभाग ने अलीबाग स्थित इस कृषि भूमि, इस पर बने फार्म हाउस और प्लॉट को कुर्क किया था. इन सबका मूल्य करीब 15 करोड़ रुपये है. उसने इस मामले में मेसर्स देजा वू फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड और 53 वर्षीय खान को इसमें वादी बनाया था.
विभाग ने बेनामी संपत्ति लेनदेन रोकथाम कानून के तहत कंपनी को बेनामीदार माना क्योंकि उसके नाम पर यह संपत्ति ली गई है. जबकि खान को इस संपत्ति का लाभार्थी माना क्योंकि उन्होंने इसके लिए भुगतान किया. बेनामी लेनदेन रोकथाम कानून वर्ष 1988 में बन गया था लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने नवंबर 2016 में इसे लागू किया.
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प्राधिकरण की पीठ ने आयकर विभाग को फटकार लगाई कि ‘कुछ मीडिया रपटों और ऑनलाइन लेखों’ पर विश्वास करके उसने खान को अपने लाभ के लिए बेनामी संपत्ति खरीदने का आरोपी बनाया जो ‘कानून की नजर में गलत और अस्वीकार्य है.’
प्राधिकरण ने 23 जनवरी के अपने आदेश में कहा कि इस बात का कोई आधार नहीं है कि देजा वू फार्म्स ने खान के तत्काल या भविष्य में फायदे के लिए यह संपत्ति खरीदी है.
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