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शर्मिला टैगोर बोलीं, भारतीय दर्शकों को पर्दे पर आंसू देखना पसंद है
शर्मिला टैगोर का कहना है कि लोग वास्तविक जीवन में भले ही किसी को रोते न देखना चाहें लेकिन पर्दे पर उन्हें किरदारों को आंसू बहाते देखना अच्छा लगता है.
बॉलीवुड एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर का कहना है कि असल जिंदगी में किसी को कोई रोते हुए देखना पसंद नहीं करता. शर्मिला टैगोर का कहना है कि लोग वास्तविक जीवन में भले ही किसी को रोते न देखना चाहें लेकिन पर्दे पर उन्हें किरदारों को आंसू बहाते देखना अच्छा लगता है.
उन्होंने कहा कि बॉलीवुड की फिल्मों का भावनात्मक पहलू भारतीय दर्शकों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है. शर्मिला ने कहा ‘‘हमारे परिवार के सदस्य, मित्र और यहां तक मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों को भी लोगों की आंखों में आंसू देखना अच्छा नहीं लगता. लेकिन जहां तक हमारे दर्शकों की बात है तो उन्हें पर्दे पर आंसू देखना पसंद है.’’
एक कार्यक्रम के सिलसिले में यहां आईं शर्मिला ने 1972 में आई अपनी फिल्म ‘‘अमर प्रेम’’ के एक चर्चित दृश्य का जिक्र भी किया जिसमें राजेश खन्ना उनसे कहते हैं ‘‘पुष्पा, मुझसे ये आंसू नहीं देखे जाते, आई हेट टीयर्स’’ . कार्यक्रम के दौरान इस पंक्ति वाला दृश्य दिखाया गया. ‘अमर प्रेम’ में शर्मिला और राजेश खन्ना ने अभिनय किया था. शर्मिला ने कहा कि दर्शकों को आंसू अच्छे लगते हैं, अन्यथा फिल्म एक दिन भी नहीं चलती.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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