Shekhar Suman Story: बॉलीवुड एक्टर शेखर सुमन इन दिनों हाल ही में रिलीज हुई अपनी सीरीज 'हीरामंडी' को लेकर सुर्खियों में हैं. संजय लीला भंसाली की इस सीरीज में एक्टर ने जुल्फिकार का किरदार निभाया और मनीषा कोइराला के साथ इंटीमेट सीन देकर सुर्खियों में आ गए. इसके अलावा एक्टर अब राजनीति में शामिल होने को लेकर चर्चा में हैं.


शेखर सुमन आज भले ही लाइमलाइट में हैं और शोहरत एंजॉय कर रहे हैं, लेकिन अपनी जिंदगी में उन्होंने बहुत कुछ सहा है. एक्टर ने अपने 11 साल के बेटे को खोया है और ये उनका लाइफ की सबसे बड़ी ट्रेजेडी रही है. जिसके बाद शेखर का भगवान पर से विश्वास ही उठ गया और उन्होंने अपने घर में मौजूद मंदिर को बंद कर दिया.


इस वजह से उठा भगवान से भरोसा
कनेक्ट एफएम कनाडा को दिए एक इंटरव्यू में शेखर सुमन ने अपने दिवंगत बेटे आयुष को याद किया. उन्होंने बताया कि कैसे उनके बेटे को एक बीमारी हुई और उसका इलाज कराने के लिए उन्होंने हर मुमकिल कोशिश की. लेकिन जब लाख कोशिशों के बाद भी उनका बेटा नहीं बचा तो उनका भगवान पर से भरोसा ही उठ गया.


'सभी मूर्तियां ले जाकर बाहर फेंक दीं...'
शेखर सुमन ने कहा-'सभी मूर्तियां ले जाकर बाहर फेंक दीं. मंदिर बंद कर दिया था. मैंने कहा कि मैं उस भगवान के पास कभी नहीं जाऊंगा जिसने मुझे इतना दर्द दिया, मुझे इतना दुख पहुंचाया, एक खूबसूरत, मासूम बच्चे की जान ले ली. 


बेटे के लिए हर मंदिर-मजार पर मांगी दुआ
बता दें कि शेखर सुमन के बड़े बेटे आयुष को दिल की बीमारी थी जिसके इलाज के लिए एक्टर उन्हें लंदन तक ले गए थे. एक्टर ने किसी मंदिर और मजार पर दुआ मांगने से गुरेज नहीं किया. यहां तक कि उन्होंने बौद्ध धर्म तक को अपना लिया था. लेकिन जब इन सबके बावजूद जब उनके बेटे की मौत हो गई तो एक्टर ने भक्ति पर से अपना भरोसा उठा लिया.


ये भी पढ़ें: Panchayat 3 Release: 'लौकी कटेगा सबमें बटेगा...' मेकर्स ने अलग अंदाज में शुरू किया 'पंचायत 3' की रिलीज डेट का प्रमोशन