बेनेगल का नाम एक स्वतंत्र समिति द्वारा सर्वसम्मति से चुना गया. समिति में किरण शांताराम, राहुल रावैल, प्रसून जोशी, भारती प्रधान और विनोद अनुपम शामिल थे. समिति ने भारत के वृत्तचित्र आंदोलन के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान को ध्यान में रखते हुए इस पुरस्कार के लिए चुना.
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73 वर्षीय बेनेगल एक सम्मानित और दिग्गज फिल्मकार हैं जिन्हें समकालीन भारतीय अनुभवों के आसपास केंद्रित विचारोत्तेजक फिल्मों और देश के नए सिनेमा के अगुवा के रूप में जाना जाता है.
अपने करियर के दौरान उन्होंने 28 फीचर फिल्मों का निर्माण किया, जिसमें अंकुर, निशांत, मंडी, भूमिका, मंथन और जुनून जैसी क्लासिक फिल्में शामिल हैं. इसके अलावा उन्होंने 41 डॉक्युमेंट्री बनाई जिसमें सांस्कृतिक, नृविज्ञान, टिकाऊ विकास, जीवन शैली, कला और संस्कृति समेत तमाम विषय शामिल हैं.
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उन्हें अपनी डॉक्युमेंट्री 'सत्यजीत रे' (1982) के लिए के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. उन्हें अपनी फिल्मों और वृत्तचित्रों के लिए कुल नौ राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. 2005 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया था. वह पद्मभूषण से सम्मानित हो चुके हैं.
एमआईएफएफ का वी. शांताराम लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड उस दिग्गज फिल्मकार को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है, जिन्होंने फिल्मों की दुनिया में उत्कृष्ट योगदान दिया हो. इस पुरस्कार को महान फिल्म निर्माता शांताराम राजाराम वानकुदरे की स्मृति में स्थापित किया गया था, जिन्हें वी. शांताराम के नाम से जाना जाता है.