नई दिल्ली: कोरोना वायरस को मात दे चुकीं सिंगर कनिका कपूर ने कोरोना के अन्य मरीज़ों के इलाज के लिए अपना प्लाज़मा डोनेट करने की पेशकश की है. लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल के अधिकारियों ने ये जानकारी दी. कनिका हाल ही में अस्पताल से डिस्चार्ज हुई हैं.


आपको बता दें कि पिछले महीने कनिका कपूर का कोरोना टेस्ट पॉज़िटिव आने के बाद बवाल मच गया था. उन पर लापरवाही के आरोप लगे थे और कई धाराओं में मामला भी दर्ज किया गया था. हालांकि कनिका ने अस्पताल से डिस्चार्च होने के बाद खुद पर लगे आरोपों पर इंस्टाग्राम पोस्ट के ज़रिए सफाई भी पेश की.


आज कनिका कपूर को 30 अप्रैल सुबह 11 बजे सरोजनी नगर पुलिस स्टेशन पर पेश होने का नोटिस दिया गया. लखनऊ के महानगर इलाके में मौजूद शालीमार गैलन्ट अपार्टमेंट में मौजूद कनिका ने ख़ुद नोटिस रिसीव किया. सरोजिनी नगर थाने से चौकी इंचार्ज जग प्रसाद नोटिस लेकर पहुंचे थे. बता दें कि कनिका फिलहाल एसजीपीजीआई से डिस्चार्ज होने के बाद होम क्वॉरन्टीन में है.


बयान जारी कर दी सफाई
आपको बता दें कि इससे पहले कनिका ने एक बयान जारी किया था. जिसमें उन्होंने खुद पर कोरोना वायरस फैलाने के आरोप पर सफाई दी. अपने बयान में कनिका ने कहा, ''जब मैं लंदन से मुम्बई आई थी तब मुझे क्वारन्टीन में रहने का कोई निर्देश नहीं मिला था. इसके बाद जब मैं मुंबई से लखनऊ आई, तब भी मुझमें कोई कोरोना के लक्षण नहीं थे."



उन्होंने दावा किया कि उनको स्वास्थ्य की कोई समस्या नहीं थी, इसलिए वो कुछ कार्यक्रमों में गईं. दावा ये भी है कि उन्होंने ख़ुद कोई पार्टी आयोजित नहीं की. 17 मार्च को जब उन्हें कुछ समस्या लगी तब उन्होंने ख़ुद से टेस्ट कराने को कहा. टेस्ट में पॉज़िटिव आने के बाद वो अस्पताल गईं.



बता दें कि कनिका बीते 9 मार्च को लंदन से मुंबई लौटी थीं, इसके दो दिन बाद वह लखनऊ गईं और वहां कई पार्टियों में उन्होंने शिरकत की थी. कनिका कपूर की लापरवाही को लेकर यूपी में उन पर कई FIR भी दर्ज की गई. कनिका पर कोरोना वायरस को लेकर लापरवाही बरतने के लिए उत्तर प्रदेश में तीन एफआईआर दर्ज करवाई गई हैं.


क्या होती है प्लाज्मा थैरेपी ?
प्लाज्मा थैरेपी में कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके व्यक्तियों के खून से प्लाज्मा निकालकर दूसरे कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को चढ़ाया जाता है. दरअसल संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है और 3 हफ्ते बाद उसे प्लाज्मा के रूप में किसी संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है ताकि उसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगे.


प्लाज्मा संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति खून से अलग कर निकाला जाता है. एक बार में एक संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर से 400ml प्लाज्मा निकाला जा सकता है. इस 400ml प्लाज्मा को दो संक्रमित मरीजों को दिया जा सकता है.


कैसे किया जाता है इलाज?
स्वस्थ हो चुके मरीज के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है जो उस वायरस से लड़ने के लिए होती है. एंटीबॉडी ऐसे प्रोटीन होते हैं जो इस वायरस को डिस्ट्रॉय या खत्म कर सकते हैं. तो वो एंटीबॉडी अगर प्लाज्मा के जरिए किसी मरीज को चढ़ाएं तो वह एंटीबॉडी अभी जो मरीज है जो उसके शरीर में मौजूद वायरस को मार सकती है.


प्लाज्मा थैरेपी कोई नई थैरेपी नहीं है. डॉक्टरों का मानना है की ये एक प्रॉमिनेंट थेरपी है जिसका फायदा भी हुआ और कई वायरल संक्रमण में इसका इस्तेमाल भी हुआ है.


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