लकी अली संगीत की दुनिया में अपने बेहतरीन गानों की बदौलत एक अलग पहचान रखते हैं और वह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. उनके गाए गानों जैसे 'ओ सनम', 'कभी ऐसा लगता है', 'अनजानी राहों में', 'ना तुम जानो ना हम', 'आ भी जा' आदि को लोगों ने खूब पसंद किया है. हाल ही में लाइव परफार्मेस देने नोएडा आए लकी ने 'हैशटैग मीटू' अभियान पर खुलकर बात की.

उन्होंने यौन उत्पीड़न का शिकार हुई महिलाओं के इतने सालों बाद अब मुंह खोलने पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब ये हुआ तो उन्होंने मुंह क्यों नहीं खोला.  लकी अली ने कहा, "जैसे मेरे पिता कॉमेडियन बने, वैसे ही मैं संगीत में भर्ती हुआ. संगीत से सबको लगाव होता है और मुझे भी लगाव है. यही लगाव मुझे संगीत की दुनिया में ले आया."

सन् 1990 के दशक में लकी के गीतों ने जबरदस्त धूम मचाई, उनके अल्बम 'सुनो' के लिए 1996 के स्क्रीन अवार्ड्स में उन्हें बेस्ट पॉप मेल वोकेलिस्ट का पुरस्कार मिला. गायक से जब पूछा गया कि 1990 के दशक की अपेक्षा आज के संगीत के परिदृश्य को कैसे देखते हैं, तो उन्होंने कहा, "कुछ अच्छा गाते हैं, कुछ बुरा गाते हैं. मैं ज्यादा सुनता तो नहीं हूं, मगर जो भी सुना है, जहां भी सुना है कोशिश तो है न लोगों की. कम से कम मेहनत तो कर रहे हैं."

आजकल हैशटैग मीटू अभियान के जरिए महिलाएं अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न पर मुंह खोल रही हैं, इस पर गायक ने कहा कि उन्हें पहले ही मुंह खोलना चाहिए था और गंदी चीजें सामने आ ही जाती हैं.



लकी ने कहा, "अब क्या कर सकते हैं सबने मस्तियां की है तो उनकी पोल खुल रही है. अभी यह बहुत हास्यास्पद है. मतलब, अभी सबको याद आ रहा है कि मेरे साथ ये हादसा हुआ या वो हादसा हुआ. जब हादसा हुआ, तब किसी का मुंह क्यों नहीं खुला? क्यों नहीं बताया? और ये जो है.. मुझे लगता है कि जब गंदे काम होते हैं तो वो सामने आ जाते हैं."

उन्होंने आगे कहा, "जब गलत बात होती है तो वो सामने आ जाती है, चाहे आप कितना भी छिपाने की कोशिश करें, पर वो सामने आकर रहेगा..तो कभी-कभी ये जो हालात हैं, आज के जमाने में जाहिर है कि होएगा ही, क्योंकि टेक्नोलॉजी चेंज होने से बदलाव आया है..लोग जो हैं रातों में काम करते हैं, उनके दिन, रात हो जाते हैं और रात, दिन हो जाते हैं.. तो पूरा चेंज होते रहता है.. तो जमाना ही अब बदल गया है और इस तरह की चीजें हो रही हैं."

लकी का कहना है कि वह पहले से कोई भी प्लान नहीं करते हैं और बस यही सोचते हैं कि हर काम को वह बखूबी करें. बचपन में घोड़े पालने का शौक रखने वाले गायक ने बताया कि उन्हें गायकी के अलावा पेड़-पौधे उगाने और खेती करने का शौक है.

सोशल मीडिया पर ट्रोल करना आजकल एक चलन सा बन गया है, गायक से जब पूछा गया कि वह इन सबसे कैसे निपटते हैं तो उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया ट्रोल को हैंडल करना पड़ता है, कभी-कभी लोग..मतलब उनके रिएक्शन जो होते हैं, इमोशनल होते हैं..वो आपको समझ में आएगी कि जो सामने वाला है शायद आपकी बात को नहीं समझा है, ऐसा होता होगा. मगर, ट्रोल्स को तो हम लोग उनकी जुबान में ही जवाब दे देते हैं."

फिल्म 'सुर' के अभिनेता से जब फिल्मों में दोबारा अभिनय करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंेने कहा, "आज फिल्मों में मेरा काम करने का मूड नहीं है, बॉलीवुड में कुछ नहीं है. वैसे कैरेक्टर ही नहीं हैं, जो मुझे भाएं तो फिर कैसे करूंगा."

फिल्म 'कहो ना प्यार है' (2001) के गाने 'ना तुम जानो ना हम' के लिए सर्वश्रेष्ठ गायक का पुरस्कार जीत चुके लकी ने अब तक के सफर के बारे में पूछे जाने पर कहा, "मेरा सफर ठीक रहा है. सब की जिंदगियों में जब तक ऊपर और नीचे नहीं होगा न तब तक आप संभल नहीं सकते तो जब आप जिदंगी में ऊपर चढ़ते हैं तो ये भी सोचना होता है कि एक जगह नीचे भी होती है, जब नीचे उतरते हैं तो फिर जिदंगी में वापस ऊपर चढ़ना भी होता है."

लकी का मानना है कि अपने पिता महमूद के आशीर्वाद की बदौलत वह अच्छा काम कर रहे हैं और उनकी दुआओं से यहां तक पहुंचे हैं. संगीत के क्षेत्र में आने की चाहत रखने वाले गायकों के लिए उन्होंने अपने संदेश में कहा, "युवा गायक फेल होने से नहीं डरें, क्योंकि अगर आप फेल नहीं हो सकते तो फिर पास नहीं हो सकते."