कोरोना वायरस महामारी के दौरान मजदूरों और कामगारों के लिए मसीहा बने सोनू सूद ने बॉलीवुड में चल रही 'इनसाइडर-आउटसाइडर' बहस पर अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा कि स्टार किड्स को सबकुछ आसानी से मिल जाता है जबकि जो फिल्म इंडस्ट्री से नहीं है, उनको नहीं मिल पाता. सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के बाद फिल्म इंडस्ट्री में 'आउटरसाइडर्स-इनसाइडर्स' और 'नेपोटिज्म' की बहस की शुरुआत हुई. सोनू ने सुशांत को कठोर परिश्रम करने वाला लड़का बताया था.


सोनू सूद ने एक इंटरव्यू में कहा,"जब एक आउटसाइडर शहर में आता है और बड़ा काम करता है, तो यह हमें बहुत गर्वित करता है और हर न्यूकमर को उम्मीदें देता है. लेकिन जब ऐसा होता है, तो हम सभी का दिल टूट जाता है." उन्होंने आगे कहा,"दवाब एक सच्चाई है. ऐसे हजारों लोग हैं जो इस शहर में रोजाना काम करने के लिए आते हैं, लेकिन कुछ ही लोगों को बड़ा ब्रेक मिलता है. एक आउटसाइडर हमेशा आउटसाइडर ही रहेगा."


कई हिट फिल्में देने के बाद भी आउटसाइडर


सोनू ने आगे कहा,"जब मैं इस शहर में आया था, तो मेरे पास पहले से मेकैनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री थी, मुझे लगता था कि लोग कुछ अलग करने के लिए मुझसे बात करेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुझे किसी ऑफिस में भी नहीं घुसने दिया जाता था. मैंने पहले 6-8 महीने में महसूस कर लिया था कि ये जर्नी कठिन होनी वाली है." जिस कलाकार ने सलमान खान से लेकर जैकी चैन के साथ किया, उसे भी आउटसाइडर्स कहा जाता है.


ऐसे सिलेक्ट होते हैं स्टार किड्स


सोनू ने कहा,"इसलिए इस इंडस्ट्री में आने वाले आउटसाइडर्स को मैं केवल इतना ही कह सकता हूं कि अगर आपके पास स्टील की नसें हैं, तो तभी यहां आएं और कोई चमत्कार होने की उम्मीद ना करें. अगर आप अच्छे दिखते हैं या अच्छा शरीर है इसका मतलब यह नहीं है कि कोई प्रोडक्शन हाउस आपको बुलाएगा और अगली फिल्म में काम देगा. एक स्टार किड्स के लिए यह सबकुछ आसानी से हो जाता है. उनके पिता को फोन उठाना है और डायरेक्टर और प्रोड्यूसर्स को फिल्म की बात करनी है और उन्हें ब्रेक मिलेगा."


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