मुम्बई: कोरोना वायरस महामारी के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से देश में फंसे प्रवासी मजदूरों और कामगारों की सोनू सूद अब भी मदद कर रहे हैं. प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने में मदद करने वाले सोनू सूद अब जल्द ही अपने अब तक के तमाम अनुभवों पर एक किताब लिखने जा रहे हैं. सोनू सूद ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए खुद इस बात की जानकारी दी.


उल्लेखनीय है कि पेंग्युइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित की जाने वाली इस किताब में सोनू सूद अपने बचपन से लेकर अब तक के सफर पर विस्तार से लिखेंगे और प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के अपने अनुभवों पर विशेष तौर पर प्रकाश डालेंगे.


इस किताब के बारे में बात करते हुए सोनू सूद ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "इस किताब में मेरे पंजाब से मुम्बई आने तक‌ के सफर, यहां पर आने के बाद मुझे किन-किन तकलीफों से गुजरना पड़ा, किन-किन लोगों से मेरी मुलाकातें हुईं, एक एक्टर बनने के लिए मैंने किस तरह का संघर्ष किया और जिंदगी को जिया, दक्षिण भारतीय फिल्मों में प्रवेश आदि जैसे तमाम पहलुओं पर रौशनी डाली जाएगी."


लॉकडाउन के दौरान आया बदलाव


बसों, ट्रेनों और बाद में फ्लाइट्स के जरिए देश के हजारों मजदूरों को उनके घरों में सुरक्षित पहुंचाने की कोशिशों के बाद दुनियाभर से वाहवाही पानेवाले सोनू सूद की इस किताब में लॉकडाउन के दौरान परेशानियां झेलनेवाले मजदूरों की दास्तां भी विस्तार से लिखी जाएगी. सोनू सूद कहते हैं, "कोविड-19 आने के बाद मेरी ज़िंदगी में बहुत बड़ा बदलाव आया. जब लोग लोग डर के मारे घर पर बैठे हुए थे, तो ऐसे समय में मैंने निश्चय किया कि मैं घर से निकलकर लोगों की मदद करूंगा. ऐसे में मैंने किस तरह से लोगों को उनके घरों तक भेजने की कोशिश की, किस तरह से उन्हें अपने घरों तक पहुंचाने के लिए मुझे तमाम परेशानियां झेलनी पड़ीं जैसी तमाम बातें इस किताब का अहम हिस्सा होंगी."


अक्टूबर में प्रकाशित होगी किताब


फिलहाल इस किताब का नाम और इसके प्रकाशन की तारीख नहीं बताई गयी है, लेकिन इस किताब के लेखन को लेकर बेहद उत्साहित सोनू कहते हैं, "इस किताब में देशभर में फंसे लोगों की मुश्किलों भरी दास्तां का भी जिक्र किया जाएगा. लॉकडाउन के दौरान लोग अपने घरों में पहुंचने को लेकर बेताब थे. किसी के पिता का एक्सीडेंट हो गया था, किसी की मां बीमार थी, कई महिलाएं प्रेग्नेंट थीं... ऐसे तमाम लोगों की कहानियां को भी मैं रेखांकित करनेवाला हूं. इतना ही नहीं, ऐसे क ई प्रवासी मजदूर हैं, जिनके पहुंचने के बाद भी आज भी उनसे जुड़ा हुआ हूं. ऐसे सभी जज्बाती रिश्तों को भी इस किताब में जगह दी जाएगी."


सोनू सूद द्वारा लिखी जानेवाली यह किताब इसी साल अक्टूबर महीने तक प्रकाशित होने की संभावना है.


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