स्टारकास्ट: दिलजीत दोसांझ, तापसी पन्नू, अंगद बेदी, विजय राज, कुलभूषण खरबंदा


डायरेक्टर: शाद अली


बॉलीवुड में इन दिनों बायोपिक का दौर चल रहा है. संजय दत्त की बायोपिक अभी लोग देख ही रहे थे कि अब हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह की बायोपिक सूरमा' रिलीज हो रही है. संदीप सिंह का नाम शायद ही आपने पहले कभी सुना हो लेकिन फिल्म देखने के बाद एहसास होगा कि उनकी ज़िंदगी कितनी प्रेरणादायक है. संदीप सिंह भारतीय राष्ट्रीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान रह चुके हैं. उन्हें दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रैग-फ्लिकर में से एक माना जाता है, जिनके ड्रैग की स्पीड 145 किलोमीटर प्रतिघंटा है और उनकी इस शानदार स्पीड के चलते उन्हें 'फ्लिकर सिंह' के नाम से जाना जाता है. इस फिल्म में उनकी ज़िंदगी के दो पहलुओं को दिखाया गया है. एक समय जब वह व्हीलचेयर पर थे और दूसरा जब वो हॉकी खेलने के लिए ग्राउंड पर थे. वर्ल्ड कप खेलने जाते समय उनके साथ एक हादसा होता है और वो पैरालाइज्ड हो जाते हैं. लेकिन वो ज़िंदगी से हार नहीं मानते और दोबारा दमदार वापसी करते हैं. ये कैसे मुमकिन हुआ. ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी. फिल्म की रिलीज से पहले आपको बताते हैं कि ये फिल्म कैसी है-




  • संदीप सिंह का किरदार इसमें पंजाबी सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ ने निभाया है. दिलजीत की शानदार एक्टिंग के लिए ये फिल्म देखी जा सकती है. उन्होंने शुरू से आखिर तक अपने हर सीन में जान फूंकने की कोशिश की है. इस फिल्म के लिए की गई उनकी तैयारियां साफ नज़र आती हैं. इससे पहले 'उड़ता पंजाब' में भी उन्होंने साबित किया था कि रोल छोटा हो या बड़ा वो उसे जीवंत कर सकते हैं. इस फिल्म में उन्होंने खुद को साबित कर दिया है.

  • तापसी पन्नू की गिनती बेहतरीन एक्टिंग करने वाली अभिनेत्रियों में की जाती है लेकिन इस फिल्म में वो कुछ खास नहीं कर पाई हैं. फिल्म की शुरुआत में तो वो अपने कैरेक्टर में जमी हैं लेकिन बाद में जैसे ही इमोशनल सीन आते हैं वो उसमें जान नहीं भर पाती. हॉकी प्लेयर का रोल निभा रही तापसी के जो मैच फिल्म में दिखाए जाते हैं वो असली नहीं लगते.

  • इस फिल्म में अगर किसी ने अपनी तरफ ध्यान आकर्षित किया है तो वो हैं विजय राज. वो इस फिल्म में हॉकी कोच की भूमिका में हैं. इस फिल्म के जो शानदार और ह्यूमरस डायलॉग्स हैं वो भी उन्हीं के हिस्से हैं. एक सीन में वो कहते हैं, 'तमंचा कच्छे में रख लो, बिहार हूं थूक कर माथे में छेद कर दूंगा.'

  • इस फिल्म के डायरेक्टर शाद अली की 'झूम बराबर झूम', 'किल दिल' और 'ओके जानू' जैसी कई फिल्में बुरी तरह फ्लॉप हो चुकी हैं. इस फिल्म में भी शाद अली मात खा गए हैं. करीब दो घंटे 15 मिनट की ये फिल्म अगर बायोपिक ना हो और आप खिलाड़ी की ज़िंदगी से सहानुभूति ना रखें तो नहीं देख पाएंगे. फिल्म इंस्पायरिंग है लेकिन उसके साथ ही बहुत धीमी और बोझिल है. फिल्म की कहानी बहुत ही इमोशनल है लेकिन शाद अली अपने एक्टर्स से ढ़ंग की एक्टिंग भी नहीं करा पाए हैं. चाहे संदीप सिंह के भा्ई की भूमिका में अंगद बेदी हों या फिर उनके परिवार के अन्य सदस्य. इतना ही नहीं फिल्म के कई सीन रियल न लगकर फेक लगते हैं. इससे पहले खिलाड़ियों पर 'मैरी कॉम', 'भाग मिल्खा भाग' और 'दंगल' जैसी बायोपिक बन चुकी हैं. इन्हें काफी पसंद भी किया गया है. लेकिन यहां शाद अली ने एक बहुत ही शानदार कहानी को बर्बाद कर दिया है.

  • जब भी हॉकी की बात आती है सबसे पहले दर्शकों को शाहरुख खान की 'चक दे इंडिया' याद आ जाती है. कोच की भूमिका में शाहरुख खान की एक्टिंग हो, कहानी हो या फिर उस फिल्म के गाने... आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं. संदीप सिंह की वास्तविक कहानी भी ऐसी है जिसे अगर पर्दे पर एक ढंग से दिखाया जाए तो लोग चाव से देखेंगे. लेकिन इतनी दमदार कहानी हाथ लगने के बाद भी डायरेक्टर इसे रीयल नहीं बना पाए हैं. फिल्म के गाने भी स्थितियों के मुताबिक नहीं लगते. इसमें कई सारे गाने हैं जो देशभक्ति का भाव जगाने के लिए रखे गए हैं लेकिन उसे देखकर रोमांच नहीं आता.


आप ये फिल्म संदीप सिंह के लिए देख सकते हैं जिन्होंने ज़िंदगी से ऐसी लड़ाई की जिसके बारे में आपने ना अब तक देखा होगा ना ही सुना होगा. कमबैक के समय संदीप सिंह ने पाकिस्तान के साथ हॉकी का जो मैच खेला वो देखकर आप भी रोमांचित हो जाएंगे. 2010 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया. बॉलीवुड में इससे पहले भी खिलाड़ियों पर कई ऐसी फिल्में बनी हैं जिन्हें लोग पहले तो नहीं जानते थे लेकिन फिल्म बनने के बाद उन्हें कभी भूल नहीं पाएंगे. संदीप सिंह की कहानी भी ऐसी ही है, उनके बारे में आपको जरुर जानना चाहिए.