श्रद्धांजलि: जानिए- चार साल की श्री कैसे बनी बॉलीवुड की पहली महिला सुपरस्टार श्रीदेवी
बॉलीवुड की पहली महिला सुपरस्टार श्रीदेवी अब हमारे बीच नहीं रहीं. एक पारिवारिक समारोह मं दुबई गई श्रीदेवी का वहां हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया. चंचल और शोख अदाओं वाली श्रीदेवी 54 साल की थी.
नई दिल्ली: बॉलीवुड की पहली महिला सुपरस्टार श्रीदेवी अब हमारे बीच नहीं रहीं. एक पारिवारिक समारोह में दुबई गई श्रीदेवी का वहीं हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया. चंचल और शोख अदाओं वाली श्रीदेवी 54 साल की थी. 50 साल लंबे अपने करियर में उन्होंने कई बार उतार चढाव देखे, लेकिन भारतीय सिनेमा में जो स्थान श्रीदेवी का है शायद ही कोई कलाकार वहां तक पहुंच पाया.
13 अगस्त 1963 को तमिलनाडु के शिवकासी में श्रीदेवी का जन्म हुआ. पिता अयप्पन तमिल थे तो मां राजेश्वरी तेलुगू. घर में दो भाषाओं का मिलन था और इन्हीं दो भाषाओं के साथ उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत की. चार साल की उम्र में श्री अम्मा यंगर अयप्पन ने तमिल फिल्म थुनाइवन में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया.
लेकिन सबसे पहले उनका नाम तब चर्चाओं में आया जब 8 साल की उम्र में उन्होंने मलयलाम फिल्म पूमबत्ता में काम किया. इस फिल्म में श्रीदेवी का काम बेहतरीन था और इसके लिए उन्हें केरला स्टेट फिल्म अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.
धीरे-धीरे साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में श्रीदेवी का कद बढ़ता जा रहा था लेकिन उनकी मंजिल बॉलीवुड थी. 1975 में उन्हें उस वक्त की बेहद बोल्ड मानी जाने वाली फिल्म जुली में एक छोटा सा रोल मिला. फिल्म हिट हुई लेकिन श्रीदेवी का संघर्ष जारी रहा.
श्रीदेवी 16 साल की हो चुकी थी और इसी साल उन्हें बॉलीवुड पहला बड़ा ब्रेक मिला. पी भरतीराजा ने सोलवां सावन नामक फिल्म बनाई जिसके केन्द्र में श्रीदेवी थी. लेकिन फिल्म से उन्हें कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ. श्रीदेवी वापस साउथ इंडियन फिल्म करने लगीं. पहली हिन्दी फिल्म के लिए उन्हें चार साल का इंतजार करना पड़ा और वो फिर बॉलीवुड में लौटी. इस बार उनके साथ कमल हासन थे और फिल्म का नाम था सदमा. फिल्म हिट रही, श्रीदेवी को फिलमफेयर का अवॉर्ड भी मिला लेकिन उन्हें शोहरत औऱ बुलंदियों पर पहुंचाया हिम्मतवाला ने. इस फिल्म में उनके अपोजिट जितेंद्र थे. यह फिल्म 1983 की ब्लॉकस्बस्टर फिल्म थी. इसके बाद उन्होंने कई फिल्में जितेन्द्र के साथ की. 1984 में आई तोहफा ने उस दौर में कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे.
साल 1986 में आई फिल्म नगीना, जिसमे श्रीदेवी ने एक इच्छाधारी नागिन की भूमिका अदा की थी. यह फिल्म उस साल की दूसरी सुपर-डुपर हिट फिल्म साबित हुई थी. श्रीदेवी अब स्टार बन चुकी थीं. फिल्म में उनका होना फिल्म के हिट होने की गारंटी माने जाने लगी थी. इसी साल उनकी दो और फ़िल्में रिलीज हुई. जिनमे सुभाष घई की मल्टी-स्टारर फिल्म कर्मा और फिरोज शाह की जांबाज शामिल थी. दोनों ही फिल्मों में श्रीदेवी के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा.साल 1987 में आई फिल्म मिस्टर इंडिया में श्रीदेवी ने एक जर्नलिस्ट की भूमिका निभाई. इस फिल्म का एक गीत तो मानों श्रीदेवी के लिए ही बना था. आज भी लोग हवा-हवाई गानों से श्रीदेवी को याद करते हैं.
1989 में आई फिल्म चालबाज में श्रीदेवी ने डबल रोल किया था. दोनों ही भूमिका में अलग अलग तेवर से एक्टिंग कर उन्होंने हर आलोचक को हैरान कर दिया. उन्हें इस फिल्म के लिए फिल्म फेयर का अवॉर्ड भी मिला.
चालबाज के बाद श्रीदेवी यशराज कैंप की हीरोईन बन गई. चांदनी, लम्हे उनकी बेहतरीन फिल्मों में से एक है. फिल्म लम्हे के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था.
1992 में आई खुदा गवाह के बाद श्रीदेवी का करियर ग्राफ नीचे की ओर गिरना शुरू हुआ. नए दौर के हीरोइन और नए एक्टर के बीच उन्हें खुद को बदलना था लेकिन डायरेक्ट और प्रोड्यूसर इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते थे. फिल्में आई लेकिन वो पिटती गई. अनिल कपूर के साथ उनकी कई फिल्में इस दौर में भी आई कई फ्लॉप रही तो एक दो हिट हुई. गिरते ग्राफ के बीच श्रीदेवी ने 1995 में कोई फिल्म नहीं की. अगला साल भ फ्लॉप ही रहा लेकिन 1997 में बदले हुए अंदाज में उन्होंने जुदाई के साथ एख बार फिर खुद को साबित कर दिया.
1996 में श्रीदेवी ने अनिल कपूर के बड़े भाई और डायरेक्ट बोनी कपूर के साथ शादी कर ली. इसके बाद से श्रीदेवी ने फ़िल्मी दुनिया से अपनी दूरी बना ली थी. श्रीदेव ने साल 2012 में गौरी शिंदे की फिल्म इंग्लिश विंग्लिश से रूपहले परदे पर अपनी वापसी की. इस फिल्म के साथ एक बार फिर वही पुरानी श्रीदेवी दर्शकों के सामने थी जिसके अभिनय को देख अक्सर ही लोग हैरान हो जाया करते थे.