नई दिल्ली: फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला का मानना है कि शरीर एवं मन आपस में जुड़े होते हैं और अपने कैंसर उपचार के दौरान उनके लिए सकारात्मक बने रहना ‘‘मुश्किल लेकिन संभव था.’’ अभिनेत्री ने कहा कि वह अपनी बीमारी के बारे में जानकार ‘‘स्तब्ध’’ रह गयी थी लेकिन उन्होंने अपने दर्दभरे संघर्ष से इस बीमारी से पार पाने का तरीका सीखा.


उन्होंने कहा, ‘‘पहले मैं जिंदगी में छोटी छोटी चुनौतियों को देखकर टूट जाती थी. लेकिन इस बार मेरे सामने कोई और विकल्प नहीं था. मेरे लिए सकारात्मक तरीके से स्थिति का सामना करना और साहस बनाए रखना तथा खुद में भरोसा रखना जरूरी था.’’ अभिनेत्री यहां एनजीओ ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘‘हौसला- फाइट अगेंस्ट कैंसर’’ कार्यक्रम में हिस्सा ले रही थीं.


मनीषा ने कहा कि वह मरीजों को उम्मीद रखने और हरसंभव सर्वश्रेष्ठ उपचार हासिल करने के लिए प्रेरित करने की कोशिश करती हैं.


‘सौदागर’, ‘अग्निसाक्षी’, ‘गुप्त’, ‘बॉम्बे’, ‘‘दिल से’, ‘1942-अ लवस्टोरी’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं अभिनेत्री ने कहा, ‘‘जब मैं कैंसर मरीजों से मिलती हूं, उनसे बस इतना कहती हूं कि वे बेहतर इलाज कराएं. हर दशक के साथ अनुभव एवं सोच दोनों बदल रहे हैं. आज की दुनिया में कैंसर से उबरने वालों के बहुत सारे उदाहरण हैं. इसलिए हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए.’’