PM Narendra Modi Biopic: चुनाव के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर आधारित फिल्म की रिलीज़ रोकने की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि फ़िल्म देख कर सर्टिफिकेट देना प्रमाणन बोर्ड का काम है. आदर्श आचार संहिता के हनन पर नज़र रखना चुनाव आयोग का काम है. मामले में कोर्ट के दखल की ज़रूरत नहीं है.
कांग्रेस नेता अमन पंवार ने चुनाव के वक्त फ़िल्म रिलीज़ होने को आदर्श आचार संहिता का हनन बताया था. उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने काफी देर तक मामले में दलीलें रखीं. उन्होंने कहा कि ट्रेलर में नज़र आ रहे दृश्यों से साफ लगता है कि फ़िल्म के ज़रिए बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. फ़िल्म के कई निर्माता बीजेपी से जुड़े हैं.
लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच इन दलीलों से अप्रभावित दिखी. चीफ जस्टिस ने कहा, "फ़िल्म देखना हमारा काम नहीं है. इसके लिए केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड नाम की वैधानिक संस्था है. उसने अभी तक फ़िल्म को सर्टिफिकेट भी जारी नहीं किया, आप रोक की मांग कर रहे हैं."
कोर्ट ने आगे कहा, "हम फ़िल्म के ट्रेलर को भी देखने की ज़रूरत नहीं समझते. 2 मिनट के ट्रेलर से फ़िल्म के बारे में सही सही नहीं बताया जा सकता है. याचिकाकर्ता की दलील है कि इससे अचार संहिता का उल्लंघन हो सकता है. लेकिन ये देखना चुनाव आयोग का काम है. याचिका को खारिज करते हैं."
कोर्ट के आदेश के बाद भी सिंघवी ने जिरह जारी रखी. उन्होंने कहा कि फ़िल्म का रिलीज़ होना चुनाव में सबको समान मौका देने के सिद्धांत के खिलाफ है. इस पर कोर्ट ने कहा, "आप अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन हमें लगता है कि एक गैरज़रूरी मसले के लिए कोर्ट का काफी समय पहले ही बर्बाद किया जा चुका है."
पहले ये फिल्म 5 अप्रैल को ही देश भर में रिलीज होने वाली थी लेकिन फिल्म की रिलीज को लेकर उठे विवाद के कारण मेकर्स ने इस फिल्म की रिलीज को पोस्टपोन कर 11 अप्रैल कर दिया है. हालांकि इस फिल्म को अभी तक सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट नहीं दिया है और जब तक सेंसर प्रक्रिया पूरी नहीं हो होगी ये फिल्म बड़े परदे पर रिलीज नहीं होगी.
आपको बता दें कि फिल्म में अभिनेता विवेक ओबेरॉय मोदी की भूमिका में हैं. इसमें बोमन ईरानी, दर्शन कुमार, वहीदा रहमान, मनोज जोशी और बरखा बिष्ट-सेनगुप्ता भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं.