पीएम मोदी की बायोपिक फिल्म 'पीएम नरेंद्न मोदी' रिलीज को लेकर काफी विवादों का सामने कर रही हैं. चुनाव आयोग ने पीएम मोदी के जीवन पर आधारित फिल्म की रिलीज पर 19 मई (आखिरी दौर के मतदान) तक रोक को जरूरी बताया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि फ़िल्म एक राजनीतिक व्यक्ति के जीवन पर आधारित है. उस व्यक्ति के सकारात्मक पहलुओं को दिखाया गया है, जबकि विपक्ष का चित्रण कुछ नकारात्मक तरीके से हुआ है.


इससे मतदाताओं पर असर पड़ सकता है. मामले पर कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई है. इससे पहले फिल्म मे पीएम मोदी का किरदार निभाने वाले अभिनेता विवेक ऑबेरॉय ने फिल्म की रिलीज को लेकर गुरुवार को चुनाव आयोग से मुलाकात की थी.


मुलाकात के बाद ओबरॉय ने कहा कि चुनाव आयोग ने बुधवार को बॉयोपिक देखी और उनकी ओर से 'अच्छी प्रतिक्रिया' मिली है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मैं आपको उनकी प्रतिक्रिया के बारे में नहीं बता सकता, लेकिन उनसे मुलाकात करने और उनका जवाब मिलने के बाद हम खुश हैं." हालांकि फिल्म को मतदान खत्म होने से पहले रिलीज न करने के फैसले से फिल्म की पूरी टीम और फिल्म का इंतजार कर रहे फैंस को थोड़ी निराशा जरूर हो सकती है,


फिल्म मेकर्स इससे पहले साफ कर चुके हैं, "हमें उम्मीद है कि फिल्म को जल्द ही रिलीज की अनुमति मिलेगी क्योंकि पीएम मोदी की बॉयोपिक के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है."


इससे पहेल सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' देखकर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था. फिल्म के निर्माता ने अपना विरोध जाहिर करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग ने फिल्म को देखे बिना इसकी रिलीज पर रोक लगा दी.