प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि रिलीज से पहले फिल्म को प्रमाणपत्र देने के संबंध में सेंसर बोर्ड के पास अनुपालन के लिय पर्याप्त दिशा-निर्देश हैं.
पीठ सिद्धराजसिंह एम. चूडासामा और 11 अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवायी कर रही थी. याचिका में प्रतिष्ठित इतिहासकारों की एक समिति बनाने का अनुरोध किया गया था जो फिल्म में रानी पद्मावती के फिल्मांकन में किसी गलती को रोकने के लिए पटकथा की जांच करे. याचिका में यह भी अनुरोध किया गया था कि निर्माता..निर्देशक द्वारा फिल्म से इतिहास संबंधी कथित गड़बड़ियां दूर होने तक इसकी रिलीज प्रतिबंधित कर दी जाये.
आपको बता दें कि बढ़ते विरोध के बीच इस फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली अपना पक्ष पहले ही रख चुके हैं. भंसाली ने दो दिन पहले एक वीडियो संदेश के जरिए ये साफ किया है कि फिल्म में दीपिका यानि पद्मावती और रणवीर यानि अलाउद्दीन खिलजी के बीच को ड्रीम सीक्वेंस नहीं है. साथ ही उन्होंने ये भी बताया है कि इन दोनों सितारों ने कभी 'पद्मावती' की शूटिंग साथ भी नहीं की. इसके बावजूद भी ये विरोध नहीं थमा और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. अब सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.
बता दें कि इस फिल्म में रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण के अलावा शाहिद कपूर भी मुख्य भूमिका में हैं. इसमें शाहिद कपूर दीपिका के किरदार के पति महारावल रतन सिंह की भूमिका में हैं.
यह फिल्म 1 दिसंबर को रिलीज के लिए तैयार है. शूटिंग के दौरान से ही भंसाली को विरोध का सामना करना पड़ा रहा है. शूटिंग के दौरान राजपूतों के संगठन 'करणी सेना' ने सेट पर जाकर तोड़फोड़ की और भंसाली के साथ दुर्व्यवहार किया. सेंसर बोर्ड से पास इस फिल्म को दिखाए जाने से रोकने के लिए कई बीजेपी नेता भी आगे आए. एक बीजेपी सांसद चिंतामणि मालवीयने तो भंसाली के प्रति अभद्र टिप्पणी भी कर दी. उन्होंने कहा, 'भंसाली को जूतों की भाषा समझ में आती है.'
लेकिन अब सारे विवादों को रोकते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस फिल्म को लेकर बड़ा फैसला दिया है जो मेकर्स के लिए बड़ी राहत है.