तापसी पन्नू ने अपनी कविता से महसूस कराया मज़दूरों का दर्द, कहा- "हम तो बस 'प्रवासी' हैं, क्या इस देश के वासी हैं?"
तापसी ने इंस्टाग्राम पर अपनी कविता 'प्रवासी' शेयर की है. करीब 1 मिनट 42 सेकंड तक पढ़ी गई इस कविता में तापसी ने उस दर्द को बयां करने की कोशिश की है, जिसे प्रवासी मज़दूरों ने बीते कुछ महीनों में झेला है.
नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेत्रा तापसी पन्नू सोशल मीडिया पर बेबाक होकर अपनी राय रखने के लिए जानी जाती हैं. अब इस बार तापसी ने उन लाखों प्रवासी मज़दूरों के दर्द को एक कविता में पिरोकर फैंस के साथ अपनी आवाज़ में साझा किया है, जिनपर कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार पड़ी है.
तापसी ने इंस्टाग्राम पर अपनी कविता 'प्रवासी' शेयर की है. करीब 1 मिनट 42 सेकंड तक पढ़ी गई इस कविता में तापसी ने उस दर्द को बयां करने की कोशिश की है, जिसे प्रवासी मज़दूरों ने बीते कुछ महीनों में झेला है. तापसी की कविता की पहली ही लाइन है, "हम तो बस प्रवासी हैं, क्या इस देश के वासी हैं?"
तापसी पन्नू ने इंस्टाग्राम पर कविता शेयर करते हुए लिखा, "तस्वीरों का एक ऐसा सिलसिला जो हो सकता है कि हमारे दिमाग से कभी न निकले. वो लाइनें जो हमारे दिमाग में लंबे वक्त तक चीखती रहेंगी. ये महामारी भारत के लिए सिर्फ किसी वायरल संक्रमण से कहीं बुरा है. हमारे दिल से, आपके दिल तक, उन हज़ारों दिलों के लिए जो शायद हम सब ने तोड़े हैं."
इस कविता के वीडियो में लॉकडाउन के दौरान वायरल हुए उन तमाम मजूदरों की तस्वीरें हैं, जिनके दर्द को देखकर पूरा देश भावुक हो गया था. इन तस्वीरों को एनिमेशन का रूप दिया गया है. दर्दभरी एनिमेटेड तस्वीरों के साथ तापसी बैकग्रांउड में अपनी आवाज में कविता पढ़ती रहती हैं. इसमें उन प्रवासियों की समस्याओं व परेशानियों को इतने बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जो किसी इंसान के दिल को झकझोर कर रख देने के लिए काफी है.
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