Tanuja Mukherjee Birthday: मां के चांटे से परफेक्ट एक्ट्रेस बनीं तनुजा, 90 के दशक में खुलेआम पीती थीं सिगरेट
Tanuja Mukherjee: उनका अंदाज आज भी सुर्खियों में रहता है. उन्होंने अपने जमाने में ऐसा ट्रेंड कायम किया, जिसकी चर्चा आज भी होती है. बात हो रही है अपने जमाने की दिग्गज अभिनेत्री तनुजा की.
Tanuja Mukherjee Unknown Facts: वह अपनी अदाकारी से लोगों का दिल जीत लेती थीं. उनका अंदाज तो दुनिया के होश उड़ा देता था. बात हो रही है दिग्गज अभिनेत्री तनुजा मुखर्जी की, जिन्होंने 23 सितंबर 1943 के दिन मुंबई में हुआ था. क्या आपको पता है कि तनुजा को परफेक्ट एक्ट्रेस बनाने के पीछे एक जोरदार थप्पड़ जिम्मेदार था? अगर नहीं तो आइए बर्थडे स्पेशल में आपको तनुजा की जिंदगी के चंद पहलुओं से रूबरू कराते हैं.
बचपन से ही फिल्मों में हो गई थी एंट्री
अपने जमाने की फायरब्रैंड एक्ट्रेस शोभना समर्थ और फिल्ममेकर कुमार सेन समर्थ की बेटी तनुजा की पढ़ाई-लिखाई पंचगनी के सेंट जोसेफ बोर्डिंग स्कूल में हुई थी, जिसके बाद उन्हें स्विट्जरलैंड के सेंट जॉर्ज स्कूल में पढ़ाई के लिए भेज दिया गया. हालांकि, घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उन्हें कुछ वक्त बाद वापस बुला लिया गया. इसके बाद तनुजा को फिल्मों में काम करने के लिए मनाया गया और महज 16 साल की उम्र में उन्होंने बॉलीवुड डेब्यू कर लिया.
एक थप्पड़ ने बदल दी किस्मत
तनुजा ने फिल्म छबीली से बॉलीवुड की दुनिया में पहला कदम रखा था. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान तनुजा को जोरदार थप्पड़ पड़ा था. हुआ यूं था कि फिल्म के एक सीन में तनुजा को रोना था, जबकि वह बार-बार हंस रही थीं. डायरेक्टर केदार शर्मा उन्हें बार-बार समझाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तनुजा ने कहा कि आज उनका मूड रोने का नहीं है. इससे नाराज होकर केदार शर्मा ने उन्हें जोरदार तमाचा मार दिया. तनुजा निर्देशक केदार शर्मा की शिकायत करने अपनी मां के पास पहुंचीं तो उन्होंने भी अपनी बेटी को करारा थप्पड़ जड़ दिया. कहा जाता है कि इसी थप्पड़ ने तनुजा को परफेक्ट एक्ट्रेस बना दिया.
खुलेआम करती थीं यह काम
तनुजा ने अपने जमाने में कई ऐसे कदम उठाए, जिनके बारे में उस जमाने की एक्ट्रेस सोचती तक नहीं थीं. दरअसल, तनुजा उस जमाने में खुलेआम सिगरेट के कश लेती थीं. उस दौर में तनुजा को कई बार सेट और पब्लिक प्लेस में उंगलियों में सिगरेट फंसाए देखा जाता था. तनुजा की इस हरकत पर अक्सर बवाल होता था, लेकिन वह बेफिक्र होकर धुएं के छल्ले बनाती रहती थीं.