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Thackeray Movie Review: ठाकरे की छवि चमकाने की कोशिश करती है फिल्म, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने की है जबरदस्त एक्टिंग

Thackeray Movie Review: बाला साहेब ठाकरे ने अपने 40 साल से ज्यादा लंबे राजनीतिक सफर में कभी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन फिर भी लो देश की राजनीति में इतना बड़ा नाम कैसे बने ये बात बताती है फिल्म ठाकरे, देखने से पहले पढ़ें फिल्म का रिव्यू...

स्टारकास्ट: नवाजुद्दीन सिद्दीकी , अमृता राव डायरेक्टर: अभिजीत पानसे रेटिंग: 3/5 स्टार मुंबई के किंग कहे जाने वाले दिवंगत शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के जीवन पर बनी फिल्म 'ठाकरे' आज रिलीज हो गई है. फिल्म की कहानी खुद शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने लिखी है तो ऐसे में इसमें बाला साहेब का गुणगान होना तो लाजमी है. साथ ही आम चुनाव सिर पर हैं तो फिल्म के माध्यम से बाला साहेब द्वारा शुरू किए गए जन आंदोलन को इससे बेहतर तरीके से याद नहीं दिलाया जा सकता. फिल्म की कहानी पूरी तरह से केशव बाला साहेब ठाकरे पर केंद्रित है. इसमें कई ऐसे गंभीर मुद्दों को दिखाया गया है जिन्होंने बाला साहेब के राजनीतिक सफर में अहम भूमिका निभाई है.Thackeray Movie Review: ठाकरे की छवि चमकाने की कोशिश करती है फिल्म, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने की है जबरदस्त एक्टिंग शिवसेना की नींव 1966 में रखी गई थी और बाला साहेब को ऐसा क्यों करना पड़ा इसे फिल्म में बखूबी दिखाया गया है. साथ ही फिल्म बाला साहेब के भाषणों से लेकर उनके द्वारा छेड़े गए मसलों को पूरी तरह से जायज ठहराने की कोशिश करती है.  फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बाला साहेब का किरदार निभाया है और उनकी पत्नी मीना ठाकरे के किरदार में अमृता राव नजर आ रही हैं. फिल्म का निर्देशन अभिजीत पानसे ने किया है. कहानी फिल्म की पूरी कहानी फ्लैशबैक में चलती है और इसी के साथ खत्म होती है. फिल्म के पहले ही सीन में बाल ठाकरे को दंगों और हिंसा के आरोपों में घिरा दिखाया गया है. बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बाला साहब को कोर्ट के समक्ष पेश होना होता है और इस सीन से ही ये दिखाने और जताने की कोशिश की गई है कि भारतीय राजनीति में उनका कद कितना बड़ा था.Thackeray Movie Review: ठाकरे की छवि चमकाने की कोशिश करती है फिल्म, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने की है जबरदस्त एक्टिंग इसके बाद फिल्म फ्लैशबैक में जाती है उस दौर से शुरू होती है जब बाल ठकरे 'फ्री प्रेस जनरल' में बतौर कार्टूनिस्ट काम किया करते थे. उस दौर को विश्वसनीय दिखाने के लिए फिल्म के ज्यादातर फ्लैशबैक सीक्वेंस को ब्लैक एंड व्हाइट कलर में दिखाया गया है. बाल ठाकरे ने अपनी नौकरी किस कारण से छोड़ी और उन्हें क्यों शिवसेना की स्थापना करनी पड़ी इसके पीछे की वजह को महाराष्ट्र में मराठियों की बेबसी और बेरोजगारी को बताया गया है. फिल्म में सिलसिलेवार तरीके से हर उस बड़ी घटना को शामिल किया गया है जिसने बाल ठाकरे को बाला साहब ठाकरे बनाने में मदद की. फिर वो चाहे मराठी लोगों को महाराष्ट्र में उनका हक दिलाना हो या बेलगांव को महाराष्ट्र में शामिल करने का मसला हो या फिर तत्कलीन उपप्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के काफिले को महाराष्ट्र में रोकना हो. मोरारजी देसाई के काफिले को रोकने के चलते ठाकरे को जेल भी जाना पड़ा था और उनके जेल जाने से मुंबई कैसे एक जंग का मैदान बनी इस सब को फिल्म में जगह दी गई है. फिल्म में ये भी दिखाया गया है कि कैसे बाला साहब ठाकरे ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 'इमरजेंसी' का समर्थन किया. फिल्म के एक सीक्वेंस में दिखाया गया है कि कैसे ठाकरे से मिलने के बाद पूर्व पीएम इंदिरा गांधी उनसे इंप्रेस होती हैं और शिवसेना से बैन हटा देती हैं. इस सीन में ठाकरे को कहते दिखाया गया है 'मैं जब भी कहता हूं जय हिंद, जय महाराष्ट्र तो जय हिंद पहले कहता हूं और जय महाराष्ट्र बाद में, क्योंकि मेरे लिए मेरा देश पहले है और राज्य बाद में'.Thackeray Movie Review: ठाकरे की छवि चमकाने की कोशिश करती है फिल्म, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने की है जबरदस्त एक्टिंग इसके अलावा फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे सीढ़ी दर सीढ़ी उन्होंने सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में अपना कद बनाया. फिल्म में शिवसेना के पहले विधानसभा चुनाव, 1993 के धमाके , मुंबई दंगे, बाबरी मस्जिद विध्वंस और ठाकरे पर जानलेवा हमलों जैसे कई अहम सीक्वेंस को शामिल किया गया है. निर्देशन फिल्म का निर्देशन अभिजीत पानसे ने किया है. बतौर निर्देशक पानसे ने काफी अच्छा काम किया है और फिल्म शुरू से लेकर अंत तक आपको बांधे रखती है. फिल्म की कहानी को शिवसेना की शुरुआत और बाल ठाकरे के शुरुआती जीवन से दिखाया गया है. इसके लिए फिल्म में 1966 के दौर को दिखाना एक बड़ा चैलेंज था और इसमें अभिजीत काफी हद तक सफल साबित हुए हैं. ठाकरे के शुरुआती जीवन को दिखाने के लिए अभिजीत ने ब्लैक एंड व्हाइट का सहारा लिया है और फिल्म की आधी कहानी ब्लैक एंड व्हाइट और आधी कलर्ड दिखाई गई है. दंगों के सीन हों या फिर ठाकरे के भाषण सभी के साथ अभिजीत न्याय करते दिख रहे हैं.Thackeray Movie Review: ठाकरे की छवि चमकाने की कोशिश करती है फिल्म, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने की है जबरदस्त एक्टिंग एक्टिंग फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी मुख्य भूमिका में हैं और पूरी फिल्म उन्हीं के कंधों पर चलती है. नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने ठाकरे के व्यक्तित्व के अंदर ढलने की बेहद अच्छी कोशिश की है और काफी हद तक सफल भी साबित हुए हैं. इसके अलावा फिल्म में अमृता राव को अहम भूमिका में दिखाया गया है. पिछले काफी समय से बड़े पर्दे से गायब अमृता राव भी फिल्म में अपने किरदार के साथ न्याय करती दिख रही हैं. हालांकि वो अपनी बोली में मराठी टच लाने में जरा नाकामयाब होती नजर आती हैं. इसके अलावा फिल्म में कई सपोर्टिंग कैरेक्टर्स हैं और सभी ने अच्छा काम किया है. क्यों देखें
  • बाला साहेब ठाकरे भारतीय राजनीति का एक अहम और बेहद विवादित हिस्सा रहे हैं. ऐसे में उनके जीवन और व्यक्तित्व को करीब से जानने के लिए इस फिल्म को देखा जा सकता है.
  • फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी की अदाकारी कमाल की है. फिल्म को नवाज की दमदार एक्टिंग के लिए एक बार तो देखा ही जा सकता है.
  • अमृता राव काफी लंबे समय बाद फिल्म स्क्रीन पर वापसी कर रही हैं और उन्होंने अपना काम काफी बेहतर तरीके से निभाया है.
  • शुरू से लेकर अंत तक फिल्म आपको बांधे रखती है और कहानी में देश की कई बड़ी राजनीतिक घटनाओं का जिक्र देखने को मिलता है. अगर आपको राजनीति में जरा भी दिलचस्पी है तो आपको ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए.
क्यों न देखें
  • फिल्म पूरी तरह से राजनीति पर आधारित है और यदि आपको राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है.
  • फिल्म में बाल ठाकरे का महिमामंडन किया गया है. जिसके कारण कहानी को थोड़ा खींच दिया गया है.
  • फिल्म में गाने और मनोरंजन जैसा कुछ भी नहीं है और ये एक बेहद गंभीर फिल्म है. अगर आप एंटरटेनमेंट के लिए फिल्म देखना चाह रहे हैं तो ये किसी भी स्तर पर आपकी अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरेगी.
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