Critics Review: फिल्म समीक्षकों ने 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' को प्रोपेगेंडा फिल्म बताकर नकारा
The Accidental Prime Minister: इस फिल्म में मनमोहन सिंह का रोल अनुपम खेर और संजय बारू का रोल अक्षय खन्ना ने निभाया है. शुरु से ही ये कहा जा रहा है कि ये एक प्रोपेगेंडा फिल्म है जो इस साल होने वाले चुनाव को ध्यान में रखकर बनाई गई है. आइए जानते हैं कि फिल्म समीक्षकों का इस पर क्या कहना है.
The Accidental Prime Minister: आज विजय रत्नाकर गुट्टे के निर्देशन में बनी फिल्म 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' रिलीज़ हो चुकी है. ये फिल्म पहले ही विवादों में है. इसका कारण इस फिल्म का विषय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान हुए राजनैतिक बदलाव और उस समय की राजनीतिक स्थिति का है. फिल्म इसी नाम पर लिखी गई किताब पर आधारित है जिसे मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने लिखी थी. मनमोहन सिंह का रोल अनुपम खेर और संजय बारू का रोल अक्षय खन्ना ने निभाया है. शुरु से ही ये कहा जा रहा है कि ये एक प्रोपगेंडा फिल्म है जो इस साल होने वाले चुनाव को ध्यान में रखकर बनाई गई है. अब फिल्म समीक्षकों ने भी इसे प्रोपेगेंडा फिल्म बताकर सिरे से नकार दिया है. आइए जानते हैं कि फिल्म समीक्षकों ने इस फिल्म के बारे में क्या लिखा है.
बॉलीवुड के जाने माने फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज ने इस फिल्म को पांच में से दो स्टार दिए हैं. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, ''जल्दी में बनी राजनीतिक पृष्ठभूमि की फ़िल्म है 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर'. सिनेमा के लिहाज से बुरी और कमज़ोर फ़िल्म है.
जल्दी में बनी राजनीतिक पृष्ठभूमि की फ़िल्म #TheAccidentalPrimeMinister सिनेमा के लिहाज से बुरी और कमज़ोर फ़िल्म है। **
— MrB (@brahmatmajay) January 11, 2019
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की फिल्म समीक्षक शुभ्रा गुप्ता ने इस फिल्म को पांच में से एक भी स्टार नहीं दिया है. उन्होंने लिखा है कि ये खास मकसद से बनाई गई एक निहायत खराब Propaganda फिल्म है.
एनडीटीवी हिंदी के फिल्म समीक्षक नरेंद्र सैनी ने फिल्म को 2.5 स्टार देते हुए लिखा है, ''एक फिल्म के तौर पर लें और इससे जुड़ी सारी बातें भूल जाएं तो ये बेहद कमजोर फिल्म है, जो प्रोडक्शन और ट्रीटमेंट के लिहाज से निराश करती है. फिल्म में यह भुला दिया जाता है कि मनमोहन सिंह विनम्र थे, डरपोक नहीं. कुल मिलाकर फिल्म में सब सयाने थे, सिर्फ मनमोहन ही नादान थे. इसमें मनमोहन सिंह की लाइफ की सबसे बड़ी विलेन सोनिया गांधी को दिखाया गया है.''
नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर रेखा खान ने फिल्म के बारे में लिखा है, ''पीएम मनमोहन सिंह को इसमें कमजोर और महाभारत का भीष्म पितामह बना दिया है, जिन्होंने राजनीतिक परिवार की भलाई की खातिर देश के सवालों का जवाब देने के बजाय चुप्पी साधे रखी. फिल्म में कुछ ऐसी बातें भी हैं, जो पूर्व पीएम की इमेज को क्लीन करने के साथ-साथ धूमिल भी करती है.''
फिल्म समीक्षक राहुल देसाई ने इस फिल्म को हाफ स्टार देते हुए लिखा है कि ये फिल्म इतनी खराब है कि इसे प्रोपेगेंडा कहना भी छोटी बात है.
एबीपी न्यूज़ ने इस फिल्म को दो स्टार देते हुए लिखा है, ''अगर आपको राजनीति में दिलचस्पी है तो आप ये जानने के लिए देख सकते हैं कि अब चुनावी जंग सोशल मीडिया से होते हुए सिनेमाघरों तक पहुंच गई है. फिल्म में एक जगह संजय बारु कहते हैं कि 'राजनीति का स्तर गिरते हुए तो कई बार देखा लेकिन ऐसा कभी नहीं.' फिल्म देखकर आप भी सोचिए कि राजनीति का स्तर क्या है और ऐसा क्यों है? ऐसा करने से किसे फायदा होगा?'' पढ़ें 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' का रिव्यू
देखें- 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' का VIDEO REVIEW