नई दिल्ली: मनमोहन सिंह के 10 साल के प्रधानमंत्री काल पर बनी फिल्म 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के ट्रेलर पर सियासी महाभारत शुरू हो गया है. कांग्रेस ने इसे बीजेपी का प्रोपगेंडा बताया है. तो वहीं बीजेपी ने 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के ट्रेलर को अपने ट्विटर हैंडल पर अपलोड कर इसके सियासी मायने बता दिये हैं. शायद ऐसा पहली बार है जब किसी पार्टी ने किसी फिल्म का ट्रेलर अपने हैंडल पर अपलोड किया.


ट्रेलर 'मुझे तो डॉक्टर साहब भीष्म जैसे लगते हैं. जिनमें कोई बुराई नहीं है. पर 'फैमली ड्रामा' के विक्टिम हो गए'' डायलॉग से शुरू होता है और अंत राहुल गांधी की ताजपोशी कैसे हो? जैसे सवालों को छोड़ते हुए खत्म. फिल्म 11 जनवरी को बड़े पर्दे पर रिलीज होगी.





फिल्म पूर्व पत्रकार संजय बारू की किताब 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पर आधारित है. बारू 2004 से 2008 तक मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइजर रहे थे. अनुपम खेर ने मनमोहन सिंह का किरदार निभाया है.


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2 मिनट 43 सेकेंड का ट्रेलर कांग्रेस परिवार और मनमोहन सिंह के 10 साल के कार्यकाल के ईर्द-गिर्द है. जिसमें सोनिया गांधी की सक्रिय राजनीति में एंट्री, मनमोहन सिंह की बतौर प्रधानमंत्री ताजपोशी, न्यूक्लियर डील, कश्मीर समस्या और राहुल गांधी द्वारा अध्यादेश को फाड़ा जाना है.


मनमोहन सिंह की ताजपोशी
2004 में जब सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस जीती तो बड़ा सवाल था कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा? क्या देश गांधी परिवार से चौथे सदस्य को प्रधानमंत्री देखेगा? लेकिन सोनिया ने तब सभी को चौंकाते हुए पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के रूप में आगे किया. तब प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. लेकिन सोनिया गांधी ने उन्हें तवज्जो नहीं दी.


फिल्म के ट्रेलर में सोनिया गांधी के इसी फैसले पर तंज किया गया है. डायलॉग है- ''मुझे तो डॉक्टर साहब भीष्म जैसे लगते हैं. जिनमें कोई बुराई नहीं है. पर फैमली ड्रामा के विक्टिम हो गए. महाभारत में दो फैमली थी. भारत में तो एक ही फैमली है.''


एनएसी
फिल्म के ट्रेलर में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) का भी जिक्र है. एक सीन में मनमोहन सिंह पूछते हैं- 'प्रधानमंत्री को क्या करना है ये एनएसी तय करेगी?' दरअसल, एनएसी का गठन 2004 में किया गया था जब यूपीए सरकार पहली बार सत्ता में आई थी. परिषद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की परिकल्पना थी और वह 2004 में अध्यक्ष बनी थी. बाद में उन्हें लाभ के पद मामले में विवाद के बाद इस्तीफा देना पड़ा. 2010 में वह दोबारा एनएसी अध्यक्ष बनी. तब विपक्षी पार्टी ने आरोप लगाया था कि देश पीएमओ से नहीं 10 जनपथ (सोनिया गांधी का आवास) से चल रहा है. एनएसी महत्वपूर्ण मसलों पर सरकार को सलाह देता था.


न्यूक्लियर डील
फिल्म में न्यूक्लियर डील का भी जिक्र है. जिसपर 2006 में खूब सियासी हंगामा मचा था. वामदलों ने कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया था. बाद में मनमोहन सिंह को विश्वास मत का प्रस्ताव हासिल करना पड़ा जिसे उनकी सरकार महज 19 वोटों से जीत सकी थी. फिल्म ट्रेलर में मनमोहन सिंह कहते हैं- देश के विकास के लिए हमें न्यूक्लियर एनर्जी चाहिए. जिसपर सोनिया गांधी कहती हैं- ये पार्टी को स्वीकार्य नहीं है. भारत-अमेरिका के बीच 2006 में यह डील हुआ था.


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कश्मीर
फिल्म में कश्मीर में जारी समस्या का भी जिक्र है. एक संवाद में मनमोहन सिंह कश्मीर का हल ढूंढने की बात करते हैं. जो सोनिया गांधी को मंजूर नहीं है. यूपीए अध्यक्ष कहती हैं अगर आप (मनमोहन सिंह) पाकिस्तान के साथ शांति का समझौता करेंगे. तो नए प्रधानमंत्री क्या करेंगे? ट्रेलर में नए प्रधानमंत्री का मतलब शायद राहुल गांधी से है.


राहुल गांधी और अध्यादेश
ट्रेलर के एक सीन में राहुल गांधी को मनमोहन सिंह कैबिनेट के एक अध्यादेश को फाड़ते हुए दिखाया गया है. यह कहानी 2013 के सितंबर महीने की है. दरअसल, मनमोहन सिंह ने सांसद और विधायकों की सदस्यता बचाने वाला एक अध्यादेश लाया था. जिसका विरोध करते हुए राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था. तब राहुल की खूब आलोचना हुई थी.


इस्तीफे की पेशकश
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे मनमोहन सिंह सीन में एक जगह दफा सोनिया गांधी से अपने इस्तीफे की बात कह रहे हैं. जिसपर सोनिया कहती हैं एक पर एक करप्शन चार्ज है. ऐसे माहौल में कैसे राहुल टेकओवर करेंगे. मनमोहन सिंह के 10 साल के कार्यकाल में कोयला, 2 जी स्प्रैक्ट्रम और कॉमनवेल्थ जैसे घोटाले उजागर हुए थे. जिसकी वजह से कांग्रेस को 2014 के चुनाव में भारी नुकसान हुआ.


कुल मिलाकर फिल्म के ट्रेलर में गांधी परिवार के आगे मनमोहन सिंह को मजबूर दिखाया गया है. ट्रेलर पर हंगामा शुरू हो गया है. अब फिल्म रिलीज की बारी है.


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