हिंदी सिनेमा इन दिनों दुःख में है. पिछले कुछ महीने हिंदी सिनेमा के लिए बहुत दर्दनाक रहे हैं. इस दौरान बॉलीवुड ने अपने कई कीमती अभिनेताओं को खो दिया है, इनमें ऋषि कपूर, इरफान खान और सुशांत सिंह राजपूत जैसे नाम शामिल हैं.


इस कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है और वह नाम है अभिनेता जगदीप का है. हिंदी सिनेमा में बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले जगदीप ने 400 फिल्मों में अभिनय किया.


बॉलीवुड में बाल कलाकार के रूप में उनकी फिल्म वर्ष 1951 में आई आईबीएसआर चोपड़ा की अफसाना थी. इसके बाद उन्होंने आर पार, दो बीघा ज़मीन, दिल्ली अब डर नहीं जैसी फ़िल्मों में भी काम किया. वे 1957 में अपनी फिल्म 'हम पंछी एक डाल के' के जरिए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की नज़र में भी आए और फिर पंडित नेहरू ने भी जगदीप के काम की प्रशंसा की.


हमेशा पर्दे पर हंसने और मुस्कुराने वाले जगदीप वित्तीय संकट से गुजर चुके हैं. जब वह सिर्फ कुछ महीने का थे, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई. भारत के विभाजन के बाद, उनकी मां उन्हें मुंबई ले गईं. जानकारी के अनुसार, जगदीप की मां एक अनाथालय में खाना बनाती थीं और वह अपनी मां की मदद करने के लिए बचपन से ही फिल्म इंडस्ट्री में शामिल हो गए.


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