The Kerala Story: ‘द केरल स्टोरी’ रिलीज से पहले ही काफी विवादों में घिरी हुई है. फिल्म को लेकर केरल स्टेट में काफी विवाद हो रहा है और कई राजनीतिक पार्टियों ने फिल्म की रिलीज का विरोध किया है. वहीं फिल्म को लेकर हो रही कॉन्ट्रोवर्सी के बीच सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने इसे 'ए' सर्टिफिकेट दिया है इसके साथ ही कई सीन्स पर सेंसर बोर्ड की कैंची भी चल गई है.


द केरल स्टोरी’ के 10 सीन्स पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक  5 मई को रिलीज होने वाली विवादित हिंदी फिल्म ‘केरल स्टोरी’ को  'ए' सर्टिफिकेट देने के अलावा केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन के एक पूरे इंटरव्यू सहित 10 सीन्स को रिलीज प्रिंट से हटा दिया गया है. एक दृश्य जिसमें कथित रूप से "भारतीय कम्युनिस्ट सबसे बड़े पाखंडी हैं" में से भारतीय शब्द फिल्म से हटा दिया गया है.


कौन देख सकता है 'ए' सर्टिफिकेट वाली फिल्में?
ए-रेटेड फिल्में सार्वजनिक देखने के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन केवल वयस्कों (18 वर्ष और उससे अधिक आयु) के लिए. इन फिल्मों में हिंसा, क्लियर सेक्सुअल सीन्स, स्ट्रॉन्ग अपमानजनक भाषा हो सकती है लेकिन ऐसे शब्द नहीं हैं जो महिलाओं या किसी सोशल ग्रुप का अपमान करते हैं और न्यूडिटी की अनुमति नहीं है.


क्यो हो रहा ‘केरल स्टोरी’ पर विवाद?
सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और विपुल अमृतलाल शाह द्वारा निर्मित ‘द केरल स्टोरी’ में अदा शर्मा, योगिता बिहानी, सिद्धि इडनानी और सोनिया बलानी प्रमुख भूमिकाओं में हैं.'द केरल स्टोरी' के ट्रेलर को काफी ट्रोल किया गया है दरअसल इसमें दावा किया गया था कि राज्य की 32,000 लड़कियां लापता हो गईं और बाद में आतंकवादी समूह, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) में शामिल हो गईं थीं.


कांग्रेस और सीपीआई (एम) ने फिल्म की आलोचना की है
वहीं कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) [सीपीआई (एम)] और कांग्रेस ने फिल्म के मेकर्स की आलोचना की है और कहा कि वे संघ परिवार के प्रचार को आगे बढ़ा रहे हैं. 'लव जिहाद' का हौवा खड़ा कर राज्य को धार्मिक उग्रवाद का केंद्र बनाया जा रहा है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी संघ परिवार पर "सांप्रदायिकता के जहरीले बीज बोकर" राज्य में धार्मिक सद्भाव को नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने केरल के सीएम और सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) के रुख को "दोहरा मानदंड" कहा है.


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