नई दिल्ली: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज बाजपेयी का कहना है कि एक कलाकार के रूप में वह किसी भी किरदार को निभाने के लिए किसी फॉर्मूले का पालन नहीं करते, बल्कि हर बार चीजों को अलग नजरिया देते हैं.

कंटेंट बेस्ड सिनेमा और कमर्शियल सिनेमा के बीच संतुलन बनाने वाले अभिनेता ने कहा, "मेरे पास कोई भूमिका निभाने के लिए कोई सूत्र नहीं है. मैं उनमें से प्रत्येक को अलग नजरिए से देखता हूं. मैं एक मिडिल क्लास के व्यक्ति, पुलिस अधिकारी की भूमिका 50 बार निभा सकता हूं, लेकिन हर बार इसे अलग करना पड़ता है."



उन्होंने कहा, "अन्यथा परफॉर्मेंस देने का मजा क्या है? इसके अलावा, इस तरह की फिल्म के आधार पर नजरिए को बदलने की जरूरत है." उन्होंने आगामी फिल्म 'सत्यमेव जयते' को व्यावसायिक फिल्म बताया. उन्होंने कहा, "इसलिए 'अलीगढ़' जैसी फिल्म से मेरी परफॉर्मेंस बिल्कुल अलग होनी चाहिए."

'सत्या' से प्रसिद्ध अभिनेता ने डीसीपी शिवांश की अपनी भूमिका के बारे में कहा, "यह एक एक्शन-थ्रिलर है. इसमें दो किरदारों पुलिस और आपराधी के बीच बिल्ली-चूहे की दौड़ है." दिलचस्प बात यह है कि उनमें से दोनों कितने आपस में एक-दूसरे से संबंधित हैं. अंत में दोनों के संघर्ष को कैसे एक सामूहिक जमीन मिलती है.