एक्सप्लोरर

वजहें जो 'ब्लैक पैंथर' को बनाती हैं बाकी सुपरहीरो फ़िल्मों से अलग

आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या खास है जिसकी वजह ये फिल्म भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में धमाल मचा रही है. आइए जानते हैं.

नई दिल्ली: इन दिनों बॉलीवुड ही नहीं हॉलीवुड में भी एक ही फिल्म की चर्चा है और वो है 'ब्लैक पैंथर'. इस फिल्म ने भारत में भी दर्शकों को खूब आकर्षित किया है. इस फिल्म की वजह से बॉक्स ऑफिस पर अक्षय कुमार की 'पैडमैन', दीपिका पादुकोण की 'पद्मावत' और मनोज बाजपेयी की 'अय्यारी' जैसी फिल्मों को कमाई के मामले में काफी नुकसान हुआ है. आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या खास है जिसकी वजह ये फिल्म भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में धमाल मचा रही है. आइए जानते हैं.

  • मार्वल कॉमिक्स पर बनी ‘ब्लैक पैंथर’ पहली हॉलीवुड फ़िल्म है जिसमें सुपरहीरो अश्वेत (ब्लैक) है. ये लंबे समय तक बहस का विषय रहा है कि एक अश्वेत सुपरहीरो बॉक्स ऑफ़िस पर धमाका नहीं कर सकता, लेकिन ‘ब्लैक पैंथर’ ने इस बहस को ही खत्म कर दिया है. ये फिल्म में लीड कैरेक्टर के साथ-साथ करीब सारे किरदार अश्वेत हैं. इस फिल्म ने जिस तरह दर्शकों को अपनी तरफ आकर्षित किया है उससे एक बात तो साफ हो गई है कि सारा मामला नैरेटिव गढ़ने और पर्दे पर उसको सही तरीक़े से उतारने का है. इसी नैरेटिव को गढ़ने के लिए मुख्य किरदार टचाका के लिए बैटमैन के गॉथम के जैसा एक शहर वकांडा बसा दिया गया जोकि अमेरिका ही नहीं दुनिया के किसी भी देश से ज़्यादा विकसित है. इसमें  वाइब्रेनियम के आसमान से गिरने और उसके इस्तेमाल से इस जगह के सबसे विकसित होने के जरिए इस कहानी को जस्टिफाइ किया है. ये फिल्म बाकी सुपरहीरो की फ़िल्मों की तरह होते हुए भी उनसे बहुत अलग है. सदियों तक अमेरिका-यूरोप में क़ानूनी ग़ुलामी का शिकार रहे अफ़्रीकियों के लिए ये फ़िल्म एक ताज़ा हवा के झोंके की तरह है. वजहें जो 'ब्लैक पैंथर' को बनाती हैं बाकी सुपरहीरो फ़िल्मों से अलग
  • फ़िल्म में सुपरहीरो अश्वेत है, उसके आप-पास के सारे प्रमुख किरदार अश्वेत हैं. एक पल को फ़िल्म ये वहम देती है कि इसने अपने मुख्य विलेन के तौर पर एक व्हाइट अमेरिकन को चुना है और ये काउंटर नैरेटिव यानी बदला लेने जैसा है. ये उस चलन का बदला है जिसमें हॉलीवुड फ़िल्मों ने अफ़्रीकन-अमेरिकन अदाकारों/किरदारों को जब भी मौक़ा हाथ लगा विलेन के रंग में रंग दिया गया. लेकिन इंटरवल के आस पास ये भ्रम भी टूट जाता है. मुख्य विलेन का किरदार भी एक अश्वेत कैरेक्टर ले लेता है. ऐसी तमाम वजहों से ये किसी और सुपरहीरो फ़िल्म की तरह नहीं है और ज़ाहिर तौर पर अमेरिकी मुख्याधारा के सिनेमा के लिए एक नई इबारत गढ़ने वाला है. यही बात फ़िल्म की कमाई भी साबित करती है.
  • फ़िल्म के कुछ हिस्सों में एक और भ्रम होता है कि ये श्वेत अमेरिकियों से बदला लेने जैसी फ़िल्म साबित होगी लेकिन कभी कभी भरमाने वाला ये प्लॉट कभी भी ऑल अफ़्रीकन नैरेटिव यानी कहानी को पूरी तरह से अफ़्रीकन बनाए रखने से नहीं चूंकता. वहीं, क्लाइमेक्स में एक श्वेत अमेरिकी वकांडा के उस युद्ध में शामिल होता है जिसमें देश के क़हर को दुनिया में फैलने से रोकने के लिए पूरी ताक़त झोंकनी पड़ती है. इससे एक बात और साफ़ होती है कि अमेरिका और यूरोप में क़ानूनी ग़ुलामी का जो दंश अफ्रीकियों ने झेला है उससे उनके अंदर कड़वाहट से ज़्यादा सीख भर गई है और उसी सीख का नतीजा है कि फ़िल्म किसी भी सीन में आपको रंगभेद से भरी कड़वाहट महसूस नहीं होती है. वजहें जो 'ब्लैक पैंथर' को बनाती हैं बाकी सुपरहीरो फ़िल्मों से अलग
  • ‘वंडर-वुमन’ ने पहली फ़ीमेल सुपरहीरो और फ़ीमेल वारियर्स की भरमार वाली लीड फ़िल्म होने के मामले में कमाल कर दिया. ब्लैक पैंथर उसका नेक्स्ट लेवल है. भारत के संदर्भ में अगर समझने की कोशिश करें तो इसे हम इस बात से जोड़कर देख सकते हैं कि यहां महिला होना जन्म से ही अपराध है और दलित/आदिवासी महिला होने उससे भी बड़ा अपराध है. यही बात अमेरिका और यूरोप में सदियों से मौजूद अफ़्रीकी महिलाओं पर सटीक बैठती है. ऐसे में ये फ़िल्म उन तमाम अफ़्रीकी महिलाओं के लिए क्रांतिकारी है क्योंकि इससे पहले इस संख्या में किसी सुपरहीरो फ़िल्म (अपवाद को छोड़कर मेनस्ट्रीम हॉलीवुड फ़िल्म) में अफ़्रीकी महिलाओं को सुपरफाइटर्स के रंग में नहीं रंगा गया.
  • इसमें लीड एक्टर भले ही एक अफ़्रीकन पुरुष है लेकिन वकांडा की सेनापति एक महिला है, वहाँ के सांइस से जुड़े डेवलेपमेंट की प्रमुख एक महिला है, फ़िल्म के लीड ब्लैक पैंथर की प्रेमिका अपने आप में एक योद्धा है, वकांडा की सेना की सारी प्रमुख योद्धा महिलाएँ हैं. क्लाइमेक्स में युद्ध के सीन में जितने पुरुष होते हैं लगभग उतनी ही महिलाएँ होती हैं. ‘वंडर वुमन’ में कहानी ने महिला सुपरहीरो का नैरेटिव पुरुषों की ताक़त की क़ीमत पर गढ़ा गया है यानी वंडरवुमन को इतना ताक़तवर दिखाया गया है कि उसके सामने सारे मर्द बौने नज़र आते हैं. लेकिन इस फ़िल्म में वो टकराव कहीं नज़र नहीं आता. तमाम सीन्स में मामला अफ़्रीकन बनाम अमेरिकन हो या महिलाओं की ताकत के मामले में पुरुष के साथ स्क्रीन शेयर करना हो, कहीं भी ये आपमें कड़वाहट नहीं भरता और ना ही किसी तरह का कोई टकराव पैदा करता है. वजहें जो 'ब्लैक पैंथर' को बनाती हैं बाकी सुपरहीरो फ़िल्मों से अलग
  • इसमें सुपरहीरो सूट में ब्लैक पैंथर दुनिया की सबसे लेटेस्ट तकनीक का इस्तेमाल अपने दुश्मन को मात देने के लिए करता है लेकिन सूट से बाहर आते ही वो वो राजकुमार टचाका बन जाता है. वो राजा बनने के चैलेंज को स्वीकार करने के दौरान भाले,  तलवार और मुक्कों से भी अपनी लड़ाई लड़ता है. वहीं, परम्परागत होने ही वो वजह है जो वकांडा को बैटमैन के गॉथम की तरह कंक्रीट के जंगल में नहीं बदल देता. ये आपको अमेरिका के किसी शहर के नक़ल इसलिए भी नहीं लगेगा क्योंकि मॉडर्न होते हुए भी इसने अपनी प्राकृतिक सुंदरता पर आँच नहीं आने दी है. कॉर्बन फुटप्रिंट और ग्लोबल वॉर्मिंग से ये वकांडन्स कैसे निबटते थे, वो मॉडल दुनिया के साथ शेयर किया जाना चाहिए, क्योंकि दुनिया को विज्ञान आधारित विकास के साथ खुद को वकांडा जितना ख़ूबसूरत बनाए रखने की ज़रूरत है.
  • फ़िल्म के क्लाइमेक्स में एक और राहत की बात ये है कि सालों तक खुद को दुनिया से काटे रखने वाले वकांडा ने आख़िरकार दुनिया की भलाई के लिए अपने दरवाज़े खोल दिये हैं. सँभव है, ये दुनिया को कई चीज़ों से बचा लें. वजहें जो 'ब्लैक पैंथर' को बनाती हैं बाकी सुपरहीरो फ़िल्मों से अलग
  • फ़िल्म के डायरेक्टर रेयान कुगलर हैं. ब्लैकपैंथर के अलावा इन्होंने अबतक जो दो फ़िल्में बनाई हैं वो अफ़्रीकन अमेरिकन्स पर ही आधारित है. उनकी बाक़ी की दो फ़िल्मों के दमख़म का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इनमें से एक ‘क्रीड’ की IMDB Rating 7.6 और ‘फ्रूटवेल स्टेशन’ की IMDB Rating 7.5 है. IMBD पर सात से ऊपर की रेटिंग वाली फ़िल्मों को उम्दा फ़िल्मों की फ़ेहरिस्त में गिना जाता है. एक बहुत मशहूर कहावत है कि जबतक शेर ये नहीं सीख जाता की कैसे लिखते हैं, तबतक हर गीत शिकारी के नाम पर गाए जाएँगे. सदियों की ग़ुलामी के बाद ‘अफ़्रीकी शेरों’ ने लिखना सीख लिया है और डोनाल्ट ट्रंप के अमेरिका के दौर में ब्लैकपैंथर का बॉक्स ऑफ़िस पर ये धमाका इस बात की तस्दीक़ है कि मॉडर्न वर्ल्ड में लिखना सीखे चुके शेरों के दौर में शिकारियों के गीत नहीं गाए जाएँगे.
  • फ़िल्म का फ़ैशन अफ़्रीकन-अमेरिकन है, इसके नैरेटिव में अफ़्रीका हावी है जिसमें कहीं-कहीं अमेरिका और साउथ कोरिया भी है. इसका गीत-संगीत बहुत ज़्यादा  अफ़्रीकन और कुछ हद अमेरिकन है. इसके कॉस्ट्यूम्स ज़्यादा अफ़्रीकन और कहीं-कहीं अमेरिकन हैं. इसकी इंग्लिश भी अफ़्रीकन और कहीं-कहीं अमेरिकन है. वहीं, इसमें अफ़्रीका के देश वकांडा की अपनी भाषा का इस्तेमाल है, इसमें हर जगह अफ़्रीकन्स पहले हैं और अमेरिका समेत दुनिया कहीं-कहीं और तमाम अफ़्रीकन्स के बीच एक अश्वेत सुपरहीरो ब्लैकपैंथर है जिसने श्वेत अमेरिकियों की बॉक्स ऑफ़िस पर पिटने की भविष्यवाणियों को धत्ता साबित किया है. वो भी बिना किसी का दिल दुखाए. एक फ़िल्म को देखने के लिए और कितनी वजहें चाहिए.
 
और देखें
Advertisement

IPL Auction 2025

Most Expensive Players In The Squad
Virat Kohli
₹21 CR
Josh Hazlewood
₹12.50 CR
Phil Salt
₹11.50 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rishabh Pant
₹27 CR
Nicholas Pooran
₹21 CR
Ravi Bishnoi
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Jasprit Bumrah
₹18 CR
Suryakumar Yadav
₹16.35 CR
Hardik Pandya
₹16.35 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Heinrich Klaasen
₹23 CR
Pat Cummins
₹18 CR
Abhishek Sharma
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Ruturaj Gaikwad
₹18 CR
Ravindra Jadeja
₹18 CR
Matheesha Pathirana
₹13 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Shreyas Iyer
₹26.75 CR
Arshdeep Singh
₹18 CR
Yuzvendra Chahal
₹18 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Sanju Samson
₹18 CR
Yashaswi Jaiswal
₹18 CR
Riyan Parag
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Venkatesh Iyer
₹23.75 CR
Rinku Singh
₹13 CR
Varun Chakaravarthy
₹12 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rashid Khan
₹18 CR
Shubman Gill
₹16.50 CR
Jos Buttler
₹15.75 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Axar Patel
₹16.50 CR
KL Rahul
₹14 CR
Kuldeep Yadav
₹13.25 CR
View all
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

क्या शिंदे बनेंगे डिप्टी CM, शिवसेना-NCP के पास होंगे कौन से मंत्रालय? जानें सब कुछ
क्या शिंदे बनेंगे डिप्टी CM, शिवसेना-NCP के पास होंगे कौन से मंत्रालय? जानें सब कुछ
Maharashtra CM News: 'लाडला भाई' मेरे लिए किसी भी पद से बड़ा, दिल्ली पहुंचने पर बोले एकनाथ शिंदे
'लाडला भाई' मेरे लिए किसी भी पद से बड़ा, दिल्ली पहुंचने पर बोले एकनाथ शिंदे
Anupamaa के सेट पर हुई थी क्रू मेंबर की दर्दनाक मौत, अब फैमिली को मिला 10 लाख का मुआवजा
'अनुपमा' के सेट पर हुई थी क्रू मेंबर की मौत,अब फैमिली को मिला 10 लाख का मुआवजा
जींद और सोनीपत के बीच चलेगी देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, RDSO ने जारी की पहली तस्वीर
जींद और सोनीपत के बीच चलेगी देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, RDSO ने जारी की पहली तस्वीर
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

क्या महाविकास अघाड़़ी से बाहर होने वाले उद्धव ठाकरे?Maharashtra New CM: शाह के घर मुलाकात...क्या होगी फाइनल बात? | Amit Shah | ABP NewsBharat Ki Baat Full Episode: दिल्ली मंथन में तय होगा Maharashtra का CM! | Maharashtra New CM | ABPMahadangal with Chitra Tripathi: टूटेगी अघाड़ी... बिछड़ेंगे सब बारी-बारी? | MVA | Uddhav Thackeray

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
क्या शिंदे बनेंगे डिप्टी CM, शिवसेना-NCP के पास होंगे कौन से मंत्रालय? जानें सब कुछ
क्या शिंदे बनेंगे डिप्टी CM, शिवसेना-NCP के पास होंगे कौन से मंत्रालय? जानें सब कुछ
Maharashtra CM News: 'लाडला भाई' मेरे लिए किसी भी पद से बड़ा, दिल्ली पहुंचने पर बोले एकनाथ शिंदे
'लाडला भाई' मेरे लिए किसी भी पद से बड़ा, दिल्ली पहुंचने पर बोले एकनाथ शिंदे
Anupamaa के सेट पर हुई थी क्रू मेंबर की दर्दनाक मौत, अब फैमिली को मिला 10 लाख का मुआवजा
'अनुपमा' के सेट पर हुई थी क्रू मेंबर की मौत,अब फैमिली को मिला 10 लाख का मुआवजा
जींद और सोनीपत के बीच चलेगी देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, RDSO ने जारी की पहली तस्वीर
जींद और सोनीपत के बीच चलेगी देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, RDSO ने जारी की पहली तस्वीर
“लैब टू लैंड“ के कांसेप्ट पर काम कर रही सरकार, कृषि मंत्री ने कहीं ये बड़ी बात
“लैब टू लैंड“ के कांसेप्ट पर काम कर रही सरकार, कृषि मंत्री ने कहीं ये बड़ी बात
IND vs AUS: रोहित शर्मा ने ऑस्ट्रेलियाई संसद में जो कहा, वह आपको जरूर सुनना चाहिए; जानें स्पीच में क्या-क्या बोला
रोहित शर्मा ने ऑस्ट्रेलियाई संसद में जो कहा, वह आपको जरूर सुनना चाहिए
Opinion: पाक में अब अगर और लोगों को दबाया गया तो एक बड़ा उग्रवादी आंदोलन बनकर उभर आएगा
Opinion: पाक में अब अगर और लोगों को दबाया गया तो एक बड़ा उग्रवादी आंदोलन बनकर उभर आएगा
'गुंबद में मंदिर के टुकड़े... बेसमेंट में आज भी गर्भगृह मौजूद', अजमेर शरीफ दरगाह पर हिंदू सेना ने किए क्या-क्या दावे?
'गुंबद में मंदिर के टुकड़े... बेसमेंट में आज भी गर्भगृह मौजूद', अजमेर शरीफ दरगाह पर हिंदू सेना ने किए क्या-क्या दावे?
Embed widget