सुहाना से लेकर नव्या जैसे इन स्टारकिड्स को लॉन्च कर 'नेपोटिज्म का झंडा' बुलंद करेंगे करण जौहर!
आपके मन में भी ऐसे सवाल ज़रूर कौंधते होंगे कि आखिर वह कौन-सा स्कूल है जहां से एक्टिंग की कला सीखकर दिग्गज बॉलीवुड सितारों के बच्चे सीधे फिल्मों में लीड रोल पा लेते हैं? आखिर स्टार किड्स में ऐसी कौन-सी खासियत होती है कि वह हज़ारों की भीड़ में भी खुद को साबित कर देते हैं ? इन सवालों के जवाब ज्यादा ज़टिल नहीं हैं, लेकिन कड़वे ज़रूर हैं.
मुंबई: पूरी दुनिया में कोई भी अगर बॉलीवुड में काम करने का ख्वाब देखता है, तो उसके ज़हन में सबसे पहले यही विचार आता है कि उसे सब कुछ छोड़कर मुंबई में बसना होगा. यह बात तो हर कोई जानता है कि हिंदी सिनेमा के फलक तक अगर पहुंचना है तो उसका रास्ता मायानगरी मुंबई से होकर ही गुज़रता. लेकिन मुंबई जाकर अपने सपनों को पूरा कैसे करना है यह कला बेहद कम लोगों के पास होती है. कईयों के ख्वाब मुंबई की सड़कों पर रोज़ाना टूट कर बिखर जाते हैं और कई अंजान सितारे टूटे हुए ख्वाबों को जोड़ने की जद्दोजेहद में अपनी ज़िंदगी गुज़ार देते हैं, लेकिन उन्हें अपनी मंज़िल नहीं मिलती.
आपके मन में भी ऐसे सवाल ज़रूर कौंधते होंगे कि आखिर वह कौन-सा स्कूल है जहां से एक्टिंग की कला सीखकर दिग्गज बॉलीवुड सितारों के बच्चे सीधे फिल्मों में लीड रोल पा लेते हैं? आखिर स्टार किड्स में ऐसी कौन-सी खासियत होती है कि वह हज़ारों की भीड़ में भी खुद को साबित कर देते हैं ? इन सवालों के जवाब ज्यादा ज़टिल नहीं हैं, लेकिन कड़वे ज़रूर हैं.
पिछले साल बॉलीवुड में नेपोटिज़्म (भाई-भतीजावाद) को लेकर बहस छिड़ी थी. इस बहस की शुरुआत बॉलीवुड की क्वीन कंगना रनौत ने की थी. इस दौर के कलाकारों में कंगना बॉलीवुड की उन चुनिंदा लोगों में से एक हैं जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में बिना किसी ‘गॉडफादर’ के ही अपनी पहचान बनाई है. यही वजह है कि कंगना ने हिंदी सिनेमा की उस व्यवस्था की मुखालिफत में पुरज़ोर तरीके से अपनी आवाज़ उठाई जिसकी वजह से मेहनती कलाकार एक रोल के लिए तरसते रहते हैं और बिना किसी टैलेंट के भी स्टार्स के बच्चों को तुरंत बड़ा रोल मिल जाता है.
फिल्ममेकर करण जौहर को हिंदी सिनेमा का ‘मूवी माफिया’ कहा गया है. करण को यह तमगा भी कंगना ने ही दिया और उनकी इस बात में दम भी नज़र आता है. दरअसल करण पिछले कुछ सालों से नेपोटिज़्म के सबसे बड़े अगुवा के तौर पर उभरे हैं. करण जौहर ने साल 2012 में फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ बनाई. इस फिल्म से करण दो मशहूर निर्देशकों महेश भट्ट और डेविड धवन के बच्चों ‘आलिया भट्ट-वरुण धवन’ को फिल्मी दुनिया में लेकर आए. लेकिन वह किस हद तक स्टार किड्स के गॉडफादर बन बैठे हैं इसका इल्म आपको भी नहीं है.
अभी वर्तमान में करण जौहर, फिल्म निर्माता बोनी कपूर और इस दुनिया को अलविदा कह चुकीं श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर को फिल्म ‘धड़क’ से लॉन्च कर रहे हैं. अब जाह्नवी की अदाकारी का ट्रेलर तो आप फिल्म ‘धड़क’ के ट्रेलर और गानों में देख चुके हैं. बाकि उनके अभिनय की कुछ बची-खुची बारीकियां फिल्म के रिलीज़ होने पर 20 जुलाई को दिख जाएंगी.
खैर, करण हिंदी सिनेमा के बड़े स्टार्स के बच्चों के गॉडफादर हैं, इसे सिर्फ दो चार उदाहरणों से तो साबित नहीं ही किया जा सकता, लेकिन जिस तरह से लगभग दर्जन भर स्टार किड्स करण की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं, उसके बाद इस बात को नकारना भी इसे साबित करने जितना मुश्किल होने वाला है.
वैसे तो करण जौहर हमेशा से नेपोटिज्म को बढ़ावा देने की खबरों को नकारते रहे हैं. लेकिन जिस तरह पिछले कुछ सालों से वो इंडस्ट्री की बड़ी हस्तियों के बच्चों को लॉन्च करने में लगे हैं उससे तो यही लगता है कि वो परिवारवाद को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. जाह्नवी के साथ इसी साल वो चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 से लॉन्च कर रहे हैं. लॉन्च करने की लिस्ट में शाहरुख की बेटी सुहाना से लेकर अमिताभ बच्चन के नातिन नव्या नंदा नवेली तक का नाम शामिल है. ये लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती है, बल्कि इसमें कई नाम और भी हैं. आपको बताते हैं उन स्टार किड्स के बारे में जिनको लॉन्च करने की जिम्मेदारी करण जौहर के पास है-
सुहाना खान और आर्यन खान
पिछले कुछ दिनों से इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है कि शाहरुख और गौरी खान की बेटी सुहाना बॉलीवुड में कदम रखने की तैयारी में हैं. हाल के दिनों में सुहाना ने कई फोटोशूट भी करवाएं हैं. इसके अलावा सुहाना आए दिन किसी न किसी वजह से चर्चा में बनी रहती हैं. कई रिपोर्ट्स में कहा जाता रहा है कि शाहरुख की बेटी को उनके करीबी दोस्त करण जौहर लॉन्च करेंगे. शाहरुख भले ही बॉलीवुड के किंग हो, लेकिन उनकी बेटी के गॉडफादर करण ही होंगे ऐसी खबरे आती रही हैं. ऐसी ही रिपोर्ट्स आर्यन को लेकर भी हैं. कहा जाता है कि आर्यन भी करण जौहर के सानिध्य में ही बॉलीवुड में कदम रखेंगे.
अगस्त्या और नव्या नंदा नवेली
महानायक अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नंदा नवेली और नवासे अगस्त्या नंदा भी फिल्मों में ही करियर बना सकते हैं. ऐसे में यह उम्मीद की जा सकती है कि करण जौहर इन दोनों स्टार किड्स को भी बॉलीवुड में लॉन्च करेंगे.
सारा अली खान
कहा जाता है कि सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान की इमेज बिल्डिंग में करण जौहर का बड़ा योगदान रहा है. भले ही करण उन्हें लॉन्च नहीं कर रहे हैं, लेकिन पहली फिल्म ‘केदारनाथ’ की रिलीज़ से पहले ही सारा को करण ने रणवीर सिंह के अपोज़िंट फिल्म ‘सिंबा’ में साइन कर लिया है.
अनन्या पांडे
चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे फिल्म ‘ स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2’ से डेब्यू कर रही हैं. इस फिल्म का निर्माण भी करण जौहर ही कर रहे हैं. अनन्या, नव्या, सुहाना, जाह्नवी और खुशी कपूर जैसे स्टार किड्स अक्सर एक साथ नज़र आते रहे हैं. इन सभी की बॉलीवुड डेब्यू को लेकर खबरें उड़ती रही हैं.
खुशी कपूर
जाह्नवी कपूर के बाद अब ऐसे कयासों का दौर भी शुरू हो गया है, जिसमें कहा जा रहा है कि खुशी कपूर भी बॉलीवुड में कदम रखेंगी. अब जब करण जौहर, जाह्नवी के गॉडफादर बन ही चुके हैं तो उन्हें खुशी को लॉन्च करने से कैसे गुरेज़ हो सकता है. इन दिनों खुशी का बदला हुआ अंदाज़ और ग्लैमरस लुक भी इस बात का गवाही देता नज़र आ रही है कि खुशी भी बॉलीवुड में कदम रखने को बेताब हैं.
शनाया कपूर
बॉलीवुड की महफिलों में पिछले कुछ दिनों से संजय कपूर की बेटी शनाया कपूर की मौजूदगी हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रही. शनाया का ग्लैमर लोगों को ऐसे कयास लगाने पर मजबूर कर रहा है कि वह जल्द सिनेमाई परदे पर नज़र आने वाली हैं. शनाया भी उन स्टार किड्स में से ही हैं जिनपर करण जौहर की खास नज़र रही है. अक्सर पार्टियों में और फिल्म स्क्रीनिंग्स में शनाया नज़र आती रहती हैं. कहा जा रहा है कि करण जौहर के बैनर तले ही शनाया का भी डेब्यू होना है.
मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा जाता रहा है कि इन सभी स्टार किड्स को लॉन्च करने की ज़िम्मेदारी करण जौहर ने ही उठाई है. अब तक जितनों को भी करण ने लॉन्च किया वह स्टार्स के ही बच्चे हैं और जिनको लॉन्च करने की खबरें आती रहती हैं वो भी स्टार किड्स ही हैं. ऐसे में करण जौहर को इनके गॉडफादर कहलाने में शर्मिंदगी महसूस नहीं करनी चाहिए और 'नेपोटिज़्म रॉक्स' का नारा लगाकर माफी मांगने वाले करण को यह बात भी स्वीकार कर लेनी चाहिए कि भाई भतीजावाद का झंडा फिलहाल उन्हीं के हाथों में है जो साफ साफ नज़र भी आने लगा है, तो अब इन बातों से इंकार करने का कोई मतलब नहीं बचता.