DON’T MISS type of content on OTT: बॉलीवुड में ओटीटी पर कई ऐसी फिल्में आईं है जिन्हें आउट ऑफ द बॉक्स बनाया गया है. मतलब इन कहानियों में कब कहां से ट्विस्ट आ जाए इसका अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता. कोई डर के उस गुनाह को दिखाती है जो एक घर के 11 लोगों की जान ले जाती है तो कोई ग्लैम वर्ल्ड के उन छिपे हुई कहानियों से पर्दा उठाती है जिसकी भनक भी किसी को नहीं लगती. इस लिस्ट में देखिए बॉलीवुड की वो 7 फिल्में जिनकी कहानी का ट्विस्ट आपके माइंड को हिला कर रख देगा. 


The House of Secrets-The Burari Deaths Review


ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर इसी साल बुराड़ी कांड पर डॉक्युमेंट्री सीरीज रिलीज हुई है, नाम है- द हाउस ऑफ सीक्रेट्स द बुराड़ी डेथ्स. करीब 45-45 मिनट की तीन कड़ियों वाली यह सीरीज घटनाक्रम को चौतरफा समझने का प्रयास है. यह उन तमाम परतों को उघाड़ने और सवालों के जवाब पाने की कोशिश है, जिसमें बुराड़ी के चूंडावत (भाटिया) परिवार के 11 लोग अकस्मात खत्म हो गए. 77 साल की बुजुर्ग से लेकर 14 साल के किशोर तक. चार पुरुष, सात महिलाएं. पड़ोस से लेकर प्रदेश-देश और विदेश तक लोग हतप्रभ रह गए कि क्या हुआ, जो सबने एक साथ जीवनलीला समाप्त कर ली? वेब सीरीज इस घटना के बहाने समाज की सबसे छोटी इकाई, परिवार को भी समझने की कोशिश करती है. कैसे परिवारों में कुछ निजी और गोपन रहस्य होते हैं, जिन्हें सख्ती से दबा कर रखा जाता है. करीब से करीब तर लोगों को भी वह कभी मालूम नहीं चलते. बाहर से हंसते-खेलते, जगमग-सुखी-समृद्ध दिखते परिवार के अंदर डरावना अंधकार और सन्नाटा रहता है. जो कब उन्हें लील ले, कह नहीं सकते. यहां इस जटिल समय में लोगों के लिए मनोविज्ञान की जरूरत और नए जमाने की सनसनीखेज, नाटकीय और मिर्च-मसाले वाली पत्रकारिता पर भी नजर है.



Break point
डॉक्यूमेंट्री बताती है कि पेस-भूपति भारतीय खेल इतिहास की अनूठी घटना हैं. लेकिन ये विवादों की मूर्तियां भी हैं. आप पाते हैं कि ऊपरवाला कैसे अपनी स्क्रिप्ट से लोगों को कठपुतली बनाता है. भूपति को छोटे भाई की तरह संरक्षण देने और उसके लिए प्रोफेशनल जीवन में त्याग करने वाले वाले पेस सपना देखते हैं कि दोनों मिलकर दुनिया को दिखा देंगे कि भारतीय भी ग्रैंड स्लैम जीत सकते हैं. यह इंडियन एक्सप्रेस लक्ष्य की ओर बढ़ रही होती है कि तभी 1997 में महेश फ्रेंच ओपन के मिक्स्ड डबल्स में जापान की रिका हीरा के साथ चैंपियन बन जाते हैं. एकाएक इतिहास में दर्ज होता है कि भूपति कोई भी ग्रैंड स्लैम सीनियर टाइटल जीतने वाले पहले भारतीय हैं. हालांकि महेश की इस सफलता पर पेस ईर्ष्या या जलन से इंकार करते हैं मगर आपको सहज की फिल्म थ्री इडियट्स का डायलॉग याद आता है, ‘दोस्त फेल हो जाए तो दुख होता है, लेकिन दोस्त फर्स्ट आ जाए तो ज्यादा दुख होता है.’ यहां पहली बार इस जोड़ी के बीच कुछ टूटने की आवाज मीडिया में आती है.



Crime Stories-India Detectives Review:
भारतीय पुलिस के संदर्भ में क्राइम स्टोरीजः इंडिया डिक्टेटिव्स एक रोचक सीरीज है, जिसे अवश्य देखना चाहिए. यह पहला सीजन है. हिंदी के साथ कन्नड़, तमिल, तेलुगु और अंग्रेजी में भी. सीरीज में दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू की पुलिस को चार एपिसोड में चार अलग-अलग केस सुलझाते दिखाया गया है. भले ही यहां संदिग्धों को जेल तक पहुंचाया गया मगर अदालत में उनका अपराध साबित होना शेष रह जाता है. फिर भी कमोबेश जो तस्वीरें आती हैं, वे यही दिखाती हैं कि पुलिस ने वास्तविक अपराधी को दबोच लिया है. यहां चार में से तीन केस निम्न-मध्यमवर्ग के और चौथा फुटपाथ पर रहने वाले गरीब का है. पहले तीन मामले जहां हत्या के हैं, जिसमें पुलिस हत्यारे की तलाश में है, वहीं चौथा डेढ़ साल की बच्ची के अपहरण का है.



The Serpent Review
द सरपेंट सोभराज के जीवन के साथ अपराध करने के अंदाज को सामने लाती है. उसे यहां आप मुख्यतः दो चीजों के लिए अपराध करते देखते हैं. पहला पैसा और दूसरा पासपोर्ट. बैंकॉक में रहते हुए अलेन (तहार रहीम) मारने वालों के पासपोर्ट पर अपनी, गर्लफ्रेंड मोनिक (जेना कोलमैन) और दोस्त अजय (अमीश एडिरेवेरा) की तस्वीरें लगा कर, दूसरों की पहचान पर दुनिया भर में घूमता है. वह 1970 के दशक में चली हिप्पी लहर से प्रभावित युवा-पर्यटकों का शिकार करता है. उन्हें बैंकॉक के होटलों के बजाय अपने अपार्टमेंट में रहने के लिए बुलाता है. नशे में डुबाता है. बीमार कर देता है. फिर लूटता है. उनकी हत्याएं भी कराता/करता है. वह उन अपराधियों से अलग है जो मौका-ए-वारदात पर निशान या सुबूत छोड़ते हैं. लेकिन अपराध के हमेशा कई सिरे होते हैं और हॉलैंड के जिन दो युवाओं की अलेन हत्या करता है, उनके परिजन बैंकॉक स्थित अपने दूतावास को चिट्ठी लिखते हैं. उनके बच्चे गायब हैं. दूतावास का जूनियर अधिकारी निप्पनबर्ग (बिली हॉवेल) सक्रिय होता है और उसे जल्द ही पता लगता है कि इन डच नागरिकों को किसी ने जिंदा जला दिया है. इस तरह अलेन उर्फ चार्ल्स सोभराज की तरफ कानून का फंदा बढ़ना शुरू होता है. इसके आगे की कहानी लंबी है.



POTLUCK Review
पॉटलक अंग्रेजी का शब्द है, जिसका मतलब है कुछ परिवारों द्वारा अपनी-अपनी रसोई में खाना पकाना और फिर सबका एक जगह पर इकट्ठा होकर मिल-जुल कर भोजन का आनंद उठाना. अंग्रेजी में ही कहावात हैः द फैमेली हू ईट्स टुगेदर, स्टेज टुगेदर. मतलब यह कि जो परिवार साथ में बैठ कर भोजन करता है, वह (हमेशा) इकट्ठा रहता है. मगर मजे की बात यह है कि शास्त्री परिवार इकट्ठा नहीं रहता. सीनियर शास्त्री (जतिन सयाल) रिटायर हो चुके हैं. पत्नी प्रमिला (किटू गिडवानी) के साथ बड़े-से घर में रहते हैं. दो बेटों की शादी हो चुकी है. बड़े बेटे-बहू, विक्रांत-आकांक्षा (साइरस साहुकार-इरा दुबे) के जुड़वां समेत तीन बच्चे हैं. छोटे बेटे ध्रुव (हरमन सिंघा) की पत्नी निधि (सलोनी खन्ना पटेल) को बच्चे पसंद नहीं और वह नौकरीपेशा है.



Call My Agent Bollywood Review
करीब पौन-पौन घंटे की छह कड़ियों वाले कॉल माई एजेंट बॉलीवुड का यह पहला सीजन है. जो फ्रेंच सीरीज डिक्स पोर सेंट (टेन परसेंट) का हिंदी रूपांतरण है. कहानी बॉलीवुड सितारों को मैनेज करने वाले एजेंसी, आर्ट में काम करने वाले एजेंटों की है. सौम्यजीत दासगुप्ता उर्फ शोमू (टीनू आनंद) आर्ट का मालिक है. अचानक उसकी मौत के बाद सवाल उठता है कि आर्ट को कैसे बचाएं क्योंकि सितारों को संभालने के लिए कॉरपोरेट एजेंसियां तेजी से उभर रही हैं. बाजार में प्रतिस्पर्धा बहुत है. कई ऐक्टर नाखुश होकर एजेंसी छोड़ रहे हैं. उस पर शोमू की पत्नी भी आर्ट को बेचना चाहती है. मोंटी बहल (रजत कपूर) और ट्रीजा मैथ्यू (सोनी राजदान) आर्ट के सीनियर एजेंट हैं जबकि अमार अहमद (आहना कुमरा) और मेहरशाद सोडावाला (आयुष मेहरा) उनके जूनियर हैं. तभी अमार की असिस्टेंट के रूप में निया (राधिका सेठ) की एंट्री होती है. आर्ट में भी बहुत सारी वित्तीय गड़बड़ियां हैं. सरकारी ऑडिट अफसर जसलीन (अनुष्का सावने) आर्ट के खाते खंगाल रही है. आर्ट की इस हालत के बीच किरदारों की निजी जिंदगियों की उठा-पटक यहां है. साथ में सितारों-निर्देशकों के काम संभालने की बाजीगरी भी.



Little Things Season 4 Review
लिटिल थिंग्स प्रेमियों के जीवन की छोटी-छोटी बातों पर आधारित है. ध्रुव सहगल ने पहले तीन सीजन लिखे थे लेकिन इस बार राइटरों की एक टीम है. चौथा सीजन भी खूबसूरती से लिखा गया है. इस बार दोनों युवा अपने जीवन के उतार-चढ़ावों का समझदारी के साथ सामना करते दिखते हैं. पुरानी नोकझोंक, रूठना-मनाना यहां गायब है. करीब आधे-आधे घंटे के आठ एपिसोड वाले इस सीजन में क्लाइमेक्स रोचक है. दोनों के माता-पिता उनके फ्लैट में आते और साथ रहते हैं. पार्टी भी होती है और बिना किसी शोर-शराबे-हंगामे के ध्रुव और काव्या के फैसले को सभी स्वीकार करते हैं. हालांकि आपको यह भी महसूस हो सकता है कि क्या इतनी आसानी और सरलता से सब कुछ निपट जाता है. शायद हां, बरसों के लिव-इन में रह रही काव्या ध्रुव से कहता है कि अब तो मुझे ऐसा लगता है, मानो मैं शादीशुदा हूं.