स्टार कास्ट: सलमान खान, सोहेल खान, झू झू, माटिन रे टेंगू, ज़ीशान अहमद
डायरेक्टर: कबीर खान
रेटिंग: दो स्टार
सलमान खान की 'ट्यूबलाइट' इस साल की मोस्ट अवेटेड फिल्मों में से एक है. इस फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान ने इसे सुपरहिट बनाने के लिए सारे फॉर्मूले इस्तेमाल कर लिए हैं. एक भोलाभाला इंसान, साथ में छोटा सा क्यूट बच्चा, भारत-चीन का युद्ध और सालों बाद पर्दे पर शाहरूख खान और सलमान खान की केमिस्ट्री... लेकिन इसके बावजूद कबीर खान इस फिल्म को देखने लायक नहीं बना पाए हैं. पिछले साल भी ईद पर कबीर खान की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' रिलीज हुई थी जिसमें भारत-पाकिस्तान के बीच तनातनी और मुन्नी के साथ सलमान खान... ये कनेक्शन लोगों को खूब पसंद आया था. अब 'ट्यूबलाइट' देखकर लगता है कि उसी वक्त कबीर खान को फिर से इसी फॉर्मूले को आजमाने का आइडिया आया होगा. लेकिन इस बार ना सलमान खान का स्टारडम चल पाया है और ना ही युद्ध का प्लॉट...
कहानी-
'ट्यूबलाइट’ को भारत और चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के बैकग्राउंड में बनाया गया है. इस फिल्म में लक्ष्मण सिंह बिष्ट (सलमान खान) की कहानी को दिखाया गया जो बहुत ही भोला है. लोग उसे 'ट्यूबलाइट' बुलाते हैं क्योंकि उसके दिमाग की बत्ती धीरे-धीरे जलती है. उसकी देखरेख उसका छोटा भाई भरत (सोहेल खान) करता है. भारत-चीन युद्ध के दौरान भरत बॉर्डर पर जाता है और खो जाता है. लक्ष्मण उसे वापस लाने के लिए क्या-क्या करता है यही कहानी है. साथ ही इस फिल्म में नस्लीय भेदभाव (racism) के मुद्दे को भी उठाया गया है. इसमें दिखाया गया है कि लीलींग (झू झू) के दादा, परदादा चीन से आकर भारत बस गए थे और उन्होंने भारत को ही अपना देश माना फिर भी जब भी लोग लीलींग और उनके बेट गुओ (माटिन रे टेंगू) को देखते उन्हें 'चीनी-चीनी' कहकर बुलाया जाता है. यहां तक कि चीन से युद्ध के दौरान उन्हें मारने की भी कोशिश की जाती है और दोनों जहां भी जाते हैं लोग उन्हें संदेहास्पद नज़रों से देखते हैं.
फिल्म के प्लॉट में दो बड़े ही संवेदनशील मुद्दे को दिखाने की कोशिश की गई है. पहला ये कि जब दो देशों में युद्ध होता है तो उनके परिवार किस तरह प्रभावित होते हैं, और दूसरा नस्लीय भेदभाव का... लेकिन जिस तरीके से इसे पर्दे पर उतारा गया है वो बहुत ही लचर है. पूरी फिल्म बिखरी हुई दिखती है और ऐसा लगता है कि जैसे अलग-अलग टुकड़ों में बनी है.
इस फिल्म का जब पहला टीजर आया था तब उसमें एक 'ट्यूबलाइट' दिखाई गई थी जिसे जलने में थोड़ा वक्त लगता है और उसके साथ ही बच्चों की आवाज आई थी 'क्या तुम्हें यकीन है?' ये पूरी फिल्म 'यकीन' पर बनी है. हम कब से सुनते आ रहे हैं कि अगर आपको यकीन है तो आप चट्टान हिला सकते हैं. लेकिन इस फिल्म में इसकी हद देखने को मिली है. एक सीन में जब सब लोग लक्ष्मण का मजाक उड़ाते हैं तो वो अपने यकीन से पहाड़ को हिला देते हैं. सुनने में ये आपको मज़ाक लग रहा है होगा लेकिन ये सच है. ऐसा सिर्फ सलमान खान ही कर सकते हैं. गनीमत है कि फिल्म में बाद में बता दिया गया है कि जिस सीन में उन्होंने चट्टान हिला दिया दरअसल उस वक्त भूकंप आ गया था. ये बस संयोग था कि जब सलमान खान चाहते थे उसी वक्त पहाड़ हिलने लगा... और लोगों को उनपर यकीन हो गया. तो इस हद का 'संयोग' और 'यकीन' सिर्फ दबंग खान की ही फिल्मों में हो सकता है.
अभिनय-
जब फिल्म सलमान खान की हो तो उनके अभिनय के बारे में क्यों बात करना... वो जो भी करते हैं फैंस को उसी में भा जाते हैं. इस फिल्म में सलमान बहुत ही भोले किस्म के लड़के किरदार में हैं. हालांकि ज्यादातर सीन में भोलापन उनपर जमता नहीं है.
रीयल भाई सलमान और सोहेल की केमेस्ट्री रील लाइफ में बहुत ही अच्छी है. दोनों भाइयों को स्क्रीन शेयर भी करीब बराबर ही मिला है और जब ये दोनों पर्दे पर रहते हैं तो अच्छा करते हैं. फिल्म में दोनों भाइयों का एक-दूसरे के लिए प्यार, दुलार और फिर बिछड़ने वाले सीन इमोशनल हैं. लेकिन कोई भी फिल्म सिर्फ किरदारों के अच्छे अभिनय से शानदार नहीं बनती बल्कि उसके लिए एक अच्छी कहानी और पर्दे पर उसे उतारने का हुनर जरूरी है. ऐसा इस फिल्म में बिल्कुल भी नहीं हो पाया है.
फिल्म में शाहरूख खान ने कैमियो किया है और मैजिशियन गोगो पाशा के रोल में उन्होंने मैजिक कर दिया है. सालों बाद शाहरूख और सलमान को एक साथ देखना वाकई बहुत ही सुकून देने वाला है लेकिन ये मैजिक सिर्फ चंद मिनटों का ही होता है. लेकिन जितनी देर शाहरूख पर्दे पर हैं उतने में तो उन्होंने मैजिक कर ही दिया है.
फिल्म में चाइल्ड एक्टर मार्टिन रे टेंगू बहुत ही क्यूट लगे हैं. लेकिन सलमान खान के साथ उनकी केमेस्ट्री वैसी नहीं बन पाई है जो 'बजरंगी भाईजान' में मुन्नी यानी हर्षाली मल्होत्रा के साथ थी. मुन्नी ने बिना बोले अपने चेहरे के हाव-भाव से एक्टिंग कर गई थी वो मार्टिन बोलकर भी नहीं कर पाए हैं.
वहीं चीनी एक्ट्रेस झू-झू के पास जितना करने को है उन्होंने ठीक ही किया है. फिल्म में वो हिंदी बोलती हैं तो चेहरे का भाव शून्य रहता है. ऐसा लगता है कि वो पढ़ रही हैं. उनका रोल फिल्म में बहुत ज्यादा नहीं है. इसे देखकर पता चलता है कि आखिर सलमान खान ने उन्हें प्रमोशन से दूर क्यों रखा...
इसी साल जनवरी में दुनिया को अलविदा कह देने वाले बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ओम पुरी भी इस फिल्म में हैं. आखिरी बार उन्हें पर देखना बहुत ही इमोशनल है. सलमान खान के साथ उनकी अच्छी केमेस्ट्री है. इससे पहले सलमान के साथ ओमपुरी ‘दबंग’, ‘लंदन ड्रीम्स’, ‘वांटेड’ और ‘बाबुल’ जैसी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं.
मोहम्मद जीशान अयूब ने दोनों खान अभिनेताओं की मौजूदगी में भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी है. वो अपने भूमिका में खूब जमे हैं.
खामियां
फिल्म की सबसे बड़ी खामी ये है कि ये फिल्म युद्ध के प्लॉट पर बनी है और इस फिल्म का सबसे कमजोर पक्ष भी युद्ध के ही सीन हैं. जंग के दश्यों को कबीर खान ने बहुत ही जल्दबाजी में फिल्माया है जिसमें ना तो ठीक से बैकग्राउंड बन पाया है ना ही उन दृश्यों में ठहराव है. जिस जंग का नाम सुनकर लोग सिहर उठते हैं उसे देखते समय दिलोदिमाग में कोई भाव ही पैदा नहीं होता.
साथ ही ये फिल्म जितनी धीमी है उतनी ही लंबी है. देखते समय ऐसा लगता है कि फिल्म कब खत्म होगी. अब तक ‘सुल्तान’ (2016), ‘बजरंगी भाईजान’ (2015) और ‘किक’ (2014) जैसी जितनी भी फिल्में ईंद पर रिलीज हुई हैं उनमें सलमान खान की ये सबसे खराब फिल्म है. इस फिल्म में ना ही कबीर खान का फॉर्मूला चल पाया है और ना ही सलमान खान की स्टारडम...
म्यूजिक-
इसे म्यूजिक प्रीतम और Julius Packiam ने दिया है. इस फिल्म में सिर्फ गाने ही देखने लायक हैं. रेडियो सॉन्ग पहले ही बहुत ही पॉपुलर हो चुका है. इसके अलावा ‘नाच मेरी जान’, ‘तिनका-तिनका दिल मेरा’ और ‘मैं अगर’ गाने भी सुनने और देखने में अच्छे हैं.
क्यों देखें/क्यों ना देखें
सलमान खान की फिल्म है तो इसे फैंस तो देखेंगे ही खासकर तब जब ये फिल्म ईद पर रिलीज हुई है. लेकिन सलमान की फिल्म हो और फर्स्ट शो में सिनेमाहॉल खाली मिले, उनकी एंट्री पर कोई सीटियां मारने वाले फैंस ना हो तो निराशा तो होगी ही. ये फिल्म सलमान खान ही नहीं कबीर खान की भी बेहद खराब फिल्मों में एक है. इसमें ना तो कोई नई कहानी है और ना ही चारों खान (सलमान खान, शाहरूख खान, कबीर खान और सोहेल खान) मिलकर दर्शकों के सामने कुछ ऐसा बना पाए हैं जिसे देखा जा सके. तो इसे आप अपने रिस्क पर देख सकते हैं.
यहां देखें 'ट्यूबलाइट' का ट्रेलर