नई दिल्ली: सीएए और एनआरसी को लेकर जहां देश में कई जगह विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं, वहीं इस सब के बीच एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर का इसे लेकर बड़ा बयान सामने आया है. उर्मिला ने इसका विरोध करते हुए इसे काला कानून कहा है. उर्मिला मातोंडकर ने इस कानून की तुलना अंग्रेजों द्वारा लाए रॉलेट एक्ट से की है.
उन्होंने कहा, ''अंग्रेज जानते थे कि 1919 में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद भारत में विरोध बढ़ेगा. इसलिए वो रॉलेट एक्ट लेकर आ गए. 1919 का वह कानून और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019, दोनों ही को इतिहास में काले कानून के रूप में दर्ज किया जाएगा.'' उर्मिला मातोंडकर ने कहा कि कथित देशभक्त देश पर इस प्रकार की तानाशाही करना चाहते हैं. यहां आपको बता दें कि पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक चला था, वहीं दूसरा विश्वयुद्ध 1938 से 1945 तक लड़ गया था. पहले विश्वयुद्ध के बाद 1919 में अंग्रेज रॉलेट एक्ट लेकर आए थे.
उर्मिला ने कहा कि 'ये कानून गरीबों और मुस्लिमों के विरोधी है'.
उन्होंने कहा कि इस एक्ट में अंग्रेजी सरकार के पास ये ताकत थी कि सरकार के खिलाफ बोलने वालों को वो जेल में डाल सकते थे. ऐसा ही अब हो रहा है. आपको यहां बता दें कि उर्मिला मातोंडकर अब भले ही किसी राजनेतिक पार्टी से नहीं जुड़ी हैं लेकिन 2019 में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि वो चुनावों में कोई खास कमाल नहीं दिखा पाईं थी. चुनावों में हार के बाद उन्होंने कांग्रेस को ये कहते हुए छोड़ दिया कि पार्टी में उनकी बात को महत्व नहीं दिया जाता.
क्या है CAA ?
इस कानून के लागू होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी यानी हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. मतलब 31 दिसंबर 2014 के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी.
क्यों हो रहा विरोध?
इस कानून में छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी, लेकिन इसमें मुसलमानों की बात नहीं कही गई है. विरोधियों का कहना है कि यह भारत के मूलभूत संवैधानिक सिद्धांत के विरुद्ध है और यह विधेयक मुसलमानों के ख़िलाफ़ है. ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 जो कि एक मौलिक अधिकार है उसका (समानता का अधिकार) उल्लंघन करता है. सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि इस बिल में मुस्लिम धर्म के साथ भेदभाव किया जा रहा है.