'अंगूर' और 'गोलमाल' जैसी महान फिल्मों का हिस्सा रहे हैं वो, एक्टिंग का अंदाज इतना अलग था कि सरकारें भी डर जाती थीं, जानें कौन थे वो
Utpal Dutt Birth Anniversary: बॉलीवुड में कॉमेडी एक्टर्स की कमी नहीं है लेकिन कुछ लोग अपने अंदाज के कारण इतिहास रच जाते हैं. कुछ ऐसा ही अंदाज 70's के एक एक्टर का हुआ करता था जिनकी कॉमेडी लाजवाब थी.
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Utpal Dutt Birth Anniversary: फिल्म इंडस्ट्री में जितने भी पॉपुलर लोगों के नाम है उनका अपना काम करने का अलग-अलग अंदाज होता था. जो एक तरह की एक्टिंग कर रहे हैं या किसी को कॉपी कर रहे हैं उनके चर्चे नहीं होते लेकिन खास अंदाज को पकड़ने वाला हमेशा याद रहता है. कुछ ऐसा ही अंदाज 70's के एक अभिनेता का था. जिन्होंने कई क्लासिक फिल्मों में ऐसी-ऐसी परफॉर्मेंस दी कि हर किसी ने तालियां बजाईं.
जी हां, हम बात दिग्गज अभिनेता उत्पल दत्त की कर रहे हैं जिन्हें आपने 'गोलमाल' समेत कई फिल्मों में देखा होगा. उत्पल दत्त ना सिर्फ एक्टर थे बल्कि वो क्रांतिकारी प्लेज भी लिखते थे. इस साल उत्पल दत्त की 94वीं बर्थ एनिवर्सरी है, इस मौके पर चलिए आपको उनके फिल्मी सफर पर ले चलते हैं.
उत्पल दत्त का फैमिली बैकग्राउंड
29 मार्च 1929 को वेस्ट बंगाल के बरिसल नाम की जगह पर उत्पल दत्त का जन्म हुआ था. उत्पल दत्त बंगाली हिंदू परिवार से बिलॉन्ग करते हैं. इनके पिता गिरिजारंजन दत्त थे जो बरिसल में ही नौकरी करते थे. उत्पल दत्त की शुरुआती पढ़ाई मेघालय के शिलॉन्ग में हुई लेकिन कॉलेज की पढ़ाई कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज में हुई.
उत्पल दत्त ने इंग्लिश लिट्रेचर विद ऑनर ग्रेजुएट हुए थे. उत्पल दत्त ने साल 1960 में एक्ट्रेस शोभा सेन से शादी की थी जिनसे उन्हें बिश्नुप्रिया दत्त एकलौती बेटी हैं. बिश्नुप्रिया दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू में थिएटर और परफॉर्मेंस स्टडीज स्कूल ऑफ आर्ट्स की प्रोफेसर रह चुकी हैं.
उत्पल दत्त का फिल्मी करियर
उत्पल दत्त को कॉलेज टाइम से ही थिएटर्स में प्लेज करने का शौक रहा है. साल 1943 में स्थापित हुए इंडियन प्यूपिल्ज़ थिएटर एसोसिएशन (IPTA) के फाउंडर्स में से एक थे. लंबे समय पर वो थिएटर में काम करते रहे लेकिन साल 1950 में पहली फिल्म माइकल मधुसूदन साइन की जो एक बंगाली फिल्म थी.
उत्पल दत्त ने कई बंगाली फिल्मों में काम किया लेकिन बाद में उनके मन में हिंदी फिल्में करने का ख्याल आया और वो मुंबई चले आए. काफी मेहनत-मशक्कत के बाद उत्पल दत्त को पहली हिंदी फिल्म 'गुड्डी' मिली. इसके बाद उन्हें पहचान फिल्म गोलमाल (1969) से मिली.
इसमें उनके कॉमेडी अंदाज ने लोगों को पेट पकड़कर हंसने पर मजबूर कर दिया था. इसके बाद उत्पल दत्त ने 'किसी से ना कहना', 'नरम गरम', ''अपने पराए, 'इंकलाब', 'शौकीन', 'रंग बिरंगी', 'बात बन जाए', 'दो अनजाने', 'अंगूर','बहूरानी' जैसी तमाम सुपरहिट फिल्मों में अहम किरदार निभाए.
उत्पल दत्त में थी ऐसी खासियत
फिल्मी सेलिब्रिटीज से खास बातचीत करने वाली एक्ट्रेस और एंकर तबस्सुम ने अपने एक शो में उत्पल दत्त के बारे में कई अनकही बातें बताई थीं. जब उनसे पूछा गया कि उत्पल दत्त की खासियत क्या थी तो उन्होंने बहुत ही अच्छा जवाब दिया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तबस्सुम ने उत्पल दत्त को लेकर कहा था, 'वो ऐसे अभिनेता था जो लंबे-लंबे डायलॉग्स एक सांस में बोल सकते थे. उस लंबे डायलॉग को भी अलग-अलग अंदाज में बोलते थे कि सुनने वाला बोर नहीं हो सकता था. उनकी आवाज में एक अलग तरह की कलाकारी थी जिसे सिर्फ वो ही कर सकते थे. वो हमेशा कहते थे कि अच्छे कॉमेडियन की निशानी होती है कि उसे अपनी कॉमेडी में वैल्गैरिटी को शामिल नहीं करना चाहिए.'
उत्पल दत्त जेल क्यों गए थे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1965 में पश्चिम बंगाल की कांग्रेस सरकार ने उन्हें जेल में भेज दिया था. कई महीनों तक वो हिरासत में रहे और उसके बाद उन्हें रिहा किए गए थे. ऐसा बताया जाता है कि उत्पल दत्त के एक नाटक जिसका नाम 'कल्लोल (साउंड ऑफ द वेव्स) में सरकार के खिलाफ एक संदेश दिखाया गया था, उससे तत्कालीन राज्य सरकार डर गई थी.
सरकार ने उस समय बयान दिया था कि इस प्ले से आम जनता भड़क सकती है क्योंकि उसमें एक क्रांतिकारी के जीवन को अलग ढंग से उत्पल दत्त ने प्रस्तुत किया था. उत्पल दत्त शेक्सपियर के नॉवेल्स पढ़ा करते थे और खुद प्लेज लिखकर उसमें अभिनय भी करते थे.
उत्पल दत्त का निधन
उत्पल दत्त ने अपने फिल्मी करियर में बंगाली और हिंदी फिल्मों को मिलाकर करीब 300 फिल्मों में काम किया था. उन्हें फिल्मफेयर से लेकर नेशनल अवॉर्ड तक मिला था. 90's की शुरुआत में उन्हें किडनी की प्रोबलम हो गई थी.
लंबे समय तक उत्पल दत्त डायलिसिस पर थे. 19 अगस्त, 1993 को अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया और उनका निधन हो गया था. उत्पल दत्त तो चले गए लेकिन वो अपनी बेमिसाल फिल्मों के जरिए हमेशा फैंस के दिलों में जिंदा रहेंगे.
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