राज कपूर और नरगिस की लव स्टोरी: जब-जब सुपर स्टार्स की प्रेम कहानियों का जिक्र होता है, तो सबसे पहले याद आते हैं यही दो नाम राज कपूर और नरगिस. साल 1946 में राज कपूर की मुलाकात फिल्म 'आग' के दौरान नरगिस से हुई थी और पहली ही नज़र में उन्हें प्यार हो गया था. पहली झलक मिलने के बाद राज कपूर सीधे इंदर राज आनंद के घर पहुंचे जिन्होंने फिल्म 'आग' की स्क्रिप्ट लिखी थी. राज कपूर ने उनसे कहा कि उस स्क्रिप्ट में वह किसी तरह नरगिस का रोल भी जोड़ दें क्योंकि वही अब उनकी हीरोइन बनेंगी. 1949 में रिलीज़ हुई फिल्म 'आग' बॉक्स ऑफिस पर तो ज्यादा कामयाब नहीं रही लेकिन इस फिल्म ने इन दोनों के रूप में इंडस्ट्री को एक बेहद कामयाब जोड़ी दे दी.


राज कपूर के शादीशुदा होने के बावजूद नरगिस के साथ उनका रिश्ता फिल्मी पर्दे से निकल कर, उनकी असली जिंदगी का अहम हिस्सा बनने लगा था. इसके बाद 1950 में फिल्म 'बरसात' और 1951 में 'आवारा' रिलीज़ हुई. ये दोनों फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुई. ये वह फिल्म थी जिसने एक निर्देशक और अभिनेता के तौर पर राज कपूर को ना सिर्फ देश में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्त शोहरत दिलाई.



इसके बाद ये दोनों फिल्म 1953 में 'आह' में भी नजर आए. 'आह' ज्यादा नहीं चली. अब तक राज कपूर ने ये फैसला कर लिया था कि अब नरगिस किसी बाहर के निर्माता की फिल्म में काम नहीं करेंगी. राज कपूर के प्यार में दीवानी हो चुकी नरगिस ने ये बात भी मान ली और कई बड़े निर्माताओं के साथ काम करने से इंकार कर दिया. नरगिस ने उस दौर के जाने-माने निर्देशक महबूब खान की फिल्म 'आन' में काम करने से भी इंकार कर दिया क्योंकि वो सिर्फ आर के बैनर की फिल्मों में काम करने का फैसला कर चुकीं थीं. इस अजीब से फैसले के बाद नरगिस ना सिर्फ अपनी निजी जिंदगी में बल्कि अपने करियर में भी पूरी तरह राज कपूर पर निर्भर हो गईं.


काम के नाम पर नरगिस के पास अब सिर्फ फिल्म 'श्री 420' थी. नरगिस शादी करना चाहती थीं, घर बसाना चाहती थीं, लेकिन उन्हें ये भी एहसास हो चुका था कि राज कपूर पत्नी कृष्णा को कभी नहीं छोड़ेंगे. 1955 में रिलीज़ हुई 'श्री 420' सुपरहिट तो थी लेकिन दोनों के रिश्ते में दरारें सबको नज़र आने लगीं. इसके बाद दोनों 'मदर इंडिया' में साथ नज़र आए. नरगिस अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ गईं. 1958 में नर्गिस और सुनील दत्त ने शादी कर ली.



राज कपूर की जिंदगी में नरगिस के बाद भी कुछ लव स्टोरीज़ हुईं. वहीं नरगिस सुनील द्त के साथ अपनी जिंदगी में बेहद खुश थीं लेकिन शादी के कई साल बाद खबर आई कि नर्गिस को कैंसर है. नर्गिस की बीमारी ने पूरे दत्त परिवार को हिलाकर रख दिया. सुनील दत्त ने दुनिया के बेहतरीन डॉक्टरों से उनका इलाज करवाया लेकिन 3 मई 1981 को नर्गिस जिंदगी की जंग हार गईं. उनके आखिरी सफर पर अंतिम विदाई देने वालों में राज कपूर भी थे. मधु जैन की किताब द कपूर्स में लिखा है, ''नरगिस की अंतिम यात्रा में राज कपूर के साथ रश्मि शंकर गईं थीं, वो याद करती हैं कि वहां बेहद भीड़ थी. हर कोई राज जी से कह रहा था कि सामने की ओर चले जाइए लेकिन वो पीछे ही रहे. कहने लगे- 'यहीं से तो गुजरेंगे'... फिर कहने लगे 'मेरे सभी दोस्त जा रहे हैं'. उन्होने अपना काला चश्मा लगा रखा था और वो भीड़ का हिस्सा ही बने रहे. ये बेहद जज्बाती पल थे.


कहते हैं जब नरगिस आरके स्टूडियो और राज कपूर की जिंदगी से निकल गई थीं तब भी कई सालों तक उनके कमरे को वैसे ही रखा गया जैसा कि वो छोड़ गई थीं. उनकी याद हमेशा राज कपूर के साथ रही.