नई दिल्ली: बड़े पर्दे पर रोमांस करके लाखों दिलों पर राज करने वाले सुपरस्टार्स को जब प्यार हुआ तो क्या हुआ. कुछ इस प्यार में सारी हदें पार कर गए तो  कुछ ने अपनी प्रेम कहानी को अमर बना दिया. कुछ सितारों की लव स्टोरी किसी फिल्म से कम नहीं. इनमें प्यार है, रोमांस है, ड्रामा है, इमोशन है और ट्रैजडी भी है. वैलेंटाइन डे के मौके पर हम आपको बता रहे हैं बॉलीवुड की कुछ ऐसी प्रेम कहानियों के बारे में जिन्हें जमाना कभी भूल नहीं पाएगा.




  1. शाहरूख खान और गौरी: बॉलीवुड की आईकोनिक फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे…’ में राज बने शाहरुख अपनी प्रेमिका सिमरन के परिवार का दिल जीतने के लिए क्या क्या नहीं करते... वो सिमरन से शादी तो करना चाहते हैं, लेकिन उसके परिवार की रज़ामंदी से. क्या आपको मालूम है कि DDLJ के राज और सिमरन की तरह ही शाहरुख और गौरी की रियल लव स्टोरी में भी कई मुश्किलें आईं. परिवार की सख्ती, अलग अलग धर्म की उलझन और कई मुश्किलों के बाद भी, ये दिलवाला अपनी दुल्हनिया को ले ही गया. वो साल था 1984...जब दिल्ली के पंचशील क्लब में चल रही एक पार्टी में 18 साल के शाहरुख की नज़र 14 साल की गौरी पर पड़ी थी. शाहरुख उन्हें बस देखते ही रह गए. लेकिन उस रोज़, शर्मीले शाहरुख गौरी से बात तक करने की हिम्मत नहीं दिखा पाए. बाद में शाहरूख ने गौरी का नंबर लिया और फिर बात-मुलाकात का सिलसिला शुरू हुआ. इसके बाद शाहरूख अपना करियर संवारने मुंबई चले गए. शाहरुख बीच बीच में गौरी से मिलने दिल्ली भी आते रहे. गौरी धनाढ्य परिवार से थीं और शाहरुख खान एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार से थे. इस वजह दोनों के रिश्ते में काफी मुश्किलें आईं. आपको जानकर हैरानी होगी कि दोनों ने जब शादी का फैसला किया उस वक्त शाहरूख के अकाउंट में सिर्फ 28 हजार रूपये थे. इस दौरान शाहरूख ने झूठ बोलने की बजाय गौरी के परिवार को यकीन दिलाया कि वो जल्द ही सुपरस्टार बनेंगे. 26 अगस्त 1991 को शाहरुख और गौरी ने कोर्ट में शादी कर ली. शाहरुख और गौरी का निकाह भी हुआ जिसमें गौरी का नाम रखा गया आयशा. इसके बाद 25 अक्टूबर 1991 को हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक दोनों की शादी हुई. इसके बाद 1992 को शाहरुख की पहली फिल्म 'दीवाना' रिलीज हुई जो सुपरहिट रही और ये सिलसिला जो शुरू हुआ तो अब तक कायम है. अब शाहरूख-गौरी के तीन बच्चे आर्यन, सुहाना और अबराम हैं. गौरी भी अपने इंटीरियर के काम में व्यस्त हैं. जब भी बॉलीवुड के हॉट कपल्स की बात होती है तो शाहरूख और गौरी का नाम सबसे पहले  आता है.




  • अमिताभ और रेखा: बॉलीवुड में जब जब मोहब्बत का जिक्र होता है तो एक नाम जहन में सबसे पहले आता है. ये नाम है अमिताभ और रेखा. ये जोड़ी रील लाइफ और रीयल दोनों ही मामलों में सुपरहिट रही. साल 1976 में जब अमिताभ और रेखा ने पहली बार फिल्म 'दो अंजाने' में एक साथ काम किया तो दोनों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि ना तो अब ये एक दूसरे से अंजाने रहेंगे. ये दोनों सितारे एक साथ 'कसमें वादे', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'मिस्टर नटवर लाल' और 'सुहाग' जैसी कई फिल्मों में नज़र आए.  रेखा से मुलाकात से तीन साल पहले 1973 में ही अमिताभ की शादी हो चुकी थी लेकिन मोहब्बत भला ये सब कहां सोचती है. 22 जनवरी 1980 को ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी पर रेखा माथे में सिंदूर लगाकर पहुंची लेकिन ये सिंदूर किसके नाम का था इस बात का खुलासा रेखा ने कभी नहीं किया.  1984 में फिल्मफेयर मैगज़ीन को दिए एक इंटरव्यू में रेखा ने अपने रिश्ते का सच दुनिया को बताया.  रेखा जहां चीख चीख कर दुनिया को अपने रिश्ते के बारे में बताना चाहती थीं वहीं बच्चन साहब हमेशा कहते रहे कि कोई रिश्ता है ही नहीं. इसके बाद ये जोड़ी 'सिलसिला' में नज़र आई जिसमें जया बच्चन भी थीं.  जिनकी मोहब्बत के किस्से दुनिया पढ़ा करती थी सिलसिला देखकर ऐसा लगा जैसे वो किरदार पर्दे पर अपनी ज़िंदगी जी रहे हैं . साथ में कई यादगार फिल्में देने वाले अमिताभ और रेखा की जोड़ी की आखिरी फिल्म साबित हुई.


यहां देखें- रेखा-अमिताभ की लव स्टोरी




  • देवानंद और सुरैया: इस लव स्टोरी का जिक्र उस जमाने में हर गली, हर चौक पर होता था. सुर्खियों में रही इस लव स्टोरी की कशक ऐसी है कि आज भी अगर कोई देवानंद का नाम लेता है तो खुद-ब-खुद सुरैया का नाम आ जाता है. इनकी लव स्टोरी की शुरूआत 1948 में हुई थी. सुरैया फिल्मों में अपने गीत खुद ही गाती थीं. देवानंद अभी नए-नए आए थे. उन्हें 'विद्या' के लिए साइन किया गया जिसमें सुरैया उनकी हीरोइन थीं. यहीं दोनों की पहली मुलाकात हुई थी. पहले ही दिन दोनों के बीच रोमांटिक सीन फिल्माया जाना था. शूटिंग के दौरान देवानंद सुरैया के इतने कायल थे कि उन्होंने सोचा कि काश उस सीन के दौरान कोई उनकी एक तस्वीर क्लिक कर ले. पहली नज़र में ही दोनों को प्यार हो गया था. इस फिल्म का एक सीन नदी में फिल्माया जाना था. शूटिंग के दौरान नाव पलट गई और सुरैया पानी में गिर गईं. इसके बाद देवानंद ने उन्हें बचाया. यही वो पल था जब दोनों को बेपनाह मोहब्बत हो गई. देवानंद जब भी सुरैया के घर जाते तो उनके दोस्त सुरैया की नानी को बातों में उलझा लेते और ये लव बर्ड छत पर जाकर क्वालिटी टाइम एक दूसरे के साथ बिताता. 1949 में आई फिल्म 'जीत' में शादी का सीन फिल्माया जाना था यहां पर दोनों ने सोचा कि वो सीन मे असली पंडित को बुलाएंगे और शादी कर लेंगे. ये खबर सुरैया की नानी तक पहुंच गई और वो जबरदस्ती सुरैया को घर ले गईं. दोनों के धर्म अलग होने की वजह से सुरैया की नानी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुईं और दोनों को अलग होना पड़ा. इसके बाद सुरैया ने कभी शादी नहीं की और देव की यादों में ही खोई रहीं.


यहां देखें- देवानंद और सुरैया की लव स्टोरी




  • राज कूपर और नरगिस- जब-जब सुपर स्टार्स की प्रेम कहानियों का जिक्र होता है तो सबसे पहले याद आते हैं यही दो नाम राज कपूर और नरगिस. साल 1946 में राज कपूर की मुलाकात फिल्म 'आग' बनाने के दौरान नरगिस से हुई थी और पहली ही नज़र में उन्हें प्यार हो गया था. पहली झलक मिलने के बाद राज कपूर सीधे इंदर राज आनंद के घर पहुंचे जिन्होंने फिल्म 'आग' की स्क्रिप्ट लिखी थी. राज कपूर ने उनसे कहा कि उस स्क्रिप्ट में वह किसी तरह नरगिस का रोल भी जोड़ दें क्योंकि वही अब उनकी हीरोइन बनेंगी. 1949 में रिलीज़ हुई फिल्म आग बॉक्स ऑफिस पर तो ज्यादा कामयाब नहीं रही लेकिन इस फिल्म ने इन दोनों के रूप में इंडस्ट्री को एक बेहद कामयाब जोड़ी दे दी.  राज कपूर के शादीशुदा होने के बावजूद नरगिस के साथ उनका रिश्ता फिल्मी पर्दे से निकल कर, उनकी असली जिंदगी का अहम हिस्सा बनने लगा था.  इसके बाद 1950 में फिल्म 'बरसात' और 1951 में 'आवारा' रिलीज़ हुई. ये दोनों फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुई. ये वह फिल्म थी जिसने एक निर्देशक और अभिनेता के तौर पर राज कपूर को ना सिर्फ देश में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्त शोहरत दिलाई. इसके बाद ये दोनों फिल्म 1953 में 'आह' में भी नजर आए. इसके बाद राज कपूर ने ये फैसला कर लिया था कि अब नरगिस किसी बाहर के निर्माता की फिल्म में काम नहीं करेंगी. राज कपूर के प्यार में दीवानी हो चुकी नरगिस ने ये बात भी मान ली और कई बड़े निर्माताओं के साथ काम करने से इंकार कर दिया. लेकिन इसके बाद उनको सिर्फ एक फिल्म मिली 'श्री 420'.  नरगिस शादी करना चाहती थीं, घर बसाना चाहती थीं लेकिन उन्हें ये भी एहसास हो चुका था कि राज कपूर पत्नी कृष्णा को कभी नहीं छोड़ेंगे. 1955 में रिलीज़ हुई 'श्री 420' सुपरहिट तो थी लेकिन दोनों के रिश्ते में दरारें सबको नज़र आने लगीं.  इसके बाद दोनों 'मदर इंडिया' में साथ नज़र आए. नरगिस अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ गईं. 1958 को नर्गिस और सुनील दत्त ने शादी कर ली. कहते हैं जब नर्गिस आरके स्टूडियो और राज कपूर की जिंदगी से निकल गई थीं तब भी कई सालों तक उनके कमरे को वैसे ही रखा गया जैसा कि वो छोड़ गई थीं. उनकी याद हमेशा राज कपूर के साथ रही.




  • हेमा मालिनी और धर्मेंद्र: फिल्मी करियर की कामयाबी के साथ ही धर्मेंद्र की जिंदगी में कुछ ऐसा भी हुआ जिसने उनकी जिंदगी बदल दी और ये था इश्क! फिल्म 'सीता और गीता' की शूटिंग के दौरान धर्मेंद्र और हेमा मालिनी का प्यार परवान चढ़ा. धर्मेंद्र शादीशुदा थे. उनके बच्चे थे लेकिन इसके बावजूद दोनों एक दूसरे के करीब आने लगे. दोनों ने 'सीता और गीता' के बाद भी कई फिल्मों में साथ काम किया और इसी दौरान एक शॉट के बीच में ही धर्मेंद्र ने अचानक हेमा मालिनी को प्रपोज़ कर दिया. इनक प्यार के चर्चे हेमा के पिता वीएसआर चक्रवर्ती को बेहद परेशान कर रही थीं. उस वक्त की मैगजीन में लगातार ये खबरें छप रही थीं कि इस रिश्ते को तोड़ने के लिए हेमा का परिवार उनपर बेहद दबाव डाल रहा है लेकिन हेमा के लिए धर्मेंद्र से दूर रहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा हो गया था. फिल्म 'शोले' की शूटिंग के दौरान धर्मेंद्र ने कैमरा मैन से एक सीन को बार-बार शूट करने को कहा. धर्मेद्र इस सीन को बार बार शूट करवाना चाहते थे ताकि वो हेमा के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिता सकें. 1978 में हेमा मालिनी के पिता की अचानक मौत हो गई. हेमा मालिनी उनके बेहद करीब थीं और उनकी मौत के बाद वो बेहद अकेली हो गईं. ऐसे वक्त में धर्मेंद्र ने उनकी हिम्मत बढ़ाई, उनका साथ दिया. बस फिर क्या था हेमा ने धर्मेंद्र से शादी करने का फैसला कर लिया. कानून के मुताबिक धर्मेंद्र पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकते थे. इसलिए 21 अगस्त 1979 को इस्लाम धर्म कबूल करते हुए धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने निकाह कर लिया. निकाहनामे के मुताबिक धर्मंद्र का नाम था दिलावर खान और हेमा का नाम था आयशा बी. उस समय दोनों ने अपने निकाह की बात छुपाई लेकिन जब ये खबर सामने आई तो हंगामा हो गया. उस दौर में भी इसे लेकर काफी विवाद हुआ. लेकिन धर्मेन्द्र और हेमा ने इस विवाद का असर अपने रिश्ते पर नहीं पड़ने दिया और इस निकाह के कुछ महीने बाद 2 मई 1980 को हिंदू रीति रिवाजों के मुताबिक भी शादी कर ली.