Exclusive: 'जीनियस' एक्टर और 'गदर' वाले 'जीते' उत्कर्ष शर्मा की 'वनवास' 20 दिसंबर को सिनेमाहॉल में रिलीज हो चुकी है. फिल्म में उनके साथ नाना पाटेकर भी हैं. पिछले कई सालों से बॉलीवुड में ऐसी फिल्में बननी बंद हो गई थीं, जिनमें फैमिली और इमोशन्स को ध्यान में रखकर बनाया गया हो. लेकिन 'वनवास' वैसी ही कहानी पर बनी है जैसी कहानी दिखाकर 'बागबान' के मेकर्स ने दर्शकों को खूब रुलाया था.
फिल्म को अच्छे रिव्यूज मिले हैं और ज्यादातर क्रिटिक्स फिल्म को बेहतरीन बता रहे हैं. इस दौरान फिल्म में लीड प्ले कर रहे उत्कर्ष शर्मा ने एबीपी न्यूज से फिल्म से जुड़ी कई खास बातें कीं. उन्होंने फिल्म के जॉनर, फैमिली, इमोशन्स, बुजुर्गों के लिए प्यार और इज्जत पर भी बात की.
इस दौरान उन्होंने उस जरूरत पर भी बात की जिसे बॉलीवुड ने अब खास जरूरी समझना छोड़ दिया है. उत्कर्ष ने बॉलीवुड वर्सेज साउथ के बारे में बात करते हुए उन वजहों पर खास ध्यान दिया, जिसके बारे में बॉलीवुड को ध्यान से सोचना चाहिए. बता दें कि जहां पुष्पा 2 जैसी तेलुगु फिल्म 1000 करोड़ कमा चुकी है, वहीं इस साल बॉलीवुड की कोई भी फिल्म इस तरह का कलेक्शन नहीं कर पाई है.
बॉलीवुड vs साउथ पर क्या बोले उत्कर्ष शर्मा?
हमने उत्कर्ष शर्मा से बॉलीवुड vs साउथ पर उनका क्या सोचना है? इस बारे में पूछा साथ ही ये जानने की भी कोशिश की कि आखिर साउथ की फिल्मों की रीच बॉलीवुड फिल्मों से ज्यादा कैसे होती जा रही है. वनवास एक्टर ने इस सवाल को गंभीरता से जवाब दिया.
उत्कर्ष कहते हैं, ''बॉलीवुड ने 2010 से लेकर अभी तक बहुत सारी साउथ फिल्मों के रीमेक बनाए. पहले जब एक रीमेक बनता था तो ऐसा माना जाता था कि वो एक अच्छी फिल्म होगी, तभी रीमेक बन रही होगी. क्योंकि तब लैंग्वेज बैरियर की वजह से उस फिल्म को लोग समझ नहीं पाते थे. तो एक्साइटमेंट होता था, लेकिन अब बार-बार रीमेक ही रीमेक बनाओगे तो वो एक्साइटमेंट खत्म हो गया है.''
'बॉलीवुड के राइटर्स को बना दिया है ट्रांसलेटर'
उत्कर्ष शर्मा राइटर को लेकर बॉलीवुड के अप्रोच पर बताते हुए कहते हैं, ''यहां के राइटर्स को पीछे धकेल दिया गया. सिर्फ उनसे ट्रांसलेशन का काम कराया जाता है (साउथ मूवीज की हिंदी स्क्रिप्ट लिखने का काम). तो उनकी क्रिएटिविटी खत्म हो गई है.''
बॉलीवुड में रिस्क लेने की क्षमता खत्म
उत्कर्ष अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, ''अच्छी फिल्में जो पिछले दो दशकों में आई हैं उन सबके तो आपने रीमेक बना लिए. उसके बाद आपके पास बच क्या जाएगा.कुछ ओरिजनल नहीं बचेगा क्योंकि आपकी आदत हो गई है और आपकी रिस्क लेने की क्षमता खत्म हो गई है.''
साउथ फिल्में गांव-गांव कैसे पहुंचीं?
उत्कर्ष आगे कहते हैं, ''अब जब साउथ के रीमेक्स खत्म हो गए तो जाहिर सी बात है कि जो साउथ का ओरिजनल कंटेंट है वो आएगा क्योंकि वो जड़ों से जुड़ा हुआ है. वो ऐसा कंटेंट है जो टीवी चैनल्स पर खूब चला है. और पब्लिक उन स्टार्स से इंटीरियर में जुड़ गई है. पब्लिक अच्छी कहानी से जुड़ती है और जो कैरेक्टर उन्हें अपनी तरह लगता है उससे जुड़ती है.''
'वनवास' में है लोगों से जुड़ने की क्षमता
उत्कर्ष साउथ वर्सेज बॉलीवुड पर बोलते हुए ये भी कहते हैं कि उनकी फिल्म वनवास से धीरे-धीरे लोग इंटीरियर के लोग भी जुड़ेंगे क्योंकि इसमें जो कुछ भी दिखाया गया है वो यूनिवर्सल ट्रुथ है. उत्कर्ष का कहना साफ था कि बॉलीवुड अगर ओरिजनल और लोगों से जुड़ने वाली कहानियों में इंगेज नहीं होगा, तो लोग भी बॉलीवुड फिल्मों में इंगेज नहीं होंगे.
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