मुंबई: मर्दानी, एक हसीना थी, तुम बिन, इकबाल, आशाएं, डोर, दिल मांगे मोर, अक्सर, हैदराबाद ब्लूज़, लफंगे परिंदे जैसी कई हिंदी और ढेरों बांग्ला फिल्मों के एडिटर रहे संजीब दत्ता का आज दोपहर कोलकाता के एक अस्पताल में हृदय संबंधी बीमारी की वजह से निधन हो गया. वो 54 साल के थे.


जाने-माने निर्दशक नागेश कुकूनूर ने एबीपी न्यूज़ से फोन पर बातचीत के दौरान संजीब दत्ता की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि हृदय संबंधी बीमारी के चलते उनकी बायपास सर्जरी होनी थी, जिसके लिए वो अस्पताल में भर्ती हुए थे.


बांग्ला और अन्य भाषाओं के साथ-साथ कई हिंदी फ़िल्मों के लिए एडिटिंग करते रहे संजीब दत्ता पिछले कई सालों से कोलकाता में रहे रहे थे. बताया जाता है कि हाल-फिलहाल विशेष प्रोजेक्ट के आधार पर वो कभी-कभार मुंबई आया-जाया करते थे. हिंदी और बांग्ला समेत तमाम भाषाओं में उन्होंने तकरीबन 100 फिल्मों की एडिटिंग की.



संजीब दत्ता ने 1990 में पुणे के फ़िल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में दाखिला लिया था और एडिटिंग का कोर्स करने के बाद उन्होंने कई फिल्मों में असिस्टेंट और असोसिएट एडिटर के तौर पर काम किया. जल्द ही उन्होंने एक स्वतंत्र एडिटर के तौर पर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी अपनी विशेष पहचान और जगह बनाई.


नागेश कुकूनूर ने संजीब दत्ता को याद करते हुए कहा, 'उनका जाना फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है. वे मेरी कई फिल्मों के 'साइलेंट आर्किटेक्ट' थे. संजीब एक बेहद विनम्र और ईमानदार किस्म के शख्स थे. उन्होंने कभी किसी शख्स से ऊंची आवाज़ में बात नहीं की."


नागेश ने एबीपी न्यूज़ को बताया, 'मेरे द्वारा निर्देशित रॉकफोर्ड फिल्म में वो एक असिस्टेंट एडिटर थे. उसके बाद उन्होंने मेरी फिल्म बॉम्बे कॉलिंग एडिट की और उसके बाद से उन्होंने मेरी हर फिल्म को एडिट किया. उसके बाद मैंने किसी और एडिटर के साथ काम नहीं किया."